बोले गढ़वाल : गडोली मोहल्ले में पेयजल लाइनें तो हैं पर पर्याप्त पानी नहीं आता
पौड़ी के गडोली चरणगांव मोहल्ले में पेयजल किल्लत और खराब बुनियादी ढांचे ने स्थानीय निवासियों को परेशान कर रखा है। यहां पेयजल आपूर्ति की स्थिति दयनीय है, जिससे लोग प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर हैं। सफाई,...
पौड़ी के शहरी व उससे लगे क्षेत्रों में विकास के बुनियादी ढांचे को खड़ा करने में नगरपालिका लड़खड़ाती नजर आ रही है। इसका उदाहरण देखने को मिलता है गडोली चरणगांव मोहल्ले में, जहां पेयजल किल्लत ने स्थानीय जनता की मुसीबत बढ़ा दी है। कहने को पेयजल लाइनें तो हैं लेकिन पेयजल संकट बना हुआ है। स्थिति ये है कि स्थानीय निवासियों को प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। पौड़ी से अनिल भट्ट की रिपोर्ट...
साफ सफाई, पानी, रास्ते, स्ट्रीट लाइट, नाली और कूड़ा निस्तारण जैसी बेहद मूलभूत आवश्यकताओं को भी यदि नगरनिकाय की इकाइयां उपलब्ध करवाने में नाकाम साबित हो रही हों तो फिर उनके औचित्य पर सवाल उठने लाजिमी हैं। कुछ इसीकी बानगी दिखती है नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गडोली चरणगांव मोहल्ले में। करीब 800 की आबादी वाले इस मोहल्ले के लोग पेयजल, साफ सफाई, पानी, रास्ते, स्ट्रीट लाइट्स, नाली और कूड़ा निस्तारण जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी तरस रहे हैं। कहने को तो इस क्षेत्र में नानघाट पेयजल योजना से पेयजल आपूर्ति की जाती है लेकिन उसकी स्थिति इस कदर दयनीय है कि मोहल्लेवालों को एक समय का पानी भी उससे नसीब नहीं हो पाता। उन्हें मजबूरन प्राकृतिक पेयजल स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस पर भी उनकी परेशानी ये है कि ये प्राकृतिक स्रोत भी लगातार सूख रहे हैं जिस वजह से उनकी चिंता बढ़ गई है। इस मोहल्ले तक पहुंचने के लिए रास्ते भी इस कदर खराब हैं कि आप ठीकठाक पहुंच जाए तो गनीमत है। तंग रास्तों पर उग आई झाड़ियों के बीच सामान्य आवाजाही भी मुश्किलोंभरी है। रास्तों के किनारों पर क्षतिग्रस्त पुश्तों का मलबा भी आवाजाही में दिक्कतें पैदा करता है। ऐसे में जंगली जानवरों के हमले के भय के बीच जीते क्षेत्रवासियों की सुध लेने को नगरपालिका तैयार ही नहीं हैं। मोहल्ले में स्ट्रीटलाइट्स की किल्लत है।
पेयजल किल्लत से जूझ रहे हैं लोग
गडोली चरणगांव मोहल्ले में पेयजल किल्लत से त्रस्त जनता के सूखे हलक किसी तरह प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत ही तर तो कर रहे हैं, लेकिन उनके भी लगातार सूखने से उनकी पेशानी बढ़ती जा रही है। कहने को तो नानघाट पेयजल योजना से पेयजल आपूर्ति के सरकारी दावे तो हैं लेकिन एक समय भी पीने का पानी क्षेत्रवासियों को मयस्सर नहीं है। इस वजह से पेयजल लाइनें व नल शोपीस बने हुए हैं और विभाग दावों की रस्म अदायगी से ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहा है। दूर मौजूद प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों तक पहुंचना और फिर वहां से बर्तनों में पानी भरकर घर तक कच्चे तंग रास्तों पर फिसलकर चोटिल होने के खतरे के बीच पैदल पहुंचना भी किसी मुसीबत से कम नहीं है लेकिन इस ओर जल संस्थान भी लापरवाह है और नगरपालिका भी।
कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं
गडोली चरणगांव मोहल्ले में कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था ही नहीं होना नगरपालिका की स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता व उसके समर्पण की असलियत को बताता है। मोहल्ले में एक भी कूड़ादान नहीं होने, कचरा उठान व सफाईकर्मी की नियमित व्यवस्था भी नहीं होना पालिका की कार्यशैली पर ही सवाल खड़े करता है। स्थानीय निवासी अपने स्तर पर ही कचरे का निपटारा करते हैं जिससे भी उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि तंग रास्तों पर कूड़ा वाहन भले न आ पायें, लेकिन डोर टू डोर कूड़ा उठान तो पालिका करवा ही सकती है। उनका कहना है कि यदि पालिका ऐसा करवा दे तो क्षेत्र में गदंगी भी नहीं होगी और उनकी दिक्कतें भी कम हो सकेंगी।
स्ट्रीट लाइटों की कमी से लोग परेशान
मोहल्ले में ना के बराबर मौजूद स्ट्रीटलाइट्स ने भी स्थानीय निवासियों की परेशानियों को बढ़ाया हुआ है। पर्याप्त स्ट्रीटलाइट्स नहीं होने की वजह से शाम होते ही अधिकांश क्षेत्र अंधेरे में डूब जाता है। ऐसे में गुलदार समेत अन्य जंगली जानवरों का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में दिन ढलते ही लोगों की जल्द घर पहुंचने की मजबूरी तो हो ही जाती है, साथ ही मोबाइल या टार्च की रोशनी में ही उन्हें आवाजाही के लिए मजबूर होना पड़ता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि नगरपालिका को क्षेत्र में पर्याप्त स्ट्रीटलाइट्स लगानी चाहिए जिससे उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
मोहल्ले तक आने-जाने के रास्तों पर जोखिम
शहर से गडोली चरणगांव मोहल्ले तक आने-जाने के लिए जिन कच्चे संकरे तंग रास्तों पर स्थानीय निवासी आवाजाही करते हैं वो क्षतिग्रस्त भी हैं और फिसलन भरे भी। इतना ही नहीं रास्तों पर उग आई झाड़ियां जंगली जानवरों को उनमें छुपकर हमला करने में मदद करती है। आये दिन क्षेत्र में पहुंचने वाले गुलदार व अन्य जंगली जानवरों से भी खतरा बना रहता है। रास्तों के किनारों पर टूटे पुश्तों का मलबा सफाई नहीं होने की वजह से सम्पर्कमार्गों के बीच पड़ा है, जिससे सामान्य आवाजाही में परेशानियां पैदा हो रही हैं। क्षेत्रीय जनता का कहना है कि नगरपालिका को रास्तों की झाड़ियों का कटान करने के साथ ही टूटे पुश्तों के मलबे को हटाकर उन्हें ठीक करना चाहिए जिससे उन्हें दिक्कतें न हों।
सुझाव
1. क्षेत्र में पर्याप्त पेयजल आपूर्ति कर पेयजल संकट का समाधान हो। सूखते पेयजल स्त्रोतों के भी कारण तलाशे जाएं।
2. क्षतिग्रस्त रास्तों को ठीक कर उन्हें चौड़ा किया जाए और गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था हो।
3. रास्तों पर मौजूद झाड़ियों का नियमित कटान हो जिससे जंगली जानवरों को छुपकर हमला करने की जगह न मिले।
4. कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था के तहत कूड़ेदानों को रखा जाए व नियमित सफाईकर्मी की व्यवस्था हो।
5. पर्याप्त संख्या में स्ट्रीटलाइट्स लगाई जाएं जिससे जंगली जानवरों के खतरे से बचाव हो सके।
शिकायतें
