पौड़ी के धारा रोड बाजार में पार्किंग नहीं होने से रोज लगता है जाम
पौड़ी के धारा रोड बाजार में वाहनों का जाम व्यापारियों और निवासियों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। पुलिस ने वन वे ट्रैफिक व्यवस्था लागू की है, लेकिन पार्किंग की कमी और लावारिस पशुओं के कारण जाम की समस्या...
पौड़ी के प्रसिद्ध धारा रोड बाजार में वाहनों के जाम ने व्यापारियों और स्थानीय निवासियों की मुसीबतों को बढ़ाया हुआ है। जाम के झाम से बचने के लिए पुलिस प्रशासन ने वन वे ट्रैफिक की व्यवस्था को लागू तो कर दिया लेकिन बावजूद इसके बाजार में जाम लग रहा है। पार्किंग की समस्या इसका बड़ा कारण है, जिस वजह से जरा सी देर के लिए दो पहिया वाहन भी यदि सड़क किनारे खड़े हो जाए तो उतने में ही वाहनों के लम्बे जाम में फंसे लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। पौड़ी से अनिल भट्ट की रिपोर्ट...
राज्य आंदोलन की जननी रहा पौड़ी वैसे तो जिला मुख्यालय के साथ मंडल मुख्यालय भी है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की कमी ने यहां जनता के साथ व्यापारी वर्ग को भी परेशान किया हुआ है। इसी क्रम में आज बात कर रहे हैं पौड़ी के प्रसिद्ध धारारोड बाजार की। लगभग 2000 की आबादी वाले धारारोड बाजारक्षेत्र में व्यापारियों के साथ आम जनता को रोज लगते वाहनों के जाम ने परेशान किया हुआ है। बाजार की तंग सड़क पर जाम से बचने के लिए पुलिस प्रशासन ने वनवे ट्रैफिक व्यवस्था तो लागू की, लेकिन इसके बावजूद जाम की समस्या से निजात नहीं मिल सकी है। तंग सड़क के चौपहिया वाहन तो छोड़िये, यदि दो पहिया वाहन ही पार्क हो जाय तो भी जाम लग जाता है। पार्किंग की सुविधा नहीं होने व लावारिस पशुओं के जमावड़े ने भी जाम के झाम को बढ़ाया है। पौड़ी का पुराना बाजार रहा धारा बाजार का नाम तो वैसे यहां मौजूद सदियों पुराने प्राकृतिक धारे की वजह से पड़ा लेकिन आज वही धारा लगभग सूख चुका है और धारे को संवारने या उसकी रौनक लौटाने के प्रति नगरपालिका के साथ जलसंस्थान भी लापरवाह बना हुआ है। धारे के सूख जाने के बाद यहां पानी की टंकी तो लगाई गई लेकिन उसमें भी अधिकांश: पानी ही नहीं रहता है। बिजली की लाइनों के मकड़जाल ने भी दिक्कतों को बढ़ाया हुआ है। खुली नालियों पर बने चैम्बरों में जमा कचरों के ढेर से भी मुश्किलें पैदा हो रही हैं। पूरे बाजार में एक शौचालय तो है लेकिन वो भी इतना गंदा रहता है कि उसे प्रयोग करना भी आसान नहीं है।
सुझाव
1. सीवरलाइन की व्यवस्था के साथ नालियों और उनमें कचरे से चोक चैम्बरों की सफाई हो।
2. खतरे का कारण बन रहे लावारिस पशुओं का इंतजाम करे पालिका।
3. बाजारक्षेत्र में पार्किंग का इंतजाम हो और जाम का समाधान किया जाय।
4. बाजार में मौजूद शौचालय को साफ रखने की पालिका व्यवस्था करे।
5. धारे की पहचान लौटाने के साथ उसपर रखी पेयजल टंकी पर पानी की व्यवस्था हो।
शिकायतें
1. क्षेत्र में सीवरलाइन नहीं है और नालियों के चैम्बरों में फंसे कचरे की सफाई भी नहीं होती है।
