सरकारी स्कूल में पढ़ रहे छात्र कैसे होंगे अपडेट? इतने फीसदी स्कूलों में इंटरनेट नहीं
एक ओर जहां प्राइवेट स्कूलों-कॉलेजों को फ्री वाईफाई कैंपस में तब्दील किया जा रहा है वहीं, उत्तराखंड के 70 फीसदी सरकारी स्कूलों में इंटरनेट ही नहीं पहुंच सका है। आनलाइन क्लास पर भी सवाल उठ रहा।
एक ओर जहां प्राइवेट स्कूलों-कॉलेजों को फ्री वाईफाई कैंपस में तब्दील किया जा रहा है वहीं, उत्तराखंड के 70 फीसदी सरकारी स्कूलों में इंटरनेट ही नहीं पहुंच सका है। इनमें पढ़ने वाले बच्चों ने कैसे कोरोनाकाल में ऑनलाइन शिक्षा ली होगी, क्या पढ़ा होगा? ये अपने आप में बड़ा सवाल है।
इंटरनेट की सुविधा से लैस स्कूलों के मामले में पड़ोसी राज्य यूपी, हिमाचल से कोसों पीछे चल रहे उत्तराखंड में बीते सत्र (2021-22) तक महज 6245 स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा थी, जबकि उस समय पूरे राज्य में सरकारी-प्राइवेट सब मिलाकर कुल 22815 स्कूल संचालित हो रहे थे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यू-डाइस) 2021-22 की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
प्रत्येक शैक्षिक सत्र के अंत में यू-डाइस रिपोर्ट तैयार की जाती है। जिलेवार तैयार की जाने वाली रिपोर्ट में स्कूलों की संख्या, शिक्षक-छात्र अनुपात, कंप्यूटर-इंटरनेट की उपलब्धता, स्वच्छ पेयजल आदि की व्यवस्था का आंकड़ा जुटाया जाता है।
ताकि, अगले सत्र तक कमियां दूर की जा सके। 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में 22815 स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इनमें से करीब साढ़े 3 हजार स्कूलों में ही कंप्यूटर का उपयोग विभिन्न गतिविधियों के लिए हो रहा है। जबकि 6245 स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा है।
सरकारें स्मार्ट क्लासरूम स्थापित करने, ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्कूलों को लैस करने और ऑनलाइन कक्षाएं पढ़ाने के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की कई बार घोषणा कर चुकी हैं। लेकिन यू-डाइस के आंकड़ों पर गौर करें तो स्कूलों में इतनी खराब इंटरनेट उपलब्धता के साथ इन घोषणाओं को हकीकत बनने में सालों लगेंगे।
जल्द ही उत्तराखंड में विद्या समीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। ऐसा करने वाला उत्तराखंड गुजरात के बाद दूसरा राज्य होगा। इस व्यवस्था के तहत शिक्षा विभाग को पूरी तरह से ऑनलाइन किया जाएगा।
डॉ. धन सिंह रावत, विद्यालयी शिक्षा मंत्री उत्तराखंड
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