निकाय चुनाव : बागियों के सहारे पीडीएफ तलाश रहा जमीन
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान अस्तित्व में आया प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) इस निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बागियों के सहारे अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाश रहा है। मोर्चे...
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान अस्तित्व में आया प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) इस निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बागियों के सहारे अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाश रहा है। मोर्चे में शामिल पूर्व कबीना मंत्री दिनेश धनै ने नई टिहरी और चंबा नगर पालिका में भाजपा और कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों को खुला समर्थन दिया है। वर्ष 2014 में प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा(पीडीएफ) की स्थापना उस समय हुई थी, जब कांग्रेस सरकार में विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया गया था। राज्य विधानसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं था। उस समय विधानसभा में तीन सदस्यों वाली बहुजन समाज पार्टी, एक सदस्य वाली उत्तराखंड क्रांति दल(पी) व तीन निर्दलीय विधायकों ने अपनी महत्वपूर्ण स्थिति को सामूहिक रूप से मजबूत करने के लिए मोर्चे का गठन किया था। अपनी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण ही पीडीएफ को सरकार में 5 कैबिनेट मंत्रीपद हासिल थे। लेकिन वर्तमान समय में केवल पीडीएफ में रहे पूर्व मंत्री स्व. सुरेंद्र राकेश की पत्नी ममता राकेश और विधायक प्रीतम सिंह पंवार ही विधानसभा के सदस्य हैं। अन्य सभी अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मोर्चे में रहे पूर्व कबीना मंत्री दिनेश धनै ने चंबा में भाजपा से बागी निर्मला बिष्ट और नई टिहरी में कांग्रेस से बागी शकुंतला नेगी को खुला समर्थन दिया है। इससे साफ है कि भाजपा और कांग्रेस के बागियों के सहारे पीडीएफ अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटा हुआ है।
कौन-कौन थे पीडीएफ में
वर्ष 2014 में अस्तित्व में आए पीडीएफ में बसपा के पूर्व विधायक हरि दास, सरवत करीम अंसारी, सुरेंद्र राकेश, यूकेडी पी विधायक प्रीतम सिंह पंवार, निर्दलीय हरीशचंद्र दुर्गापाल, दिनेश धनै, मंत्री प्रसाद नैथानी शामिल थे।
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