हरि नाम संकीर्तन से ही मिलता है मोक्ष: मोरारी बापू
प्रसिद्ध कथा मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहा कि कलयुग में मोक्ष प्राप्ति का एकमात्र आधार हरि नाम संकीर्तन है। उन्होंने श्रीराम कथा में बताया कि सतयुग में ध्यान और यज्ञ का महत्व था, लेकिन कलयुग में केवल नाम...
प्रसिद्ध कथा मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहा कि सतयुग में ध्यान करने से परमात्मा की प्राप्ति होती थी। उसी प्रकार कलयुग में परमात्मा का नाम ही केवल आधार है। कलयुग में केवल हरि नाम संकीर्तन से ही मोक्ष प्राप्त होता है। शुक्रवार को पूर्णानंद मैदान में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन मोरारी बापू ने कहा कि ब्रम्ह वो होता है जो अखंड होता है। बाल्यकाल में एक दिन हनुमान भूख से परेशान हो गए और उन्होंने पास के पेड़ पर लाल पका फल देखा। हनुमान ने सूर्य को ही लाल फल समझ लिया। वे सूर्य को निगलने के लिए निकल पड़े। अमावस्या के दिन राहु सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे, लेकिन हनुमान ने सूर्य को ग्रहण लगाने से पहले ही उसे निगल लिया। सूर्य को निगलने के बाद सारा जगत सूर्य के बिना त्राहिमाम कर रहा था। इंद्रदेव सफ़ेद हाथी पर सवार होकर आए और उन्होंने देखा कि हनुमान सूर्य को अपने मुंह में रखकर खेल रहे हैं। इंद्रदेव ने हनुमान पर वज्र से हनु पर प्रहार किया। शास्त्रो में प्रमाण है कि उनकी हनु अखंड है, तनिक भी उसमें विकार नहीं आया। उनके पास हनु हैं, इसलिए उन्हें हनुमान कहते हैं। कलयुग में परमात्मा का नाम लेकर ही मोक्ष मिलता है। कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर-सुमिर नर उतरी पारा। कलयुग में केवल हरि नाम संकीर्तन ही भवसागर से पार करने वाली वह नैया है, जिस पर बैठकर पापी मनुष्य भी भव से पार हो जाता है। सतयुग में यज्ञ, द्वापर में दान, त्रेता में तप की बड़ी महिमा थी। लेकिन इन सब में कलयुग की महिमा को बड़ा ही महान बताया गया है।
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