बिहार से रामविलास पासवान को चुनाव लड़ाने आए और हरिद्वार के होकर रह गए, मिली थी हार
उस समय अनिल जेतली नामी कांट्रेक्टर के साथ हरिद्वार में बर्फ फैक्ट्री के मालिक भी थे। उन्होंने कई लोगों को अपनी कंपनी में काम दिया, तो कई को कामकाज बढ़ाने में मदद की। कार्यकर्ता हरिद्वार में ही रह गए।
हरिद्वार संसदीय सीट से रामविलास पासवान को चुनाव लड़ाने बिहार से आए उनके कई कार्यकर्ता हरिद्वार के होकर रह गए। 1987 के उपचुनाव के दौरान यह कार्यकर्ता हरिद्वार आए थे। इसके बाद इन लोगों ने अपना परिवार हरिद्वार में बसा लिया।
25 कार्यकर्ता बिहार के खगड़िया जिले से हरिद्वार आए थे। यह कुनबा 100 से अधिक परिवार का हो चुका है। इससे पहले रामविलास पासवान 1985 में लोक दल (एलकेडी) के टिकट पर हरिद्वार से सटी बिजनौर सीट से भी चुनाव लड़ चुके थे। उस चुनाव में भी उनके कार्यकर्ता साथ आए थे।
1987 में हरिद्वार सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें पासवान चुनाव लड़ने पहुंचे। इस चुनाव में मायावती और पासवान आमने सामने थे। हरिद्वार में पासवान के सहयोगी रहे दिवंगत अनिल जेतली चुनाव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
चुनाव लड़ाने के लिए बिहार से कार्यकर्ता हरिद्वार आए और जब वह चुनाव हारकर जाने लगे तो उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को हरिद्वार में रोजगार दिलाने की जिम्मेदारी अनिल जेतली को दी। उस समय अनिल जेतली नामी कांट्रेक्टर के साथ हरिद्वार में बर्फ फैक्ट्री के मालिक भी थे।
उन्होंने कई लोगों को अपनी कंपनी में काम दिया, तो कई को कामकाज बढ़ाने में मदद की। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि चुनाव को हरिद्वार में अनिल जेतली लीड कर रहे थे, बिहार से आए कार्यकर्ताओं के खाने और रुकने की व्यवस्था भी जेतली ने की थी।
चुनाव के बाद कार्यकर्ता हरिद्वार में ही रह गए। अधिकांश कार्यकर्ता बिहार जिले के खगरिया से आए थे। स्वतंत्रता संग्राम उत्तराधिकारी समिति के उपाध्यक्ष मुरली मनोहर बताते हैं कि उस चुनाव में पासवान पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार और उनके पास समर्थन के लिए आए थे, लेकिन उन्हें हरिद्वार में समर्थन नहीं मिल रहा था।
बिजनौर में बेहद कम अंतर से हारे थे चुनाव
बिजनौर के सांसद रहे गिरधारी लाल के निधन के बाद 1985 उपचुनाव हुआ था। जिसमें रामविलास पासवान को 122747 वोट मिले। जबकि इसी चुनाव में मायावती को 61504 वोट मिले थे। कांग्रेस की मीरा कुमारी की जीत हुई थी, उन्हें 128086 वोट मिले थे। 5339 वोटों के अंदर से पासवान चुनाव हारे थे।
हरिद्वार में आए चौथे नंबर पर
बिजनौर से चुनाव लड़ने के बाद अगला उपचुनाव हरिद्वार में 1987 में हुआ। मौजूदा सांसद सुंदर लाल के निधन के बाद हरिद्वार संसदीय सीट पर उपचुनाव हुआ था। जिसमें जेएनपी पार्टी के उम्मीदवार बनकर लड़े पासवान को 34225 वोट मिले थे। जबकि मायावती को इस चुनाव में 1.25 लाख वोट मिले थे। जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के राम सिंह को 149377 वोट मिले थे। पासवान चौथे नंबर पर आए थे।
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