स्कूलों की प्रार्थना में गढ़वाली भाषा को महत्व देने पर दिया जोर
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) की कार्य योजना की बैठक में डीएम ने स्कूलों की प्रार्थना सभाओं में गढ़वाली व कुंमाऊनी भाषा को महत्व देने पर जोर देते हुए कहा कि स्कूलों में बच्चों की संख्या के...
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) की कार्य योजना की बैठक में डीएम ने स्कूलों की प्रार्थना सभाओं में गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषा को महत्व देने पर जोर देते हुए कहा कि स्कूलों में बच्चों की संख्या के आधार पर मॉडल बनाकर बच्चों को पहाड़ के वाद्य यंत्रों की ट्रेनिंग देकर नवाचार कार्य करें। उन्होंने गढ़वाली, कुमाऊंनी भाषा व पहाड़ के पराम्परागत लोक वाद्य यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार करने को कहा। बुधवार को जिला कार्यालय में आयोजित बैठक में डीएम धीराज सिंह गब्र्याल ने कहा कि डायट की टीचर्स की टीम बनाकर ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजने को कहा। बैठक में डीएम ने किचन गार्डन वाले स्कूलों की सूची उपलब्ध कराने, जिले में कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाओं के लिए शुरू की गई गढ़वाली भाषा विषय को भी नए रिसर्च कार्यों में शामिल करने, स्कूलों के पुस्तकालय में अंग्रेजी वार्तालाप की किताब भी रखने को कहा। बैठक में डाइट के प्रवक्ता डा. महावीर सिंह कलेठा ने डाइट की वार्षिक कार्ययोजना की जानकारी दी। बताया कि पौड़ी के शिक्षक संजीव रावत ने गढ़वाली सरस्वती वंदना बनाई है। हर महीने के अंतिम शनिवार को प्रतिभा दिवस भी मनाया जाता है। हर कक्षा शुरू होने से पहले नई-नई गतिविधि से संबंधित हैपीनेस कार्यक्रम भी करवाए जाते हैं। साथ ही प्रार्थना सभाओं के दौरान योगा भी करवाया जाता है। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक केएस रावत, प्राचार्य डाइट पौड़ी डीएस आर्य, डाइट प्रवक्ता जेएस कठैत, प्रमोद नौडियाल, अरविंद सिंह, विमल ममगांई, डा. जेएस पुंडीर, अनुजा मैठाणी, वीपी सेमवाल आदि शामिल थे।
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