Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़Jim Corbett gun will get new heir lying unclaimed in police station for four years

जिम कार्बेट की बंदूक को मिलेगा नया वारिस, चार साल से थाने में पड़ी थी लावारिस

उत्तराखंड और जिम कार्बेट के चाहने वालों के लिए इस बार का बाघ दिवस विशेष है। भारत छोड़ते वक्त कार्बेट जो बंदूक कालाढूंगी में अपने साथी को उपहार स्वरूप दी थी उसे नया वारिस मिलने वाला है।

Himanshu Kumar Lall राजीव पांडे। हल्द्वानी, Mon, 1 Aug 2022 10:55 AM
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आज विश्व बाघ दिवस है। उत्तराखंड और जिम कार्बेट के चाहने वालों के लिए इस बार का बाघ दिवस विशेष है। भारत छोड़ते वक्त कार्बेट जो बंदूक कालाढूंगी में अपने साथी को उपहार स्वरूप दी थी उसे नया वारिस मिलने वाला है। चार साल से बंदूक नैनीताल के कालाढूंगी थाने में लावारिस पड़ी है।  

कार्बेट के बाघ और भारत प्रेम पर सैकड़ों किताबें लिखी जा चुकी हैं। किताबें कहती हैं अपने गांव कालाढूंगी को वे कभी नहीं छोड़ना चाहते थे। कालाढूंगी के म्यूजियम में सहेजकर रखी उनकी चीजें बताती हैं कि गांव वाले भी उन्हें कितनी मोहब्बत करते थे और करते हैं। चार साल से कमी खल रही थी उनकी बंदूक की।  

केन्या जाते वक्त वह ये बंदूक कालाढूंगी में रहने वाले अपने करीबी सहायक शेर सिंह नेगी को दे गए थे। नेगी की मौत के बाद तीन दशक तक उनके बेटे त्रिलोक सिंह ने बंदूक को सैलानियों के लिए संभाल कर रखा। देश-विदेश से सैलानी इसे देखने की चाह लिए कालाढूंगी पहुंचते हैं। अब ये बंदूक शेर सिंह की तीसरी पीढ़ी के नाम दर्ज होने जा रही है।

सिंगल नाली बंदूक से बाघ और जानवरों को खदेड़ते थे कार्बेट
कार्बेट से शेर सिंह को उपहार स्वरूप मिली बंदूक सिंगल नाली है। मोहित नेगी ने अपने दादा के हवाले से बताया कि कार्बेट इस बंदूक से हवाई फायर कर बाघ और जंगली जानवरों को खदेड़ने का काम करते थे। छह साल पहले तक बंदूक चलती भी थी लेकिन अब खराब हो चुकी है।

त्रिलोक सिंह की मौत के बाद से थाने में है बंदूक
2019 में त्रिलोक सिंह की मौत के बाद उनके परिवार को ये बंदूक थाने में जमा करनी पड़ी थी। उनके पोते माहित नेगी बताते हैं परिस्थितियां और कठिन कागजी कार्यवाई के चलते उन्होंने अब तक इसकी विरासत नहीं करवाई। अब कालाढूंगी ग्राम विकास समिति की पहल पर जल्द बंदूक उनके नाम होने जा रही है। 

दस रुपए के टिकट पर बंदूक देख सकेंगे सैलानी
कालाढूंगी ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडे कहते हैं बंदूक मोहित के नाम करने की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गई हैं। अगले 15 दिन में बंदूक परिवार को वापस मिलने की उम्मीद है। इसके बाद दस रुपए किराया देकर सैलानी इसे देख और छू सकेंगे।

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