पांडवों का उत्तराखंड से आत्मिक संबंध रहा:आचार्य मैठाणी
उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय मोहन सिंह रावत की याद में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में जगतगुरु रामानंदाचार्य ने उन्हें अद्भुत संत की उपाधि दी। उन्होंने गांववासी के कार्यों की सराहना की और...
उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय मोहन सिंह रावत गांववासी की वार्षिकी ´पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा में कृष्ण कुंज से जगतगुरु रामानंदाचार्य महाराज आये। उन्होंने स्व. मंत्री के परिजनों और मुन्नी देवी रावत एवं विमल रावत से भेंट की। रुक्मणि धर्मशाला में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन आचार्य डॉ. मैठाणी ने पांडव प्रसंग के संदर्भ में कहा कि पांडवों का इस देवभूमि उत्तराखंड से अत्यंत आत्मिक संबंध रहा। स्वर्गरोहण जाने से पूर्व भी पांडव भगवान केदारनाथ की शरण में आए थे। श्रीमद् भागवत के अनुसार जीवन के अंतिम क्षणों में पांडव अपने स्वजन वृद्ध माता कुंती एवं धृतराष्ट्र आदि को हरिद्वार में स्थापित कर उत्तरापद की ओर प्रस्थान कर गए थे। उनका मार्गदर्शन उनके कुलगुरु महर्षि धौम्य ने किया था। महाभारत के अनुसार तत्कालीन उत्तराखंड के मार्गों की दशा का वर्णन करते हुए महर्षि धौम्य ने भीम से कहा लघुर भाव: अर्थात अपने शरीर को छोटा बना लो, क्योंकि यहां का मार्ग बहुत संकरा है। यहां के मंदिरों को जगह-जगह स्थापित करते हुए पांडव आगे बढ़े। यह भूमि शांति सद्भाव एवं देवताओं की भूमि है, जिसके कण-कण में ईश्वर का निवास है।
रामानंदाचार्य ने गांववासी के कार्यों को सराहा
कथा में कृष्ण कुंज से आए जगतगुरु रामानंदाचार्य ने स्वर्गीय मोहन सिंह गांववासी को एक अद्भुत संत की उपाधि देते हुए कहा कि उन्होंने समाज के कल्याण और सौहार्द के लिए अतुलनीय कार्य किया। ऐसा कोई धाम और सिद्ध स्थान नहीं है, जिसमें गांववासी न गए हों तथा उसके जीर्णोंद्धार के लिए उन्होंने शासन को प्रेरित न किया हो। उत्तराखंड की देव संस्कृति के प्रचार और प्रसार के लिए सामूहिक रूप से देवड़ोलियों का कुंभ में देवस्नान और भव्य स्वरूप के साथ शोभा यात्रा कर महत्वपूर्ण प्रदान योगदान दिया। 2010 के महाकुंभ में देश और दुनिया के लोगों ने दिव्य भूमि उत्तराखंड की आध्यात्मिक ऊर्जा के दर्शन किए, जिसके लिए हमेशा उनका स्मरण होता रहेगा। कथा में बंशीधर पोखरियाल, डॉ धीरेंद्र रांगड़, महंत रवि शास्त्री, ज्योति सजवान, आसाराम व्यास, विशाल मणि पैन्यूली, संजीव रौथान, भगवान सिंह रांगड़, सुरेन्द्र केंतुरा, हेमंत नेगी, महेंद्र रावत रामांबल्लभ भट्ट, द्वारिका बिष्ट, रूक्मणी रौतेला, पीताम्बर दत्त बूढ़ाकोटी, लक्ष्मी बूढ़ाकोटी आदि ने भागवत कथा का श्रवण किया।
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