कुविवि में शोध नियमावली 2018 लागू करने की कवायद शुरू
कुमाऊं विवि में शोध में प्रवेश के लिए अब तक शोध नियमावली 2009 लागू...
कुमाऊं विवि में शोध में प्रवेश के लिए अब तक शोध नियमावली 2009 लागू है। इसमें आ रही व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए अब विश्वविद्यालय शोध नियमावली 2018 को लागू करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए परीक्षा अथवा साक्षात्कार का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। विषय विशेषज्ञों के मंथन के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। संभवत: 2020 से इसे प्रभावी करने की योजना है। यूजीसी और सीएसआईआर की ओर से शोधार्थियों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) प्रदान की जाती रही है। जिसमें 2015 से पहले लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को केवल पात्रता का प्रमाण प्रदान किया जाता था। 2015 से उक्त व्यवस्था में बदलाव किया गया है। अब परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को पात्रता प्रमाण पत्र के साथ ही अंकपत्र भी दिए जाने लगे हैं। कुविवि प्रशासन अब भी शोध के इच्छुक को पात्रता प्रमाणपत्र के साथ ही परास्नातक के अंकों के आधार पर शोध की अनुमति देता है। लेकिन बीते दिनों हुई काउंसलिंग में यह देखने में आया कि जेआरएफ उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को परास्नातक में कम अंक होने पर पीएचडी में प्रवेश नहीं मिल सका। जबकि उक्त विद्यार्थियों ने संबंधित परीक्षा का हवाला देते हुए अपने को श्रेष्ठ बताया। कहा कि परास्नातक में उनके अंक जरूर कम हैं, लेकिन अब कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने श्रेष्ठता साबित की है। इस व्यावहारिक दिक्कत के समाधान के लिए विवि की ने कवायद शुरू कर दी है। इसमें संबंधित विद्यार्थियों की परीक्षा अथवा साक्षात्कार होगा।
शोधार्थियों की व्यावहारिक दिक्कत को देखते हुए विवि प्रत्येक पात्र के शोध में प्रवेश के लिए प्रारूप तय कर रहा है। इस वर्ष पुरानी व्यवस्था से शोध में लगभग प्रवेश हो चुके हैं। संभवत:2020 से नई व्यवस्था लागू की जाएगी।
-प्रो.राजीव उपाध्याय, निदेशक शोध कुमाऊं विवि
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