1. क्षेत्र में पेयजल संकट से हो रही परेशानी। प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों पर निर्भरता से दिक्कतें।
2. कच्चे तंग और टूटेफूटे रास्तों को ठीक नहीं किया जा रहा है, जिससे परेशानियां होती हैं।
3. रास्तों पर झाड़ियों के कटान नहीं होने से जंगली जानवरों का डर बना रहता है। टूटे पुश्तों का मलबा भी रास्तों में बन रहा बाधा।
4. कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं है। न तो कूड़ेदान हैं और ना ही नियमित सफाईकर्मी की कोई व्यवस्था है।
5. स्ट्रीट लाइट्स पर्याप्त संख्या में नहीं होने से जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है।
बोले जिम्मेदार
पालिका ने विभिन्न वार्डों में झाड़ियों की सफाई के लिए अभियान शुरू कर दिया है। पथप्रकाश के लिए स्ट्रीटलाइट सुदृढ़ीकरण पर हाल में ही हुई बोर्ड बैठक में निर्णय लिया गया है। जहां पोलों की संख्या कम है और परेशानी है वहां पालिका सर्वे करवाकर पोलों की संख्या को बढ़ाएगी। पेयजल किल्लत को लेकर जलसंस्थान को अवगत कराया जाएगा।
-एसपी जोशी, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद, पौड़ी
बोले स्थानीय लोग
मोहल्ले में पैदल रास्तों की हालत काफी खराब है। काफी समय से मरम्मत नहीं हो पाई है जिससे आवाजाही में दिक्कत होती हैं। बिट्टू, स्थानीय निवासी।
चरनगांव में पानी की समस्या हल नहीं हो पाई है। प्राकृतिक स्रोतों पर भी इस बार पानी कम है जिससे दिक्कत हो रही है। गोदावरी देवी, स्थानीय निवासी।
अंधेरा होते ही क्षेत्र में गुलदार की चहलकदमी होने लगती है, झाड़ी कटान नहीं होने से खतरा रहता है। बंदर भी परेशान कर रहे। शकंुतला देवी, स्थानीय निवासी।
मोहल्ले में जगह-जगह झाडियां है इनकी सफाई नहीं हो पाती है जिससे आवाजाही में भी परेशानी बहुत होती है। जगमोहन सिंह, स्थानीय निवासी।
पर्याप्त स्ट्रीट लाइट्स नहीं होने से अंधेरे में आवाजाही को लेकर दिक्कतें रहती है। दिन ढलते ही गुलदार का खतरा बढ़ जाता है। आकाश, स्थानीय निवासी।
मोहल्ले में कई जगहों पर पुश्ते टूट गए हैं, इनका मलबा बरसात में रास्तों पर आ जाता है जिससे आने जाने में दिक्कतें होती हैं। अनुज कुमार, स्थानीय निवासी।
मोहल्ले में पानी की किल्लत है जिससे काफी दिक्कतें होती है। प्राकृतिक स्रोतों से पानी लाना पड़ता है। ऋतु देवी, स्थानीय निवासी।
मोहल्ले में पैदल रास्ते काफी संकरे भी हैं और टूटेफूटे भी। इन्हीं से होकर जाना मजबूरी है। इन पर कई जगहों पर झांडियां उग आई हैं। लक्ष्मी देवी, स्थानीय निवासी।
मोहल्ले में पैदल रास्तों पर बहुत कम पथप्रकाश की व्यवस्था है जिससे रात को इन पर चलने में दिक्कत होती है। पुष्पा देवी, स्थानीय निवासी।
मोहल्ले में कूड़ा निस्तारण के लिए नियमित तौर पर सफाई कर्मी पहुंचे तभी समस्या का समाधान हो सकता है। गायत्री देवी, स्थानीय निवासी।
मोहल्ले में पानी की सबसे अधिक दिक्कत है, जलसंस्थान से बातचीत की गई है। मोहल्ले के रास्तों को भी ठीक कराएंगे। गौरव सागर, नवनिर्वाचित सभासद।
मोहल्ले में लोगों को पेयजल के लिए प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है जिससे दिक्कतें होती हैं। मुकेश चंद्र, स्थानीय निवासी।
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