सितारगंज, नानकमत्ता और शक्तिफार्म में बच्चों ने किया देहली पूजन
चैत्र माह के आगमन पर फूलदेई पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस माह अनेक पुष्प खिल जाते हैं, जिनमें फ्यूंली, लाई, ग्वीर्याल, किनगोड़, हिसर, बुरांस आदि...
सितारगंज, शक्तिफार्म और नानकमत्ता में फूलदेई पर्व की धूम रही। पर्व को लेकर बच्चों खासकर बेटियों में खासा उत्साह दिखा। कन्याओं ने घर-घर जाकर देहली पूजन कर सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। लोगों ने उन्हें दक्षिणा, चावल और उपहार दिये। बता दें फ्यूंली, लाई, ग्वीर्याल, किनगोड़, हिसर, बुरांश आदि पुष्प से हिन्दू नववर्ष का स्वागत किया जाता है।
रविवार को पर्वतीय समाज के लोगों ने फूलदेई पर्व धूमधाम से मनाया गया। बच्चों ने घरों और मंदिरों के दरवाजों पर ‘फूल देई, छम्मा देई, दैंणी द्वार, भर भकार, यो देली सौं, बारंबार नमस्कार के स्वरों के साथ फूल डाले। लोगों ने बच्चों को मिठाइयां, गुड़, चावल और धन भेंट किया। फूल देई को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिला। बच्चे सुबह स्नान कर साफ सुथरे कपड़े पहनकर फूल डालने निकले। लोगों ने घरों में अनेक पकवान बनाकर अपने आराध्य को अर्पित किए। बच्चों ने देव मंदिरों में फूल अर्पित कर सुख शांति की कामना की। पुजारियों ने बच्चों को प्रसाद दिया।
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भिटौली का महीना हुआ शुरू
फूल संक्रांति के दिन से भिटौली देने का महीना भी शुरू हो गया है। नानकमत्ता में विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा ने फूलदेई पर्व पर शुभकामनाएं देते हुए कहा लोकपर्व ‘फूलदेई हमारी संस्कृति को उजागर करता है। साथ ही यह पर्व पहाड़ की परंपराओं को भी कायम रखे हुए है। उन्होंने कहा प्रकृति से जुड़ा फुलदेई का पर्व हमें प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों की भी याद दिलाता है। जो हमारे दिनचर्या, ऋतुओं और उसके वैज्ञानिक पक्ष से जुड़ा हुआ है। किसी भी समाज के विकास के लिए वहां के रीति-रिवाज और लोक पर्वों का भी विशेष योगदान होता है।
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