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उत्तराखंड की राजधानी में नहीं दूसरी जगह से बनवा रहे हैं ड्राइविंग लाइसेंस, जानें वजह

दून आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस के टेस्ट में फेल होने के डर से लोग लाइसेंस बनवाने के लिए विकासनगर और ऋषिकेश जा रहे हैं। आरटीओ दफ्तर से मिले आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। दून में ड्राइविंग लाइसेंस के...

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान टीम, देहरादून। रविंद्र थलवाल , Sun, 17 Jan 2021 02:33 PM
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दून आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस के टेस्ट में फेल होने के डर से लोग लाइसेंस बनवाने के लिए विकासनगर और ऋषिकेश जा रहे हैं। आरटीओ दफ्तर से मिले आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। दून में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों का परमानेंट डीएल टेस्ट करीब डेढ़ साल से आईडीटीआर झाझरा में हो रहा हैं। यहां रोजाना टेस्ट में 30 से 40 फीसदी आवेदक फेल हो रहे हैं, लेकिन लोगों ने टेस्ट से बचने के रास्ते भी तलाश दिए हैं।

देहरादून के लोग अब लोग ऋषिकेश और विकासनगर से ड्राइविंग लाइसेंस बना रहे हैं। देहरादून आरटीओ में लर्निंग और परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाले आवेदकों की संख्या में भारी गिरावट आ आई है। वर्ष 2017 में 47 हजार 706 लोगों ने देहरादून आरटीओ दफ्तर में परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। इसमें 1241 लोग फेल हुए थे।  जुलाई 2019 में शासन के आदेश पर परमानेंट डीएल टेस्ट आईडीटीआर झाझरा शिफ्ट किया गया। यहां ट्रैक पर वाहन चलाना पड़ता है। यातायात नियमों का पालन नहीं करने पर आवेदक टेस्ट में फेल हो जाता है।

2019 में 33 हजार 610 लोगों ने ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन किया, जिसमें 1691 फेल हुए। वर्ष 2020 में 15 175 लोंगों ने आवेदन किया, जिसमें 3141 लोग टेस्ट पास नहीं कर पाए। हालांकि कोरोना काल के कारण भी आवेदकों की संख्या में कमी बताई जा रही है, लेकिन अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं कि जब से झाझरा में टेस्ट हो रहा है, तब से लोग ऋषिकेश और विकासनगर से लाइसेंस बना रहे हैं।

ट्रैक पर वाहन चलाने में छूट रहे पसीने 
दोपहिया और चौपहिया वाहन के लिए आईडीटीआर झाझरा में टेस्ट होता है। चौपहिया वाहन के लिए ट्रैक बना हुआ है। ट्रैक पर मैदान के साथ पहाड़ में भी गाड़ी चलानी होती है। इसके साथ ही यातायात नियमों का भी ध्यान रखना होता है। वाहन बैक करके भी साइड लगाना होता है। रोजाना करीब 40 फीसदी लोग टेस्ट पास नहीं कर पाते हैं। दोपहिया वाहन के लिए आठ अंक के आकार का ट्रैक बना हुआ है, जिसमें दोपहिया चलाना होता है। अधिकांश आवेदक घुमाव पर पांव नीचे रख देते हैं, जिससे फेल हो जाते हैं।

लर्निंग डीएल बनाना भी मुश्किल 
लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट पास करना भी आवेदकों के लिए मुश्किल हो गया है। वर्ष 2007 में 37 हजार 254 लोगों ने लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया, जिसमें 4 हजार 438 आवेदक फेल हुए। तब ऑनलाइन टेस्ट नहीं था, लेकिन पिछले तीन सालों से ऑनलाइन टेस्ट हो रहा है। इसमें टेस्ट पूरा होते ही कंप्यूटर की स्क्रीन पर रिजल्ट आ जाता है। वर्ष 2019 में 39 हजार 252 लोगों ने आवेदन किया, जिसमें 14 हजार 321 लोग फेल हुए। जबकि वर्ष 2020 में 9 हजार 577 लोगों ने आवेदन किया, जिसमें 3248 लोग टेस्ट पास नहीं कर पाए।

देहरादून में वास्तव में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वालों की संख्या में कमी आई है। लोग ट्रैक पर टेस्ट देने से बच रहे हैं। ऋषिकेश और विकासनगर से लाइसेंस बनवा रहे हैं। इसका समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में मैने सचिव परिवहन से भी बात की है। हमारी कोशिश है टेस्ट ट्रैक पर ही हो।
दिनेश पठोई, आरटीओ, देहरादून 

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