एचपीएलसी तकनीकी अनुसंधान में ला सकती बदलाव
एम्स ऋषिकेश में परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी प्रशिक्षण कार्यक्रम दवा विकास में एचपीएलसी तकनीक की उपयोगिता जानी दवा विकास में एचपीएलसी तकनीक की उप
एम्स ऋषिकेश में परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी) प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें प्रतिभागियों को बायोमेडिकल रिसर्च, क्लीनिकल डायग्नोस्टिक्स और व्यक्तिगत दवा विकास में एचपीएलसी तकनीक की उन्नत उपयोगिता की जानकारी दी गई। बुधवार को एम्स में आयोजित कार्यक्रम में फार्माकॉलोजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेन्द्र हाण्डू ने व्यक्तिगत दवा विकास और शोध कार्यों में उपयोगी सिद्धांतों और तकनीकी दक्षता पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को एचपीएलसी उपकरणों के व्यावहारिक अनुभव और दवाओं के स्तर की निगरानी, बायोलॉजिकल सैंपल के विश्लेषण और बायोमार्कर की पहचान जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी दी और कौशल प्रदान किया।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रोफेसर पुनीत धमीजा ने यह तकनीक शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण, समस्या समाधान, और कैरियर उन्नति के नए अवसर खोलती है। कहा कि एचपीएलसी जैसी तकनीक न केवल अनुसंधान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, अपितु छात्रों और पेशेवरों को वैश्विक मानकों पर खरा उतरने में भी सक्षम बना सकती है। एम्स भटिंडा के फार्माकोलॉजी विभाग के सहायक आचार्य एवं प्रशिक्षण विशेषज्ञ डॉ. विकास कुमार ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रतिभागियों को चिकित्सा अनुसंधान और चिकित्सीय नवाचारों में योगदान देने के लिए तैयार करना है।
कार्यक्रम के प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. ज्ञानवर्धन ने प्रतिभागियों को इसे उद्योग की बदलती जरूरतों के अनुसार कौशल विकास का उत्कृष्ट मंच बताया। कार्यक्रम में उत्तरांचल विश्वविद्यालय, बीएचयू, विवेक कॉलेज, शिवालिक कॉलेज और देवभूमि विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों के बीफार्मा, एमफार्मा और पीजी स्तर के छात्रों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान फार्माकोलॉजी विभाग के विभिन्न संकाय सदस्य, एसआर, जेआर सहित कई अन्य मौजूद रहे।
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