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क्या सरकार से भी बड़े हो गए हैं आयुर्वेदिक कॉलेज?

उत्तराखंड में आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेज हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बढ़ी हुई फीस लौटाने को तैयार नहीं हैं। इससे प्रभावित बीएएमएस और बीएचएमएस के छात्र-छात्राएं आंदोलनरत हैं। इस बीच...

लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादून Fri, 30 Nov 2018 01:12 PM
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उत्तराखंड में आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेज हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बढ़ी हुई फीस लौटाने को तैयार नहीं हैं। इससे प्रभावित बीएएमएस और बीएचएमएस के छात्र-छात्राएं आंदोलनरत हैं। इस बीच आयुष मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के कॉलेजों की कथित रूप से पैरवी करने से मामला और गरमा गया है। सवाल उठ रहा है कि हाईकोर्ट के आदेश को सरकार आयुर्वेदिक कॉलेजों में लागू क्यों नहीं करवा पा रही है?

राज्य में आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी आयुर्वेद कॉलेजों में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बढ़ी फीस न लौटाने और फीस जमा कराने के विरोध में बीएएमएस और बीएचएमएस के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न कॉलेजों में कक्षाओं का बहिष्कार कर रखा है। इस बीच आयुष मंत्री डॉ.हरक सिंह के सरकार का फीस वापसी का आदेश स्थगित करने और कॉलेजों के पक्ष में कथित बयान ने आग में घी डालने का काम कर दिया। मंत्री के बयानों से नाराज छात्र-छात्राओं ने उनके खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। दरअसल निजी कॉलेजों के लिए आयुर्वेद विवि के आदेश मायने ही नहीं रखते। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि कॉलेजों के आदेशों की अवहेलना करने के मामले में विवि ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की। विवि के प्रभारी कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार अदाना ने बताया कि कोर्ट के आदेशानुसार फीस वापस करने और आगामी सत्र से पुरानी फीस लेने को तीन बार कॉलेजों को पत्र भेजा जा चुका है पर किसी ने आदेश का पालन नहीं किया। 

यह है मामला
सरकार ने 2015 में बीएएमएस की फीस 80,500 से बढ़ाकर दो लाख पंद्रह हजार और बीएचएमएस की फीस 73,600 से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी थी। इसके विरोध में हिमालय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के छात्र ललित मोहन तिवारी समेत अन्य छात्र हाईकोर्ट चले गए थे। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 09 अक्तूबर 2018 को कॉलेजों को बढ़ी हुई फीस लौटाने का आदेश जारी किया था। सरकार ने भी बीती दो नवंबर को विवि को इस आदेश को लागू कराने के लिए आदेश किया। इसके बाद विवि ने कॉलेजों को कोर्ट का फैसला लागू करने को पत्र लिखा, पर किसी कॉलेज ने पालन नहीं किया। इसके विरोध में छात्र-छात्राएं आंदोलनरत हैं। 

हजारों बच्चे प्रभावित 
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी फीस न लौटाए जाने और आगामी सत्र के लिए भी बढ़ी हुई फीस लेने से प्रदेश के 13 कॉलेजों में वर्ष 2015, 2016, 2017 और 2018 बैच के दो हजार से अधिक छात्र-छात्रा प्रभावित हो रहे हैं। छात्र-छात्राएं लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, पर कॉलेज उनकी सुनने को तैयार नहीं। 

हमारी क्यों नहीं सुन रहे मंत्री जी  
विभिन्न कॉलेजों के छात्र अजय, एलएम तिवारी, आकाश, प्रगति, राजन, शिवम, फैसल सिद्दीकी, वसीम, फैजान, जितेश, सलमान आदि का कहना है कि आयुष मंत्री उनकी बात क्यों नहीं सुन रहे हैं। आरोप लगाया कि मंत्री कॉलेजों को संरक्षण दे रहे हैं। उनके पक्ष में मीटिंग बुलाकर उनकी वित्तीय स्थिति के बारे में बताकर उनके पक्ष में बयान दे रहे हैं। जबकि उन्हें हमारी फिक्र नहीं है, हम पर कॉलेजों द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी मनमानी फीस थोपी जा रही है। कहा कि हम मंत्री के खिलाफ भी प्रदेश में प्रदर्शन करेंगे। जब तक फीस वापस नहीं की जाएगी और बढ़ी फीस लेनी बंद नहीं की जाएगी, तब तक वह किसी भी बड़े आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। 

हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में कॉलेजों को बढ़ी हुई फीस लौटाने और फीस के लिए दबाव न बनाने के लिए तीन बार आदेश जारी किया जा चुका है। कॉलेजों के आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 
डॉ.राजेश कुमार अदाना, प्रभारी कुलसचिव, आयुर्वेद विश्वविद्यालय

 

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