Hindi NewsUttarakhand NewsRishikesh NewsComplete Treatment for Tuberculosis AIIMS Rishikesh Launches Special Campaign

टीबी है तो घबराएं नहीं, एम्स करेगा उपचार

एम्स ऋषिकेश ने क्षय रोग (टीबी) के उपचार के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। पल्मोनरी विभाग की ओपीडी में रोगियों की स्क्रीनिंग की जा रही है, ताकि समय पर इलाज किया जा सके। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत...

Newswrap हिन्दुस्तान, रिषिकेषThu, 9 Jan 2025 06:34 PM
share Share
Follow Us on

क्षय रोग की बीमारी अब लाइलाज नहीं रही। इसका सम्पूर्ण इलाज संभव है। एम्स ऋषिकेश ने इस बीमारी के खात्मे के लिए विशेष अभियान संचालित किया है। इस अभियान के तहत एम्स के पल्मोनरी विभाग की ओपीडी में आने वाले प्रत्येक रोगी से पूछताछ कर इसके लक्षणों के बारे में स्क्रीनिंग की जा रही है। ताकि चिन्हित किए गए रोगी का समय रहते इलाज शुरू किया जा सके। क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाने के लिए 9 सितम्बर 2022 को देश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की गई थी। यह एक ऐसी गंभीर किस्म की संक्रामक बीमारी है जो ट्यूबर कुलोसिस वैक्टीरिया के कारण होती है और रोगी के फेफड़ों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। हवा के माध्यम से एक-दूसरे में फैलने वाले इस रोग से निपटना एक चुनौती है। संस्थान के पल्मोनरी विभाग की प्रोफेसर डॉ. रुचि दुआ ने बताया कि 2017 में टीबी उन्मूलन अभियान के तहत डॉट्स ( डायरेक्टली ओबज्वर्ड थेरेपी शॉर्टटर्म ) सेंटर की शुरुआत की गई थी। बाद में पल्मोनरी विभाग द्वारा टीबी के लक्षणों वाले रोगियों को भी ओपीडी में देखा जाने लगा। उन्होंने बताया कि पल्मोनरी ओपीडी में प्रतिमाह लगभग 100- 120 रोगी विभिन्न प्रकार की टीबी की शिकायतों को लेकर आते हैं। ओपीडी में रोगी से टीबी लक्षणों के बारे में व्यापक पूछताछ कर लक्षण पाए जाने पर आवश्यक जांचों के बाद दवाओं के माध्यम से इसका इलाज करने हेतु विशेष प्रोटोकाल निर्धारित किया गया है। पल्मोनरी विभाग के हेड प्रो. गिरीश सिंधवानी ने बताया कि टीबी पर पूरी तरह नियंत्रण पाने के लिए पल्स पोलियो अभियान की तरह इस बीमारी के प्रति भी जन-जागरूकता अभियान को डोर टू डोर पंहुचाना होगा।

टीबी के प्रमुख लक्षण-

लंबे समय तक सूखी खांसी आना, खांसी आने पर बलगम या फिर खून आना, बैचेनी और सुस्ती महसूस होना, सांस लेते वक्त सीने में दर्द होना, भूख कम लगना और वजन कम होना और अक्सर हल्का बुखार रहना इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं। डॉ. रुचि दुआ ने बताया कि इस बीमारी के लक्षण देरी से पता चलने के कारण इसका खात्मा करना स्वयं एक चुनौती है।

सोमवार और बुधवार को होती है ओपीडी

एम्स के पल्मोनरी विभाग में सोमवार और बुधवार को सामान्य मरीजों के लिए ओपीडी का दिन निर्धारित है। ओपीडी के इन दोनों दिनों में टी.बी के लक्षणों वाले रोगियों की जांच भी की जाती है। यहां सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के तहत इलाज की सभी सुविधाएं मुफ्त हैं। थूक, बलगम से संबंधित जांच, रिजिड ब्रोंकोस्कोपी और एंडोस्कोपी, ईबीयूएस-एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड और थोरैकोस्कोपी जैसी विशेष एंडोस्कोपी की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

कोट

गंभीर किस्म की प्रत्येक बीमारी का इलाज करना एम्स ऋषिकेश की प्राथमिकता है। टीबी रोगियों के लिए राज्य सरकार के सहयोग से अस्पताल के ओपीडी एरिया में एक टीबी क्लीनिक भी संचालित किया जा रहा है। क्षय रोग को खत्म करने के लिए जन भागीदारी होनी बहुत जरूरी है। संस्थान द्वारा संचालित ड्रोन मेडिकल सेवा के माध्यम से भी हम उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती इलाकों चम्बा, यमकेश्वर और टिहरी आदि स्थानों तक टीबी की दवा पहुंचा रहे हैं।

-प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक एम्स ऋषिकेश।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें