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अतिथि शिक्षकों पर कैबिनेट के इस फैसले पर चढ़ा शिक्षक संघ का पारा, यह है वजह 

अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने के कैबिनेट के फैसले से प्रदेश के सरकारी स्कूलों के स्थायी शिक्षक बेहद नाराज हैं। मंगलवार को शिक्षक संघ पदाधिकारियों और शिक्षकों ने सरकार से इस फैसले पर...

Himanshu Kumar Lall विशेष संवाददाता, देहरादून, Tue, 7 Dec 2021 04:37 PM
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अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने के कैबिनेट के फैसले से प्रदेश के सरकारी स्कूलों के स्थायी शिक्षक बेहद नाराज हैं। मंगलवार को शिक्षक संघ पदाधिकारियों और शिक्षकों ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी यह मामला काफी वायरल हो रहा है।  राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी का कहना है कि कैबिनेट के फैसलों पर मीडिया की खबरों से इस फैसले की जानकारी मिली है।

अतिथि शिक्षकों से किसी को बैर नहीं है। सरकार उन्हें स्थायी शिक्षक के रूप में नियुक्ति देने के लिए सहायता करे। चयन परीक्षा में रियायत दे। लेकिन अस्थायी अतिथि शिक्षक रहते हुए पदों का रिक्त न माना जाना बिलकुल गलत है। महामंत्री डॉ. सोहन सिंह माजिला ने सीएम को ज्ञापन भेजते कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि अतिथि शिक्षक के पद वैकल्पिक पद होंगे। स्थायी शिक्षक की तैनाती पर उन्हें समाप्त कर दिया जाएगा।

यदि सरकार इन पदों को रिक्त नहीं मानती तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तो उल्लंघन होगा ही, साथ ही स्थायी शिक्षकों से प्रमोशन-ट्रांसफर के अवसर घट जाएंगे। साथ ही नई भर्तियां भी संकट में पड़ सकती हैं। संघ के पूर्व मंडलीय मंत्री शिव सिंह नेगी ने भी सरकार के निर्णय का विरोध किया। कहा कि इससे स्थायी शिक्षक अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे। संघ के दून के जिलाध्यक्ष सुभाष झल्डियाल ने कहा कि सरकार तत्काल अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। यदि यह फैसला वापस नहीं होता तो शिक्षक आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। शिक्षक योगेश घिल्डियाल, गुरूदेव रावत, लक्ष्मण सिंह रावत,

और शिक्षा विभाग को खबर तक नहीं
अतिथि शिक्षकों के पद रिक्त न मानने के फैसले पर शिक्षा विभाग भी हैरान है। सूत्रों के अनुसार विभाग की ओर इस बाबत कोई प्रस्ताव भी नहीं गया था। कैबिनेट में यह विषय तात्कालिक विषय के रूप में उठा और निर्णय कर लिया गया। सूत्रों के अनुसार खुद शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी इससे अनजान बताए जा रहे हैं।

मालूम हो कि इससे पहले तीन जुलाई की कैबिनेट बैठक में इसी प्रकार का प्रस्ताव आया था। उसमें अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने का निर्णय किया गया था। सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने चार जुलाई को प्रेस कांफ्रेस कर इस फैसले की जानकारी दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बात सामने आने पर इस आदेश पर जीओ जारी नहीं किया गया। हालांकि मानदेय को 15 से बढ़ाकर 25 हजार रूपये जरूर कर दिया गया।

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