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पतंजलि में म्यूजियम ऑफ ऑरिजिन एवं कॉन्टिनम सम्मेलन सम्पन्न

हरिद्वार में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियो साइंस और पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से इतिहास पर एकदिवसीय सम्मेलन हुआ। स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत का गौरवमयी इतिहास छिपाया गया है। विशेषज्ञों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरिद्वारTue, 6 May 2025 09:53 PM
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पतंजलि में म्यूजियम ऑफ ऑरिजिन एवं कॉन्टिनम  सम्मेलन सम्पन्न

हरिद्वार, संवाददाता। बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियो साइंस, पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के सहयोग से म्यूजियम ऑफ ऑरिजिन एवं कॉन्टिनम विषय पर इतिहास के एकदिवसीय सम्मेलन हो गया। समापन अवसर पर योगगुरु स्वामी रामदेव एवं आचार्य बाकृष्ण के साथ देश के प्रबुद्ध इतिहासविद, भू-वैज्ञानिक एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली के विद्वानों ने विचार मंथन किया। सम्मेलन में एनएएसी कार्यकारी समिति के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धि ने कहा कि पतंजलि के द्वारा इतिहास लेखन व प्रामाणिकरण के लिए जो कार्य किया जा रहा है। वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा व लोगों को अपने मूल के साथ जोड़ेगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक डॉ. वाई.एस. रावत ने कहा कि पतंजलि के द्वारा इतिहास के संरक्षण का अद्वितीय कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पतंजलि के द्वारा पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए किया जा रहा कार्य वैश्विक इतिहास को पुनर्जीवित करेगा। स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत के गौरवमयी इतिहास को जानबूझकर छिपाया गया है। पतंजलि के द्वारा भारत के स्वर्णिम इतिहास के संरक्षण का दायित्व अब पतंजलि ने उठाया है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारतीय इतिहास ही वास्तविक रूप में विश्व का इतिहास है और हम वैश्विक मंच पर अपने प्राचीन इतिहास व शास्त्रीय परंपराओं एवं ज्ञान-विज्ञान को पुनः प्रतिष्ठित करने का कार्य कर रहे हैं। सम्मेलन में बीएसआईपी के निदेशक प्रो. एम.जी. ठक्कर ने अवधारणाओं की रूपरेखा तथा पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन के इतिहास एवं पुरातत्व विज्ञान की प्रमुख डॉ. रश्मि मित्तल ने ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानव जाति के इतिहास पर नई अंतर्दृष्टि विषय पर परिचयात्मक प्रस्तुति दी। इस दौरान आई.के.एस. प्रभाग प्रमुख प्रो. जी. सूर्यनारायण मूर्ति, अहमदाबाद, गुजरात से आर्किटेक्ट पार्थ ठक्कर, इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक डॉ. राजेश प्रसाद, डॉ. बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के सहायक प्राध्यापक डॉ. आनंद बर्धन, ए.एस.आई. के पूर्व निदेशक डॉ. धर्मवीर शर्मा, ऑन्कोलॉजिस्ट एवं इतिहासकार डॉ. पुनीत गुप्ता, सुरेश च्वहानके, गीतांजलि बरुआ नई दिल्ली से आर्किटेक्ट शुबिनॉय बनर्जी, आई.जी.एन.सी.ए. के संरक्षण प्रभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. ए.एस. सत्येन्द्र कुमार तथा आई.जी.एन.सी.ए. के संरक्षण विभाग से परियोजना समन्वयक आस्तिक भारद्वाज मौजूद रहे।

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