कथावाचिका ने रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया
दिनेशपुर के वार्ड नंबर दो में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन, कथावाचिका वृन्दा देवी ने रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को पति मान लिया था, जबकि उसका भाई रुक्मी श्रीकृष्ण का...
दिनेशपुर, संवाददाता। दिनेशपुर वार्ड नंबर दो में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचिका वृन्दा देवी ने रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी बुद्धिमान, सुंदर और सरल स्वभाव वाली थीं। पुत्री के विवाह के लिए पिता भीष्मक योग्य वर की तलाश कर रहे थे। राजा के दरबार में जो कोई भी आता, वह श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की प्रशंसा करता। कृष्ण की वीरता की कहानियां सुनकर देवी रुक्मिणी ने उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया था। वहीं रुक्मिणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदि नरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मिणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेश वाहक से श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं को युद्ध में परास्त कर रुक्मिणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। इसके साथ ही कथा वाचिका ने कृष्ण सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया। इसके बाद पूर्णाहुति हुई, जिसमें ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कथा के बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर विधायक अरविंद पांडे, निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष सीमा सरकार, निवर्तमान वार्ड आठ सभासद सत्यजीत विश्वास, जिला योजना सदस्य गोविंद मंडल, सविता राय, एलबी राय, शंकर कविराज, उर्मिला, प्रतिमा लिपिका, नित्यो मंडल, सुकुमार सरकार, हिमांशु सरकार, सोनू गाबा, विक्की राय समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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