Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़काशीपुरIIT Roorkee Proposes Dron Sagar Lake Recharge Project for Tourism Development

1.08 करोड़ से रिचार्ज होगी द्रोण झील

महाभारत कालीन इतिहास का साक्षी रहे तीर्थ द्रोणसागर को 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना में सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। पहले फेज में इस मद में 4.57 क

Newswrap हिन्दुस्तान, काशीपुरThu, 7 Nov 2024 05:52 PM
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- आईटीआई रुड़की ने झील का सर्वे कर तैयार किया प्रस्ताव - डेस्टिनेशन योजना के द्वितीय फेज के लिए बना रहे इस्टीमेट

काशीपुर, संवाददाता। द्रोणसागर तीर्थ का 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना के तहत सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। पहले फेज में इस मद में द्रोण झील में 4.57 करोड़ से काम हो चुके हैं। दूसरे फेज में 1.08 करोड़ से द्रोण झील को रिचार्ज किया जाएगा। आईआईटी रुड़की ने सर्वे कर प्रोजेक्ट तैयार किया है। फेज टू के अन्य कार्यों के लिए आर्किटेक्ट प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। काशीपुर डेवलपमेंट फोरम (केडीएफ) ने द्वितीय फेज के काम को लेकर कई सुझाव दिए हैं।

काशीपुर का द्रोणसागर व गोविषाण टीला खुद में महाभारत कालीन इतिहास समेटे है। मान्यता है कि यहां गुरु द्रोण ने पांडवों को धनुर्विद्या सिखाई थी। सरकार ने इसे 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना में शामिल किया है। केएमवीएन ने पहले चरण में 4.57 करोड़ से यहां म्यूरल वॉल, पार्किंग, फूड कोर्ट, ओपन एयर थियेटर, लेजर शो, फुटपॉथ वे, किड्स जोन, ग्रीन बेल्ट, दुकानों के साथ आंतरिक मार्गों का निर्माण कराया है। सहायक अभियंता मनोज मासीवाल ने बताया कि डेस्टिनेशन को ऐतिहासिक लुक देने को पुरातत्व विभाग की मदद ले रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से झील को रिचार्ज कर उसके चारों ओर टाइल्स रोड बनाई जाएगी। रुड़की आईआईटी ने इसके लिए 1.08 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया है।

जानकारी देने को म्यूजियम बनाने की तैयारी

केडीएफ अध्यक्ष राजीव घई ने बताया कि फेज टू के लिए पर्यटन विभाग को सुझाव दिए हैं। केडीएफ ने ताल पर लेजर शो, लाइट व साउंड शो से पर्यटकों को महाभारत एवं सनातन की जानकारी देने, यहां की जानकारी देने को म्यूजियम बनाने, अधिक से अधिक ट्रैक बनाने के सुझाव दिए हैं।

द्रोणसागर में सोलर सिस्टम लगाने की मांग

काशीपुर। केडीएफ ने द्रोणसागर में सोलर सिस्टम लगाने का भी सुझाव दिया है। केडीएफ का कहना है कि द्रोण ताल को रिचार्ज करने के बाद वहां लाइटिंग आदि की व्यवस्था के लिए 20 केवीए पावर की जरूरत होगी। ऐसे में द्रोणसागर पर विद्युत भार बढ़ जाएगा। इससे मुक्ति दिलाने को वहां सोलर सिस्टम स्थापित किया जाए। ताकि द्रोणसागर को विद्युत बिलों के देयकों से निजात मिल सके।

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