2. लावारिस पशुओं के कारण बाजार में आवाजाही बेहद जोखिमपूर्ण बनी रहती है।
3. धारा रोड बाजार में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है।
4. पूरे बाजार में एक ही शौचालय है लेकिन उसकी सफाई नहीं होने से उसका उपयोग करना भी बेहद मुश्किल होता है।
5. सदियों पुराने धारे के ऊपर रखी पेयजल टंकी बिना पानी के शोपीस बनी हुई है।
बोले जिम्मेदार
शहर क्षेत्र में लावारिस पशुओं की समस्या का समाधान किया जा रहा है। पालिका की एक गोशाला देवप्रयाग रोड पर संचालित हो रही है, लेकिन इसकी क्षमता केवल 35 गायों की है। अब सिलेथ में एक गोशाला का निर्माण इन दिनों किया जा रहा है। जल्द ही यह गोशाला बनकर तैयार हो जाएगी। इससे शहर में लावारिस पशुओं की समस्या पर काफी हद तक अकुंश लग जाएगा। अन्य समस्याओं के समाधान के प्रति भी हम प्रयासरत हैं। -एसपी जोशी ,अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका।
शौचालय की सफाई में लापरवाही
पूरे बाजार में 1 ही शौचालय है, लेकिन नगरपालिका इसकी सफाई के प्रति लापरवाह रुख अख्तार किये हुए है। बेहद गंदे और बदबूदार होने के कारण उसका प्रयोग करने से भी हर कोई बचता है। ऐसे में आम जनता के साथ व्यापारियों का कहना है कि जब नगरपालिका द्वारा शौचालय लोगों की सुविधा के लिये बनाया गया है तो फिर अपने गढ़े गए स्वच्छ पौड़ी के नारे के अनुरूप उसे इस स्थिति में तो रखें कि कम से कम लोग उसका उपयोग कर सकें। इसके साथ नालियों पर बने चैम्बरों पर फंसे कचरे की सफाई के प्रति भी लापरवाही बरती जा रही है। बिजली के तारों के मकड़जाल ने भी लोगों की परेशानियों को बढ़ाया हुआ है।
धारे की लगातार उपेक्षा की जा रही
जिस धारे के नाम पर बाजार का नाम पड़ा वो आज जल संस्थान व जल संस्थान की उपेक्षा के कारण बदहाल हालत में पड़ा है। बताया जाता है कि कभी कोटद्वार रोड स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर से गूल के जरिए इस पर पानी आया करता था और इसी पानी से जनता अपनी प्यास बुझाती थी। धीरे-धीरे शहर के विकास के साथ यह गूल भी बंद होती चली गई। इसी धारे से तब लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को भी पूरा किया करते थे। सूख चूके धारे के ऊपर एक पेयजल टंकी तो रखी गई लेकिन पानी नहीं होने के कारण वो भी शोपीस ही नजर आती है। बताया जाता है कि प्राकृतिक पेयजल धारे का जीर्णोंद्धार करीब 1840 के करीब किया गया था। इसी दौरान ब्रिटिश हुकुमत ने पौड़ी को जिला भी बना दिया था। अभी भी इस धारे के ऊपर शिलालेख मौजूद हैं लेकिन इनके प्रति बरती गई लापरवाही के कारण अब इन्हें पढ़ पाना बेहद मुश्किल हो गया है।
लावारिस पशु बने लोगों के लिए परेशानी
धारारोड बाजार में लावारिस पशुओं ने भी व्यापारियों के साथ आम जनता को परेशान किया हुआ है। सड़क किनारे कूड़े में खाने की तलाश में पहुंचने वाले लावारिस पशु सड़क पर तो गदंगी बिखेर ही देते हैं लेकिन अचानक कई बार हिंसक भी हो उठते हैं। इनकी मौजूदगी की वजह से सड़क पर सामान्य आवाजाही जोखिमपूर्ण बनी रहती है। कई बार लावारिस पशुओं के आपसी संघर्ष के दौरान भी जहां लोगों के चोटिल होने की आशंका बनी रहती है तो कई बार लावारिस पशुओं के अचानक किये गए हमले में कई लोग घायल भी हो चुके हैं लेकिन बावजूद इसके नगरपालिका प्रशासन इस ओर प्रभावी कदम उठाने के प्रति लापरवाह बना है।
पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से दिक्कत
तंग धारा रोड पर जाम से बचने को वैसे तो वाहनों की सुगम और सुव्यवस्थित आवाजाही के लिए वन वे व्यवस्था को लागू किया गया है लेकिन इसके बावजूद न तो ये सुगम है और न ही ये सुव्यवस्थित ही कही जा सकती है। इसका कारण यहां रोज रोज लगता जाम और इसमें फंसकर व्यापारियों और आम जनता की परेशानियां हैं। पार्किंग की सुविधा पूरे बाजारक्षेत्र में कहीं नहीं होने के कारण और सड़क किनारों पर दोपहिये वाहनों के खड़े होने से भी जाम की स्थितियां बन जाती हैं। व्यापारियों का कहना है कि इस सड़क से केवल वाहन आते है और अपर बाजार होते हुए एजेंसी निकल जाते है। पार्किंग नहीं है तो कोई खरीददारी भी नहीं कर सकता।
केवल वाहन वन वे ही जा पाते हैं। चौपहिया वाहन के साथ दुबारा आना पड़े तो एजेंसी चौक होते हुए ा एक किमी का चक्कर काटना पड़ता है। -नरेश चन्द्र
बाजार में पहले जैसी रौनक कम है। पलायन का असर यहां के बाजार पर भी देखने को मिला है। समस्याओं का समाधान हो। -दिनेश चंद
बाजार में जो शौचालय है, अधिकांशत: उसकी सफाई नहीं होती है जिससे दिक्कतें होती हैं। इसे शाम को 8 बजे बंद भी कर दिया जाता है। -जगदीश रावत
बाजार में लावारिस पशु काफी घूमते है। इसके अलावा बंदर भी नुकसान पहुंचाते है। ये काफी लोगों को चोटिल भी कर चुके हैं।- प्रवीण रावत
बाजार में पार्किंग सुविधा नहीं होने से लोगों को दिक्कतें होती हैं। लोग सामान खरीदने के लिए अपने वाहन से नहीं आ सकते हैं। -रईस अहमद
शहर के ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है। शहर भर में सीवरेज की कोई व्यवस्था भी नहीं है जिससे परेशानियां होती हैं। -त्रिलोक रावत
बाजार में पार्किंग को लेकर काफी दिक्कत है। सड़क काफी संकरी है। ऐसे में लोगों को अपने वाहन को खड़ा करने में दिक्कत आती है। -रवींद्र पंवार
बाजार में लावारिस पशुओं के लेकर काफी परेशानी है। रात के समय में बाजार से अकेला निकलने में दिक्कत होती है। -सुमित
बाजार में पार्किंग की समस्या काफी पहले से है। चार पहिया वाहन बाजार में आने से परेशानी होती है। वन वे के बाद भी जाम लग जाता है। -मोहम्मद अंसार
लावारिस पशुओं की समस्या आए दिन बढ़ ही रही है। इसपर कदम उठाने चाहिए। बाजार में बुजुर्ग से लेकर महिलाएं और बच्चे भी आते है। -पदमेंद्र सिंह नेगी
बाजार की सड़क वन वे है, यहीं से सरकारी, निजी वाहन गुजरते है। ऐसे में बाजार में कई बार जाम लग जाता है। -मो. नसीररुद्दीन
पलायन का असर बाजारों में भी देखने को मिलता है। शहर में कारोबार में बढ़ोत्तरी के लिए कुछ कदम उठने चाहिए। -अनीस अहमद
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