'साकारात्मक सोच से ही आनंदमय होता है मानव जीवन'
श्री नंगली दरबार मेरठ से आए संत श्री ध्यान प्रेमानंद और संत श्री आलोक प्रेमानंद ने सत्संग में सकारात्मक सोच के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मानव को अपने इष्ट का ध्यान और भक्ति करनी चाहिए, जिससे...
श्री नंगली दरबार मेरठ से आए संत श्री ध्यान प्रेमानंद और संत श्री आलोक प्रेमानंद ने शुक्रवार को राजीवनगर और बांके नगर में सत्संग के दौरान कहा कि साकारात्मक सोच से ही मानव जीवन आनंदमय होता है। राजीवनगर कॉलोनी में बृजलाल यादव एवं बांके नगर में रामपाल सिंह के आवास पर श्री नंगली दरबार मेरठ से आए संत श्री ध्यान प्रेमानंद महाराज और संत श्री आलोक प्रेमानंद महाराज ने सयुंक्त रूप से सत्संग को संबोधित किया कि मानव जो कष्ट पाता है वह सब प्रारब्ध के अनुसार ही पाता है। मानव को अपने इष्ट का ध्यान सेवा सिमरन करना चाहिए तभी उस परमात्मा की कृपा के फलस्वरूप मानव को मोक्ष प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि प्रभु की भक्ति करने से मानव को जो ज्ञान प्राप्त होता है वह आलौकिक होता है। उन्होंने कहा कि ये मानव चोला उस परमात्मा का ही अंश है। ये शरीर उस परम पिता परमेश्वर की धरोहर है। इस मौके पर प्रसााद वितरित किया गया। मौके पर संत श्री बोधानंद जी, विनम्र प्रेमानंद जी, अनामिका दीदी, बृजलाल यादव, कांता यादव, तुलाराम यादव, विमला यादव, गुलाब सिंह, दिग्विजय सिंह, अक्षित यादव, राधा, प्रभा यादव, अनीता यादव, वेदांत यादव, मंजू, अरूही आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।
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