संसारियों के लिए भजन ही ब्रह्म विचार: मोरारी बापू
प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने श्रीराम कथा के दौरान भगवान राम, भरत और मारुति नंदन का गुणगान किया। भक्तों की भारी भीड़ ने कथा के रसपान में भाग लिया, जहां बापू ने राम के चरण पदुका भरत को सौंपने का...
प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने श्रीराम कथा में भगवान राम और भरत के साथ ही मारुति नंदन का गुणगान किया। ताड़का वध समेत उन्होंने कथा में विश्वामित्र का भी वर्णन किया। श्रीराम कथा में रसपान के दौरान भक्त पूरी तरह से मंत्रमुग्ध दिखे। गुरुवार को श्रीराम कथा के आठवें दिन मुनिकीरेती स्थित खेल मैदान में भक्तों की भारी भीड़ जुटी। ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्रों से भी मोरारी बापू के मुख से श्रीराम कथा के रसपान को पंड़ाल पूरी तरह से पैक नजर आया। कथा में मोरारी बापू ने चिर-परिचत अंदाज में मारुति, मंत्र, मानस और माला का वर्णन किया। कहा कि हम जैसे संसारियों के लिए भजन ही ब्रह्म विचार है। भगवान राम की चर्चा करते हुए बापू ने श्रीराम के चरण पदुका भरत को सौंपने के रहस्य को भी बड़े सुंदर और सहज ढंग से बताया। बोले, राजा और साधु को बिना चरण पादुका के नहीं चलना चाहिए। उन्होंने कथा में भक्तों को मारुति का दर्शन कराते हुए सराबोर भी किया। कथा के क्रम में ताड़का वध से राम के अवतार कार्य का आरंभ बताया। कहा कि विश्वामित्र राम को देखकर भ्रम की स्थिति में थे, लेकिन ताड़का वध के बाद उन्हें यह विश्वास हुआ कि राम ही पूर्ण ब्रह्म हैं। बापू ने बताया कि गीता में भगवान कृष्ण ब्रह्म विचार कहते हैं कि यज्ञ और दान को कभी भी विस्मृत नहीं करना चाहिए। उन्होंने संसार में साधु संगति और साधु विचार को अति दुर्लभ बताया है।
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