दारमा में 70 दिन बाद भी नहीं बन सका पुल
::::::::::::आपदा::::::::::::::::::::::::आपदा:::::::::::: - 12 जुलाई को अतिवृष्टि में बह गया था पुल, तब से लोगों की आवाजाही भगवान भरोसे - पानी की योजना
धारचूला, संवाददाता। दारमा में आपदा के 70 दिन से अधिक समय बाद भी बहा पुल नहीं बनने से फिलम के लोगों को भारी परेशानी हो रही है। गांव के लोगों ने स्वयं नदी में लकड़ी के डंडे डाल उस पर पट्टे बिछाकर आवाजाही की व्यवस्था की है। तेज बारिश व नदी के बहाव में बहने का खतरा बना हुआ है। 12जुलाई की आपदा में यहां गांव को एनएच से जोड़ने वाला लकड़ी का पुल बह गया था। इस दौरान पहुंच मार्ग को भी इससे काफी नुकसान पहुंचा था। स्थानीय जयेन्द्र फिरमाल ने बताया कि बारिश के कारण पेयजल लाइन भी ध्वस्त है। गांव की सुरक्षा वॉल को भी खतरा हो गया है। कहा कि आपदा के बाद लोनिवि के अधिशासी अभियंता ने प्रस्ताव पुल निर्माण के लिए तैयार कर भेज दिया, इस पर आगे अभी कोई कार्रवाई नहीं होने से पुल का निर्माण नहीं हो पा रहा है।इसी तरह नदी से कटाव रोकने को भी प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, पर उस पर भी कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने व कई ग्रामीणों ने शीघ्र पुल व गांव की सुरक्षा के कार्य करने की मांग की है। कहा है कि शीतकाल से पहले ऐसा किया गया तभी इसका लाभ ग्रामीणों को इस सीजन में मिल सकेगा।
मुनस्यारी- बंद सड़क व रास्तों के बीच पहाड़ी को रस्सी के सहारे पार कर आवाजाही कर रहे लोग
मुनस्यारी। मुनस्यारी मिलम मार्ग में आवाजाही लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। घोड़ा लोटाउन, मर्तोली , लासपा गांव के पहले , बर्फू और मिलम के बीच में यह रास्ता टूट गया है। गनघर के बीच पुल नहीं है । जिससे लोग रस्सी के सहारे आवाजाही करने को मजबूर हैं। यहां चलने लायक रास्ता नहीं होने के कारण लोग सीधी पहाड़ी को रस्सों के सहारे पार कर किसी तरह वापसी कर रहे हैं। इससे बीमार व बुजुर्गों को खासी परेशानी हो रही है। माइग्रेशन गांवों से लोगों के लिए मवेशियों के साथ वापसी करना भी चुनौती बन गया है। यहां पहाड़ी से रस्सी पकड़कर लोगों की आवाजाही का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है।
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