उत्तराखंडी संगीत की जड़ें प्रकृति से जुड़ी है: मेयर
भारत भूमि गेस्ट हाउस में सात दिवसीय हिमालय निनाद कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थियों को लोक वाद्य यंत्र, उसके महत्व, उपयोगिता,...
ऋषिकेश। हमारे संवाददाता
भारत भूमि गेस्ट हाउस में सात दिवसीय हिमालय निनाद कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थियों को लोक वाद्य यंत्र, उसके महत्व, उपयोगिता, वैज्ञानिक व आध्यात्मिक तथ्यों की जानकारी दी गई।
शनिवार को जीएमवीएन के भारत भूमि गेस्ट हाउस में सात दिवसीय हिमालय निनाद कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला का उद्घाटन मेयर अनिता ममगाईं ने किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के संगीत में प्रकृति का वास है। यहां के गीत, संगीत की जड़ें प्रकृति से जुड़ीं हैं। समय के साथ यहां के गीत-संगीत धूमिल होने लगे हैं, पुराने लोकवाद्य यंत्रों की जगह नए वाद्य यंत्रों ने ले ली हैं। इसके चलते युवा पीढ़ी अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों से दूर होती जा रही है। कहा कि उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्रों का महत्व जितना आध्यात्मिक है, उससे ज्यादा इनमें वैज्ञानिकता भरी हुई है। लेकिन वर्तमान में अनेक लोक वाद्य यंत्र विलुप्ति के कगार पर हैं, इन्हें सामूहिक प्रयास से संजोया जा सकता है। लोक वाद्ययंत्रों में आंचलिक संस्कृति की छाप होती है। बताया कि एचएनबी गढ़वाल विवि, उमंग संस्था व नमामि गंगे के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में प्रतिभागियों को सात दिनों तक लोक संस्कृति व वाद्य यंत्रों से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान कलाकारों ने ढोल, दमाऊं आदि बजाकर सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। मौके पर गणेश कुकशाल, रामचरण जुयाल, डॉ. सर्वेश उनियाल, पार्षद विजय बडोनी, विजेंद्र मोगा, पवन शर्मा, यसवंत रावत, नेहा नेगी, प्रकांत कुमार, अक्षत खेरवाल, राजू शर्मा, रेखा सजवाण आदि उपस्थित थे।
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