बोले हरिद्वार : बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्र की टूटी सड़कें 15 साल में भी नहीं बनी
हर साल करोड़ों रुपये राजस्व देने वाले बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्र में सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। यहां गंदगी भरा पानी और गड्ढे कामगारों और उद्योगों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।
प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये राजस्व देने वाले उद्योगों की सरकार सुध नहीं ले रही है। औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियों की हालत बेहद खराब बनी हुई है। फैक्ट्री के मुख्य गेट पर गंदगी भरा पानी कर्मचारियों के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है। गंदे पानी के कारण उद्योगों में जहरीले सांप और कीड़े-मकोड़े नुकसान पहुंचा रहे हैं। सड़कों पर गंदा पानी भरने से बदबू आती है। हालात ऐसे हैं कि फैक्ट्री मालिकों और कर्मचारियों को अंदर जाने तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। प्रस्तुत है प्रवीण कुमार पेगवाल की रिपोर्ट...
करीब 55 उद्योगों के साढ़े बारह हजार से ज्यादा कर्मचारियों को टूटी-फूटी सड़कों को लेकर रोज समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सरकार या उसके अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि उद्योगों की इस बड़ी समस्या की अनदेखी कर रहे हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये वसूलने वाली जिला पंचायत तक उद्योगों के सामने बजट का रोना रोती है। सवाल खड़ा होता है कि प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की टैक्स वसूली करने वाले विभाग या सरकार उद्योगों से क्यों मुंह मोड़े हैं?
बहादराबाद ग्राम पंचायत बेगमपुर में स्थापित औद्योगिक क्षेत्र आईपी फॉर में टूटी-फूटी सड़कें कामगारों और उद्योगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। सड़कों के गड्ढों में कंपनी कर्मचारी गिरकर चोटिल हो रहे है। सड़कों में गड्ढे है या गड्ढों में सड़क है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। उद्यमी पिछले 15 वर्षों से मुख्यमंत्री और जिला-प्रशासन एवं स्थानीय विधायक को पत्र लिखकर थक चुके हैं। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इंडस्ट्रियल एरिया में तो सड़कों की हालत इतनी ज्यादा खस्ता हो चुकी है। यहां पर चलने वाले लोग न सिर्फ परेशान हो रहे हैं, बल्कि टूटी हुई सड़कों के चलते हादसों का शिकार भी हो रहे हैं। उद्यमियों ने हिन्दुस्तान से चर्चा कर इस समस्या पर अपना पक्ष रखा। उद्यमियों ने कहा कि इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों के गहरे गड्ढों के कारण कई बार सड़क हादसे हो चुके हैं। कई लोग घायल भी हुए हैं। इंडस्ट्रियल एरिया में सुविधाओं की भारी कमी है।
उद्यमियों ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र मूलभुत सुविधाओं से जूझ रहा है। करोड़ों का निवेश कर अपने कारखाने बंद करने को विवश हैं। उद्यमी टूटी सड़कें, जगह-जगह लगे मलबे के ढेर देखकर खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि उद्यमियों ने सड़कें बनवाने की आवाज नहीं उठाई कई बार बेगमपुर आईपी-फॉर की बदहाली का मसला मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, स्थानीय विधायक के संज्ञान में लाया गया। इसके बावजूद कोई सुध नहीं ली गई। औद्योगिक क्षेत्र की हो रही उपेक्षा से उद्यमीयों में खासा रोष है। सुविधाओं के नाम पर टूटी सड़कें ही नसीब हुई हैं। उद्यमियों की औद्योगिक क्षेत्र को मूलभूत सुविधाओं से लैस करने की मांग की है।
सुझाव
