जिम कॉर्बेट के बाघों को बचाने निकलीं ‘आशा’ और ‘अलबेली’ की टीम, एनटीसीए ने जारी किया था हाई अलर्ट
कॉर्बेट नेशनल पार्क का जंगल देश में बाघों के सबसे सुरक्षित ठिकानों में एक है। मानसून में जंगल की निगरानी करना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि शिकारियों की घुसपैठ का खतरा बढ़ जाता है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क का जंगल देश में बाघों के सबसे सुरक्षित ठिकानों में एक है। मानसून काल में विषम परिस्थितियों के बीच यहां जंगल की निगरानी करना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि शिकारियों की घुसपैठ का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरत पड़ती है आशा और अलबेली जैसी एक्सपर्ट हथिनियों और हाथियों की टीम की। हाथी उन जगहों तक पहुंचते हैं, जहां पहुंचना कॉर्बेट के कुशल कर्मचारियों के बस की बात नहीं है। बीते दिनों राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से आए हाई अलर्ट के बाद इस बार हाथियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
आशा और अलबेली की टीम में शिवगंगे, कंचम्भा, कपिला, गंगा और गजराज समेत कुल 12 सदस्य हैं। यूं तो हाथियों की ये टीम सालभर आराम करती है, पर इन दिनों कॉर्बेट की छह रेंजों में जंगल के राजा की सुरक्षा की कमान इन्हीं पर है। शिकारियों पर नजर रखने को सभी हाथी कर्मचारियों को पीठ पर लादकर 180 से 200 किलोमीटर तक गश्त कर रहे हैं।
दरिया गिरोह लगा चुका है पार्क में सेंध
कॉर्बेट प्रबंधन के मुताबिक, बरसात के मौसम में शिकारी मौके का फायदा उठाने की फिराक में रहते हैं। 2012 में दरिया गिरोह ने पार्क में घुसकर एक बाघ को मार भी दिया था। एसओजी प्रभारी संजय पांडे बताते हैं कि कर्मचारियों की सतर्कता के चलते गिरोह को पकड़ लिया गया था। इसके बाद पार्क के संवेदनशील इलाकों में भी हाथियों से गश्त शुरू कराई गई।
625 किलोमीटर गश्त कर रहे वन कर्मचारी
हाईअलर्ट के बीच कर्मचारियों के साथ ही गश्त करने वाले हाथियों की भी जिम्मेदारी बढ़ाई गई है। छह रेंजों में छह सौ से ज्यादा कर्मचारी रोज करीब 625 किलोमीटर चलकर जंगल की निगरानी कर रहे हैं। इस तरह हाथियों और कर्मचारियों से रोजाना करीब 800 किलोमीटर में गश्त कराई जा रही है। खासकर पानी वाली जगह, घने जंगल, नदियों को पार करने लिए हाथियों का सहारा लिया जा रहा है। कौन सा हाथी कहां गश्त करेगा, इसके लिए रोजाना चार्ट भी बनाया जा रहा है।
कॉर्बेट के निदेशक डॉ धीरज पांडेय ने कहा, 'हाईअलर्ट के बीच कर्मचारियों के साथ ही गश्त करने वाले हाथियों की भी जिम्मेदारी बढ़ाई गई है। खासकर पानी वाली जगह, घने जंगल, नदियों को पार करने लिए हाथियों का सहारा लिया जा रहा है। कौन सा हाथी कहां गश्त करेगा, इसके लिए रोजाना चार्ट भी बनाया जा रहा है।'
हाथियों की मदद से पार हो सकते हैं जंगल
रेंजर बिंदरपाल सिंह ने बताया कि कॉर्बेट पार्क करीब एक हजार 318 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां 250 से ज्यादा बाघ हैं। घने जंगल और नदियां हाथियों पर बैठकर ही पार किए जा सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, इन्हीं रास्तों से शिकारियों के पार्क में घुसने का खतरा ज्यादा रहता है।
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