एक दूजे में हरि को देखने से मिट जाते हैं राग द्वेष: मोरारी बापू
प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि हमें परस्पर मैत्री भाव को अपनाना चाहिए और राग-द्वेष से दूर रहना चाहिए। उन्होंने श्रीराम कथा के दौरान मृत्यु को वस्त्र बदलने के समान बताया और युवाओं से माता-पिता...
प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि परस्पर मैत्री भाव कठिन लगे, तो हम किसी से राग द्वेष न करें। परस्पर एक दूसरे में हरि को देखने से राग द्वेष मिट जाते हैं। बुधवार को मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद खेल मैदान में चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन जीवन में दुख ही है, ऐसा मत सोचो। मृत्यु को वस्त्र बदलने की भांति समझो जो नए जीवन लेने का आगाज है। उन्होंने कहा कि साधू संतों से सुना है कि खर-दूषण का वध करना नामुमकिन था। दोनों को राग-द्वेष रूपी माना गया है। उनकी सेना के चौदह हजार सैनिक मरते ही नहीं थे। युद्ध के समय सैनिकों को एक-दूसरे में राम दिखने लगे, तो उन्होंने आपस में एक दूसरे का वध कर दिया। कहा कि ब्रह्म विचार वो उत्कृष्ट उच्चतम कोटि का है, जो स्वयं ब्रह्म प्रकट करें। कहा कि कृष्ण स्वयं ब्रह्म है और गीता जो सर्वभौम स्वीकारीय है। उसके बारहवें अध्याय में आठ श्लोकों में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ब्रह्म विचार प्रस्तुत किए हैं। मान अपमान से तनिक भी विचलित नहीं होना चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवित माता-पिता बुजुर्गों की खूब सेवा करनी चाहिए और अगर वो जीवित नहीं हैं तो उनका खूब स्मरण करना चाहिए।
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