देवलगढ़ स्थित 'सोम का मांडा' की लिपि की हो सकेगी पहचान
गढ़ नरेशों की राजधानी रही देवलगढ़ स्थित सोम का मांडा (गढ़वाल नरेशों का न्यायालय) स्मारक पर लगे शिलाखंडों पर उकेरी गई लिपि की पहचान होने की संभावना बन रही हैं। इसके लिए पुरातत्व विभाग उत्तर प्रदेश व...
गढ़ नरेशों की राजधानी रही देवलगढ़ स्थित सोम का मांडा (गढ़वाल नरेशों का न्यायालय) स्मारक पर लगे शिलाखंडों पर उकेरी गई लिपि की पहचान होने की संभावना बन रही हैं। इसके लिए पुरातत्व विभाग उत्तर प्रदेश व पौड़ी की टीम ने विभाग के उप अधीक्षक डा. आलोक रंजन के नेतृत्व में देवलगढ़ पहुंचकर प्राचीन सोम का मांडा के शिलालेखों पर उकेरी गई लिपि का अवलोकन कर इसकी स्टैंपिंग फोटोग्राफी की है। देवलगढ़ क्षेत्र सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास समिति के अध्यक्ष कुंजिका प्रसाद उनियाल ने बताया कि डा. रंजन के अनुसार प्राचीन लिपि के अक्षरों के ऊपर कीलनुमा जैसी वस्तु से ओवर राइटिंग भी पकड़ में आ रही है। जिससे अक्षरों की प्राचीन बनावट के स्वरूप में अंतर दिखाई दे रहा है। लेकिन लखनऊ जाकर स्टैपिंग पेपर पर उभरी लिपि की विशेषज्ञ टीम पहचान कर लेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पुरातत्व विभाग पौड़ी द्वारा स्मॉरकों से छेड़छाड़ न करने की चेतावनी लगे बोर्ड लगाए गए हैं, बावजूद कुछ जगहों पर चूना पत्थर से ओवर राइटिंग की गई है। पुरातत्व विभाग उत्तर प्रदेश की टीम ने गौरा देवी मंदिर के पुश्ते पर अंकित अजैयपाल को धर्म पाथो भंडारी करौ--, और प्राचीन सिद्धों की भटोली धार पसोला तोक में बनी समाधियों के स्टैंपिंग फोटोग्राफ भी लिए गए हैं। केपी उनियाल ने बताया कि देवलगढ़ के मठ मंदिरों, स्मारकों आदि के निर्माण काल को लेकर इतिहासकारों में मत भिन्नता है।
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