देहरादून की नदियों में अतिक्रमण पर सचिव हाईकोर्ट में तलब
हाईकोर्ट देहरादून की नदियों में अतिक्रमण पर सचिव हाईकोर्ट में तलब देहरादून की नदियों में अतिक्रमण पर सचिव हाईकोर्ट में तलब देहरादून की नदियों में अतिक

नैनीताल, संवाददाता। हाईकोर्ट ने देहरादून की नदियों, नालों और खालों में हो रहे अतिक्रमण को लेकर दायर विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सोमवार को एक साथ सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने अतिक्रमण को लेकर सरकार की कार्यवाही पर गंभीर रुख अपनाया। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि रिस्पना नदी के किनारे दो अतिक्रमण चिह्नित किए गए हैं। कोर्ट ने रायपुर थानाध्यक्ष को इन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और मुकदमा दर्ज करने के संबंध में व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि देहरादून क्षेत्र में नदियों और नालों पर बिना मानचित्र स्वीकृति के किए जा रहे अवैध निर्माण तत्काल रोके जाएं। साथ ही, कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि दो मई तय करते हुए प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव सिंचाई डॉ. राजेश कुमार, सचिव शहरी विकास नीतीश कुमार झा एवं सचिव राजस्व एसएन पांडे को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने और हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल और उर्मिला थापर की ओर से अलग-अलग जनहित याचिकाएं दाखिल कर सहस्त्रधारा, ऋषिकेश, विकासनगर और डोईवाला क्षेत्र में नदियों की भूमि पर हो रहे अतिक्रमण और अवैध निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि सहस्त्रधारा में जलमग्न भूमि पर भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे जल स्रोतों के सूखने और पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है। वहीं, अन्य याचिकाओं में दावा किया गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांगों पर अत्यधिक अतिक्रमण हुआ है। देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश और डोईवाला में क्रमश: 15-15 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण की जानकारी कोर्ट को दी गई है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से ठोस कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा है।
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