Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़रुद्रपुरJoyful Durga Puja Celebrations Begin in Dineshpur with Traditional Rituals and Cultural Programs

दिनेशपुर में दुर्गा देवी के षष्ठी स्वरूप का किया पूजन

दिनेशपुर में दुर्गा पूजा की धूमधाम से शुरुआत हुई। मां दुर्गा के आगमन पर बंगाली परिवारों में उत्सव का माहौल है। षष्ठी पूजा के तहत महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली और माता का स्वागत किया। इस वर्ष आयोजन स्थल...

Newswrap हिन्दुस्तान, रुद्रपुरWed, 9 Oct 2024 05:02 PM
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दिनेशपुर, संवाददाता। जैसे ही मां दुर्गा अपने मायके पहुंचीं, ढाक की थाप पर बेटी का स्वागत हुआ तो उलू ध्वनि से वातावरण को शुभ बनाया गया। बेटी स्वरूप मां दुर्गा के अपने परिवार के साथ आगमन पर बंगाली परिवारों में उल्लास छा गया। बेल वृक्ष के नीचे दुर्गा देवी का षष्ठी स्वरूप में पूजन किया गया। वार्षिक शारदीय दुर्गा उत्सव का संकल्प लिया गया। ब्राह्मण पुरोहित तथा सुहागिनों ने शाम को मां का वरण (आह्वान) किया। षष्ठी पूजा के बाद महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली। दुर्गा मंदिर से हरि मंदिर कामना सागर से जल लाकर मंदिर के मुख्य कलश में स्थापित किया। बुधवार सुबह 7:15 बजे महिलाओं ने सिंदूर लगाकर और मिठाई खिलाकर माता का स्वागत किया। महिलाओं ने बच्चों के सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हुए व्रत रखा। मंगलवार देर शाम से बंगाली समाज का पांच दिवसीय दुर्गा पूजा महोत्सव धूमधाम से शुरू हुआ। महाषष्ठी पर आयोजक समिति द्वारा घट स्थापना की गई। देवी का बोधन (आमंत्रण), अधिवास (स्थापना) और आरती हुई। माना जाता है कि इस दिन मां दुर्गा अपने बच्चों लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती और कार्तिकेय के साथ मायके आती हैं। दिनेशपुर दुर्गा पूजा कमेटी के अलावा काली नगर, हरिदासपुर, धर्मानगर, गूलरभोज, पिपलिया खानपुर दुर्गा पूजा समिति की ओर से दुर्गाजी का षष्ठी पूजन किया गया। काली नगर दुर्गा पूजा समिति अध्यक्ष विक्रम, दिनेशपुर दुर्गा पूजा समिति अध्यक्ष इंद्रजीत मंडल, जगदीशपुर दुर्गा पूजा समिति अध्यक्ष अमित कुमार और पिपलिया दुर्गा पूजा समिति अध्यक्ष ओमियो विश्वास ने बताया कि दुर्गा उत्सव में इस वर्ष मां के दरबार की साज-सज्जा बंगाल की तर्ज पर की गई है। माता की मूर्ति व आयोजन स्थल को भी एक समान रंगों से सजाया गया है। मां का षष्ठी स्वरूप में पूजन किया गया। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम और मां के आगमन गीत हुए। बताया कि गुरुवार सप्तमी को नौ दिव्य वृक्षों की डालों को दुर्गा स्वरूप मानकर उनका महास्नान कराकर प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके साथ ही देवी को प्राणदान और चक्षुदान के साथ सप्तमी की महापूजा भी होगी। अष्टमी के दिन सुबह देवी की राजोच्चार के साथ महापूजा होगी। इसमें दुर्गा देवी का चामुंडा स्वरूप में 108 पद्म पुष्पों व 108 दीपकों से बीज मंत्रों द्वारा आराधना की जाएगी।

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