Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़ऋषिकेशForensic Nursing Seminar at AIIMS Rishikesh Importance in Criminal Justice

फोरेंसिक साइंस के गूढ़ रहस्यों से रूबरू हुए नर्सिंग विद्यार्थी

एम्स ऋषिकेश के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में फॉरेंसिक नर्सिंग पर संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें विशेषज्ञों ने नर्सों की भूमिका को उजागर किया। फॉरेंसिक नर्सिंग न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण है, खासकर हिंसा और...

Newswrap हिन्दुस्तान, रिषिकेषSun, 10 Nov 2024 05:33 PM
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एम्स ऋषिकेश के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में फॉरेंसिक नर्सिंग विषय पर रविवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को संबंधित विषय से संबंधित गूढ़ जानकरियों से रूबरू कराया। बताया गया कि अपराध के प्रति लोगों को जवाबदेह ठहराने के साथ न्याय प्रणाली की सहायता करने में फॉरेंसिक नर्सिंग अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण विषय खासकर हिंसा, दुर्व्यवहार और आघात से जुड़े मामलों में चिकित्सक की देखभाल और कानूनी प्रणाली के बीच की खाई को पाटता है। अपराधों की जटिलतम गुत्थियों को सुलझाने में कानून के लिए मददगार साबित होता है। संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर मीनू सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर डॉ. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार मित्तल और प्राचार्य नर्सिंग प्रोफेसर डॉ. स्मृति अरोड़ा ने भाग लिया। वक्ताओं ने महत्वपूर्ण आपराधिक मामलों के प्रबंधन और दुर्व्यवहार के पीड़ितों की देखभाल में नर्सों की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला। डीन प्रो. जया ने बताया कि अब ऐसे मामलों की गंभीरता बढ़ गई है। लिहाजा नर्सेस साक्ष्य एकत्रीकरण, उन्हें संरक्षित करने और साक्ष्यों का दस्तावेजीकरण कर सकती हैं। जिनका उपयोग संबंधित केस की न्याय प्रक्रिया के दौरान आपराधिक जांच और कानूनी कार्यवाही में किया जा सकता है। आईक्यू सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग साइंसेज, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल की प्रिंसिपल डॉ. जयदीपा ने भारत और विश्व स्तर पर फोरेंसिक नर्सिंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर भूमिका पर व्याख्यान दिया। एम्स ऋषिकेश के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. आशीष भूटे ने 'पीड़ित और आरोपी के अधिकार' विषय पर प्रकाश डाला। एमवीएएसएमसी, उत्तर प्रदेश के फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अरिंदम चटर्जी ने 'पीड़ित की जांच और साक्ष्य के संरक्षण' पर एक सत्र लिया। संस्थान के फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. बिनय कुमार बस्तिया ने 'भारतीय न्यायिक प्रणाली और फोरेंसिक से संबंधित कानूनी प्रक्रिया' के बारे में बताया। इस अवसर पर सह-आयोजन सचिव डॉ. ज्योति शौकीन द्वारा विशेषज्ञों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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