हरिद्वार में हेड मास्टर पदोन्नति मामले की जांच शुरू
अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा गढ़वाल ने मंगलवार को हरिद्वार में सहायक अध्यापक और हेड मास्टर की पदोन्नति सूची की जांच सीईओ कार्यालय पहुंचकर शुरू की। अपर निदेशक ने एसएसए कार्यालय में पदोन्नति से जुड़े...
अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा गढ़वाल ने मंगलवार को हरिद्वार में सहायक अध्यापक और हेड मास्टर की पदोन्नति सूची की जांच सीईओ कार्यालय पहुंचकर शुरू की। अपर निदेशक ने एसएसए कार्यालय में पदोन्नति से जुड़े दस्तावेज और पत्रावली कब्जे में ले ली है। वहीं शिकायतकर्ता का पक्ष सुनने के साथ ही पदोन्नति सूची के पूरे दस्तावेज ले लिए हैं। जांच अधिकारी दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर रिपोर्ट हाईकोर्ट और निदेशालय भेजेंगे। जहां से पदोन्नति सूची निरस्त या यथावत रखने पर फैसला लिया जाएगा।
शिकायतकर्ता ग्राम प्रधान ने 124 शिक्षकों की नियम विरुद्ध पदोन्नति समेत 23 बिंदुओं पर शिकायत की थी। आरोप है कि पदोन्नति के दौरान पत्रावली का अध्ययन नहीं किया गया था। नगर क्षेत्र से नगर क्षेत्र में पदोन्नति कर दी गई। तत्कालीन डीईओ द्वारा जारी पदोन्नति सूची सही थी तो अलग-अलग सूचियां जारी करने पर सवाल उठाया गया है। जारी सूची में दिव्यांगता आरक्षण के लिए कोई सूची तैयार नहीं की गई। लक्सर ब्लाक के एक विद्यालय में छात्र संख्या 150 से अधिक थी। वहा पदोन्नति में कोई अध्यापक नहीं भेजा गया। यही स्थिति अन्य ब्लॉकों में भी है। जांच अधिकारी को बताया कि ऐसे तीन शिक्षकों और एक शिक्षिका को पदोन्नत कर दिया गया वह वरिष्ठता सूची में नहीं है। जबकि पात्र बीस शिक्षकों को छोड़ दिया गया।
शिकायतकर्ता ने कहा कि आरटीई एक्ट 2009 के अनुसार छात्र अथवा शिक्षक अनुपात का पालन नहीं किया गया। उन्होंने जांच अधिकारी को बताया कि जनपद के सभी उप शिक्षा अधिकारियों द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को रिक्त पदों की सूचना पहले ही दे दी गई थी। बावजूद इसके उनके द्वारा पदोन्नति सूची जारी करते समय रिक्तियों को दरकिनार कर दिया गया। पदोन्नति के लिए पात्रता सूची में पात्र अध्यापकों की दस साल की एसीआर का निरीक्षण किया जाता है। जिसमें 10 बिंदुओं में 8 बिंदु उत्तम होने आवश्यक है। यह सब निरीक्षण में नहीं किया गया।
एडिशनल डायरेक्टर एसपी खाली ने बताया कि आगामी 20-25 दिन में जांच पूरी होनी है। इन्ही दिनों में शिकायतकर्ता के तथ्यों का अवलोकन किया जाएगा। एसएसए कार्यालय से पत्रावली और पदोन्नति से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। जरूरत पड़ने पर डीईओ कार्यालय और शिकायतकर्ता के बयान दर्ज किए जाएंगे। फाइनल रिपोर्ट निदेशालय और हाईकोर्ट भेजी जाएगी।
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