सुक्खू की राह में सीएम धामी, हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाना होगा आसान, बना प्लान
उत्तराखंड में लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना आसान हो जाएगी। सरकार ने हाइड्रो पॉलिसी में बदलाव करते हुए हिमाचल की तर्ज पर नई हाइड्रो पावर पॉलिसी को मंजूरी दी। कैबिनेट मीटिंग में फैसला है।
उत्तराखंड में लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना आसान हो जाएगी। सरकार ने राज्य की हाइड्रो पॉलिसी में बदलाव करते हुए हिमाचल की तर्ज पर नई हाइड्रो पावर पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए।
गोपन सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि बैठक में 20 प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई। कहा कि राज्य सरकार ने हिमाचल की तर्ज पर नई हाइड्रो पालिसी को मंजूरी दी है। इसमें सबसे खास बात यह है कि परियोजना की लाइसेंस फीस को बहुत कम कर दिया गया है।
उधर, सचिव ऊर्जा डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि पहले राज्य में हाइड्रो प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए प्रति मेगावाट 25 लाख रुपये की लाइसेंस फीस थी।
लेकिन अब इसे प्रति मेगावाट एक लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही 25 मेगावाट की परियोजना के लिए यूपीसीएल के साथ पीपीए अनिवार्य कर दिया गया है। जबकि बिजली की दर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की ओर से तय की जाएगी। नई पॉलिसी में भी परियोजना की अवधि 40 साल रखी गई है।
हालांकि अब परियोजना शुरू होने की अवधि परियोजना कमीशन होने के दिन से मानी जाएगी। पहले परियोजना आवंटन के दिन से ही 40 सालों की अवधि की गणना शुरू हो जाती थी। जबकि परियोजना लगाने में ही लम्बा वक्त लग जाता था। लेकिन अब इस तकनीकी दिक्कत को दूर कर दिया गया है।
नई हाइड्रो पॉलिसी के तहत निवेशक को यह भी छूट होगी कि जिस स्थान पर उसकी परियोजना लगाई जाएगी वहां से निकलने वाले मटीरियल का वह उपयोग कर सकेगा और वहां पर स्टोन क्रशर की स्थापना भी कर सकेगा। निवेशक को योजना न लगा पाने पर एक्जिट का भी अधिकार होगा।
परियोजना से 12 प्रतिशत रायल्टी मिलेगी
सचिव ऊर्जा ने बताया कि राज्य की पॉलिसी हिमाचल के समान बनाई गई है। इसकी मुख्य वजह यह है कि आज के दिन में हिमाचल लघु जल विद्युत परियोजनाओं में बहुत आगे बढ़ गया है। वहां लाइसेंस फीस के साथ ही अन्य नियम बेहद सरल हैं। ऐसे में लोग उत्तराखंड में परियोजना लगाने नहीं आ रहे।
ऐसे में अब हिमाचल को टक्कर देने के लिए उसी के अनुसार पॉलिसी लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि परियोजना की स्थापना पर राज्य को 12 प्रतिशत बिजली रायल्टी के रूप में निशुल्क मिलेगी। इससे राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने के साथ ही सरप्लस स्टेट बनने में भी मदद मिलेगी।
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