Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़para military personnel not getting benefits of old pensionary schemes

अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को पुरानी पेंशन क्यों नहीं ?

केंद्र सरकार ने भले ही अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए विमान यात्रा का रास्ता खोल दिया है। लेकिन पेंशन का मुद्दा अभी बरकरार है। पुरानी पेंशन बंद होने के बाद से रिटायर होने के बाद जवान परेशानी का...

लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादून Fri, 22 Feb 2019 04:59 PM
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केंद्र सरकार ने भले ही अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए विमान यात्रा का रास्ता खोल दिया है। लेकिन पेंशन का मुद्दा अभी बरकरार है। पुरानी पेंशन बंद होने के बाद से रिटायर होने के बाद जवान परेशानी का सामना कर रहे हैं। देश की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देने वाले अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को रिटायरमेंट के बाद कई मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। अर्द्धसैनिक वन रैंक-वन पेंशन से तो महरूम हैं ही, जनवरी 2004 के बाद भर्ती होने वालों को लाभकारी पेंशन भी नहीं दी जा रही है।  देश के लाखों जवान अर्द्धसैनिक बल के रूप में बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम रायफल्स में देश की सेवा कर रहे हैं। हर साल बड़ी संख्या में अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारी-जवान देश के दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद होते हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवानों की मौत ने अर्द्धसैनिक बलों की समस्याओं और पीड़ा को गंभीरता से सामने ला दिया है। 

पीड़ा 01
पेंशन में अर्द्धसैनिकों के साथ नाइंसाफी
अंशदायी पेंशन लागू करते वक्त केंद्र सरकार ने तय किया था कि आर्म्ड फोर्स को इससे अलग रखा जाएगा। लेकिन अर्द्धसैनिकों को यह सुविधा नहीं दी गई। अर्द्धसैनिक जनवरी 2004 के बाद से पुरानी पेंशन योजना के पात्र नहीं है। 

पीड़ा 02  
वन रैंक-वन पेंशन का लाभ नहीं मिला
वन रैंक-वन पेंशन अर्द्धसैनिक बलों की प्रमुख मांग रही है। समय समय पर सरकारों ने इसका वादा भी किया था। वर्ष 2004 और वर्ष 2014 के चुनाव में भी राजनीतिक दलों अर्द्धसैनिकों को ओआरओपी देने का वादा किया था। पर, अब तक नहीं मिला। आज भी अर्द्धसैनिक बलों के रिटायर अधिकारी-कर्मियों के वेतन-पेंशन में भारी विसंगति मौजूद है।

पीड़ा 03
पैरामिलिट्री पे को भी तरसे
पैरामिलिट्री सर्विस पे भी अर्द्धसैनिक बलों की प्रमुख मांगों में शामिल है। इस वेतन की सुविधा का सीधा असर रिटायरमेंट के वक्त पेंशन और अन्य भत्तों पर पड़ता है। इससे करीब-करीब 40 से 50 फीसदी का अंतर आ जाता है।

पीड़ा 04 
छुट्टी भी कम और सीएल भी पर्याप्त नहीं
देश की सीमाओं की चौकसी हो या फिर देश के भीतर आतंकी तत्वों का सफाया करना हो, अर्द्धसैनिक बलों के जवान हर जगह सीना ताने खडे़ मिलते हैं। चौबीसों घंटे के जोखिम की नौकरी के बावजूद उन्हें सुकून के पल भी ज्यादा मुहैया नहीं है। साल में केवल एक महीने की छुट्टी और 14 सीएल भी उन्हें मिलती हैं।
 

लाभकारी और अंशदायी पेंशन 
केंद्र सरकार ने अंशदायी पेंशन योजना (एनपीएस) वर्ष 2005 से लागू की थी। एनपीएस के लागू होने से पहले लाभकारी पेंशन योजना लागू थी। इसमें कर्मचारी को अपने वेतन से कुछ नहीं देना होता था। रिटायरमेंट के बाद अंतिम माह में मिले वेतन का करीब 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलने लगता था। यह कर्मचारी की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा था। एनपीएस में मूल वेतन का करीब 10 फीसदी कर्मचारी को देना होता है और इतना ही पैसा सरकार भी देती है। इस धन को निवेश किया जाता है। 

 

मैंने केंद्र सरकार से अनुरेाध किया है कि अर्द्धसैनिक बलों की प्रमुख समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए। अर्द्धसैनिक बलों को आर्म्ड फोर्स के समान सुविधाएं दी जानी चाहिए। पेंशन, ओआरओपी पर तो सरकार को तत्काल निर्णय लेना चाहिए।
आईजी-बीएसएफ (सेनि) एसएस कोठियाल, प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल कार्मिक संगठन 

 

पेंशन और ओआरओपी बहुत बड़ा मुद्दा है। इस पर सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही अर्द्धसैनिक बलों का सेना में विलय किया जाना चाहिए। पूर्व में जम्मू-कश्मीर राइफल्स को सेना में जैक राइफल्स के रूप में उच्चीकृत किया गया है।
सूबेदार (सेनि) अमर सिंह गुसाईं, असम राइफल्स एक्स सर्विसमैन एसोसिएशन

 

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