सरकारी विश्वविद्यालयों ने दांव पर लगाया छात्रों का भविष्य, जानिए वजह
कोरोना के चलते उत्तराखंड में उच्च शिक्षा का सरकारी ढांचा पूरी तरह बैठ गया। इसका खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है। वह अभी परीक्षाएं दे रहे हैं और रिजल्ट कब आएगा पता नहीं है। उन्हें भविष्य की चिंता...
कोरोना के चलते उत्तराखंड में उच्च शिक्षा का सरकारी ढांचा पूरी तरह बैठ गया। इसका खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है। वह अभी परीक्षाएं दे रहे हैं और रिजल्ट कब आएगा पता नहीं है। उन्हें भविष्य की चिंता सता रही है। इन सबके बीच राज्य की प्राइवेट विश्वविद्यालयों ने सरकारी सिस्टम को आईना दिखाने का काम किया है। उन्होंने परिस्थितियों को भांपते हुए मई-जून में ऑनलाइन परीक्षाएं कराईं और रिजल्ट भी दे दिया। राज्य में उच्च शिक्षा के ये दो पहलू सरकारी हालात को भी बयां कर रहे हैं।
यूटीयू : खुद तकनीक में फेल
तकनीकी विश्वविद्यालय यूं तो इंजीनियर पैदा करता है पर बीते सात महीने में वह अपना ही ऑनलाइन परीक्षा पैटर्न नहीं बना पाया है। यहां अब परीक्षाएं हो रही हैं। इसके बाद 15 नवंबर तक रिजल्ट आएगा। यूजीसी साफ कर चुका है कि परीक्षाएं 30 अक्तूबर तक हो जाएं, रिजल्ट आ जाए और एक नवंबर से नया सत्र शुरू हो। पर यूटीयू में प्रभारी रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक के साथ ही कैंपस कॉलेज के डायरेक्टर जैसे तीन अहम पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रो. आरसीएस गंगवार कहते हैं कि 15 नवंबर तक हम रिजल्ट जारी कर देंगे। वह बताते हैं छात्रों के पिछड़े और दूरस्थ क्षेत्रों से होने की वजह से ऑनलाइन परीक्षा नहीं करवा पाए।
केंद्रीय विवि : यहां भी फंसे छात्र
एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के हालात राज्य के जैसे ही हैं। छात्र इंतजार में हैं कि कब परीक्षाएं खत्म हों, रिजल्ट हाथ में आए। वह कहीं नौकरी या आगे की पढ़ाई का प्रयास करें क्योंकि केंद्र की गाइडलाइन के हिसाब से यहां भी समय पर रिजल्ट मिलता नहीं दिख रहा। परीक्षा नियंत्रक प्रो.आरसी भट्ट कहते हैं कि 10 अक्तूबर तक तो परीक्षाएं ही होनी हैं। इसके बाद उत्तर पुस्तिकाओं के कलेक्शन से स्क्रीनिंग तक होनी है। जल्दी से जल्दी नवंबर पहले हफ्ते से रिजल्ट निकलने शुरू हो पाएंगे।
श्रीदेव सुमन : इंतजार जारी
श्रीदेव सुमन विवि की भी अभी परीक्षाएं चल रही हैं। यहां भी छात्रों सिर्फ उम्मीदों के सहारे हैं। नजरे भविष्य पर हैं, लेकिन इंतजार सत्र खत्म हो रिजल्ट हाथ में आए और फिर आगे बढ़ने की सोचें। विवि के कुलपति प्रो. पीपी ध्यानी मानते हैं कि परीक्षाएं कराने में देरी हुई है। अभी से ज्यादा सही हालात मई-जून में थे। वह कहते हैं कि हमारे लिए ऑनलाइन परीक्षाएं कराना संभव नहीं था। न संसाधन है और न तकनीक। साथ ही राज्य के सुदूर क्षेत्रों तक यही विवि उच्च शिक्षा पहुंचा रहा है। वह कहते हैं कि बाकी विवि को भी पीजी समेत अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए उन छात्रों का इंतजार करना चाहिए, जिनकी परीक्षाएं चल रही हैं। नहीं तो उनका साल खत्म हो जाएगा।
ओपन यूनिवर्सिटी : अपनी ढपली-अपना राग
उत्तरांखड ओपन यूनिवर्सिटी खुद की परीक्षाएं तो अब करा रहा है, लेकिन अपने यहां चलने वाले पाठ्यक्रम में प्रवेश की तिथि 30 सितंबर रख दी। यह भी कह दिया कि ओपन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों को आगे प्रोवेजिनल एडमिशन दे देंगे, पर दूसरे विवि से कोई यहां प्रवेश लेने आता है तो वह मार्कशीट जरूर लाए। ऐसे छात्र तब मार्कशीट लाएंगे, जब दूसरे विवि में परीक्षाएं हो चुकी होंगी। जनसंपर्क अधिकारी डॉ.राकेश रयाल कहते हैं कि विवि सभी छात्रों के भविष्य व हितों पर नजर रखेगा। प्रवेश की तिथि बढ़ाई जा सकती है। जिनके रिजल्ट में देरी है, उन्हें भी मौका देंगे।
प्राइवेट विश्वविद्यालयों ने दिखाया आईना
ग्राफिक एरा हिल विवि के वीसी प्रो.संजय जसोला बताते हैं कि उनके यहां मई-जून में परीक्षा हो गईं। जिन्हें आगे एडमिशन लेने थे, ले चुके हैं, जिन्हें जॉब ऑफर हुई, वे जॉब कर रहे हैं। लॉ कॉलेज उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के प्राचार्य डॉ.राजेश बहुगुणा कहते हैं कि ऑनलाइन परीक्षा के बाद रिजल्ट दे दिए हैं। डीआईटी के पीआरओ अक्षय घोरपड़े के मुताबिक, उनके यहां 14 अक्तूबर को दीक्षांत समारोह है। इस साल पासआउट छात्रों को डिग्रियां भी दे दी जाएंगी। एसजीआरआर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो.यूएस रावत कहते हैं कि उनके यहां भी ऑनलाइन परीक्षाओं के बाद रिजल्ट जारी कर दिया गया है।
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