1. सरकार बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्र के सभी उद्योगों को अपने अधीन लेकर बिजली, पानी और सड़क, सीवर लाइन डालने जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराए।
2. सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र की तरह आईपी-4 के उद्योग सरकार के अधीन होंगे तो प्रतिवर्ष सरकार को लाखों रुपये का राजस्व बढ़कर मिलेगा।
3. सरकार आईपी-4 औद्योगिक क्षेत्र का पहले सर्वे हो। रिपोर्ट सिडकुल मुख्यालय से कैबिनेट बैठक प्रस्ताव पारित कर इस पर मुहर लगे। तो यहां बिजली, सड़क पानी आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया होगी।
4. सिडकुल-प्रशासन आईपी-4 के तमाम उद्योगों के साथ बैठक कर उनसे सुझाव मांगे। अगर उद्यमी मानकों को पूरा करते हैं तो प्रक्रिया आगे बढ़ाए।
5. आईपी-4 के उद्यमी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए तैयार है, शासन अपने स्तर उद्योगों पर मेंटेनेंस चार्ज फिक्स करे। लेकिन मेंटेनेंस चार्ज पुराने चार्ज के बराबर हो और उद्योगों के हित में हो।
शिकायतें
1. सरकार को उद्योगों से प्रतिमाह करोड़ों का टैक्स जाता है। जिला पंचायत को भी साल में आठ लाख कर भरते हैं। बावजूद उद्योगों की अनदेखी हो रही है।
2. अगर कोई संस्थान औद्योगिक क्षेत्र को डेवलप करने के बाद चला गया तो उद्योग टैक्स तो सरकार को ही भरते हैं। सरकार इस तरह ध्यान दे।
3. सड़कें, पानी और बिजली मूलभूत सुविधाओं में शामिल है। 15 सालों में सड़कों तक निर्माण कार्य नहीं हो सका है। शिकायतों की पूरी फाइल बन चुकी है।
4. सड़क के टूटने से कंपनी मैनेजमेंट से लेकर कामगार तक को दिक्कत हो रही है। जिला प्रशासन या सरकार सड़कों की मरम्मत नहीं करा रही है।
5. औद्योगिक क्षेत्र में 55 से ज्यादा उद्योग है। उनमें 13 हजार कामगार कार्यरत हैं। सड़क के गड्ढों में कामगार गिरकर घायल होते हैं। बड़े वाहनों के कंपनी में घुसने से पहले ही उनमें टूट फूट होती है।
बोले जिम्मेदार
बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति बेहद खराब है। पिछले कई वर्षों से सड़कों में मरम्मत तक नहीं हो पाई है। उद्योगों में बेहतर सुविधाएं मुहैया हो इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं। उद्यमियों के ज्ञापन पर उन्होंने मुख्यमंत्री से भी वार्ता की थी लेकिन उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। वह इस समस्या पर सिडकुल एमडी से मिल चुके हैं। -इं. रवि बहादुर, स्थानीय विधायक (कांग्रेस) ज्वालापुर
बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्र ग्राम पंचायत में है। सिडकुल के अधीन नही है। इसलिए वहां पर मेंटीनेंस कार्य नहीं किया जा सकता है। अगर यहां के उद्योगों को सिडकुल अधीन आना है, तो उन्हें प्रस्ताव बनाकर दें। उस प्रस्ताव को वह कार्रवाई के लिए मुख्यालय को भेज देंगे। जिसके बाद मुख्यालय से ही इसमें कार्रवाई आगे बढ़ेगी।
-गिरधर सिंह रावत, आरएम सिडकुल हरिद्वार
औद्योगिक क्षेत्र आईपी-4 जिला पंचायत क्षेत्र का हिस्सा है। इस कारण उनसे जिला पंचायत मानकों के अनुरूप चार्ज लेता है। दो साल पहले भी सड़कों की मरम्मत या सड़क के कुछ हिस्से को बनाया था। औद्योगिक क्षेत्र में काफी सड़कें टूटी पड़ी है। जिपं में जितना हो सकेगा उतना काम कराया जाएगा। सड़कों के जल्द बनाने को बोर्ड बैठक में मामला लाया गया था।
-संजय खंडूड़ी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत
सड़क-बिजली की सुविधाएं अच्छी हो तो उद्योग बेहतर उड़ान भर सकेंगे
बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्र एक संस्था ने अधिग्रहण किया था। उसी ने यहां पर सड़कें, बिजली और आदि कार्य किए थे। मूलभूत सुविधाओं से वंचित उद्यमी सिडकुल जैसी सुविधाएं मुहैया कराने की मांग कर रहा है। उद्योगों का कहना है कि सिडकुल जैसी सुविधाएं मिले तो उद्योग ओर बेहतर उड़ान भर सकते हैं। सरकार वन टाइम चार्जेस फिक्स और मानकों अनुरूप कार्य करता है, तो पुरानी दरों पर रिपेयरिंग मेंटेनेंस चार्ज देने को भी तैयार है। हालांकि इस संबंध में बेगमपुर इंडस्ट्री एरिया एसोसिएशन जिले के अधिकारियों से सीएम तक को लिखित में उद्योगों को टेकओवर के लिए पत्र सौंप चुकी है। निजी डेवलपर संस्था से सिडकुल खुद एनओसी ले लेंगे। उसके बाद उद्योगों पर चार्जेस फिक्स कर दिए जाएंगे। यहीं नहीं अगर सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र को टेकओवर करता है तो डिमांड नॉट में वन टाइम कितना पहले ओर बाद में कितना पैसा देना होगा। वह नियमनुसार फिक्स होगा। सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र को अपने अंडरटेकिंग लेता है तो पूरा रेवेन्यू भी उसी को जाएगा।
टूटी सड़कों पर उड़ती धूल के कारण गुजरना हुआ बढ़ा मुश्किल
बहादराबाद स्थित ग्रामीण क्षेत्र में सस्ती जमीन लेने के बाद सड़कों की मरम्मत कराना उद्यमियों के गले की फांस बन गई है। सड़कों की हालत दयनीय है। सड़क में गड्ढे है, या फिर गड्ढे में सड़क है, समझ से परे है। मौजूदा स्थिति यह है कि वाहनों का गुजरना तो दूर पैदल चलना मुश्किल है। टूटी सड़के उद्यमियों के लिए एक बड़ी परेशानी बन चुकी है। सबसे बड़ी और मुख्य समस्या भी टूटी हुई सड़कें हैं। सुबह-शाम उड़ती हुई बीमारी को न्योता तक दे रही है। उद्यमियों का कहना है कि बड़े पैमाने पर इंडस्ट्रियल एरिया डेवलप है। लेकिन यहां सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्र से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व मिलता है। बावजूद सरकार, जिला-प्रशासन, स्थानीय विधायक, जिला पंचायत कोई भी सड़क बनाने को तैयार नहीं है। उद्यमियों का कहना है कि बेगमपुर में करीब 55 उद्योग है। जिनमें करीब 13 हजार कामगार कार्यरत है। सड़कें आदि सुविधाओं को पाने के लिए उद्यमी डीएम से लेकर सीएम तक के चक्कर लगा चुके है। बावजूद केवल मायूसी हाथ लगी है। उद्यमी और कामगार 15 साल से टूटी सड़कों को नाप रहे हैं।
जिला पंचायत वसूलता है उद्योगों से 15-20 हजार रुपये तक राजस्व
जिला पंचायत प्रत्येक वर्ष बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्रों से 15-20 हजार रुपए प्रत्येक उद्योग से राजस्व के रूप में वसूल करता है। पिछले 10 वर्षों में जिला पंचायत ने मात्र एक छोटी सड़क बनाई है। उद्यमी जिला-पंचायत से भी सड़क बनाने की मांग कर चुके है। लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका। पिछले 14 वर्षों से यहां की सड़के बदहाल पड़ी है। जगह-जगह गंदगी फैली हुई है। टूटी सड़कों के कारण ऊद्योगों को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। सड़कों की हालत इतनी ज्यादा खस्ता हो चुकी हैं कि यहां पर चलने वाले लोग दिक्क्त झेलने के अलावा हादसों का शिकार भी हो रहे हैं।
बोले लोग
औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों के गहरे गड्ढों से कई बार सड़क हादसे हो चुके हैं। सरकार सुविधाओं के लिए ठोस कदम उठाए।-सुरजीत सिंह भुल्लर
औद्योगिक क्षेत्र सुविधाओं के लिए जूझ रहा है। उद्यमी करोड़ों का निवेश कर अपने कारखाने बंद करने को विवश हैं। उद्यमी टूटी सड़कों और जगह-जगह लगे मलबे के ढेर से परेशान हैं। -सुनील नौटियाल
बरसात के समय उद्यमियों और कामगारों को टूटी सड़कों से उद्योगों तक जाना मुश्किल हो जाता है। फिर भी अधिकारी मौन हैं। - पवन कुमार
औद्योगिक क्षेत्र की उपेक्षा से उद्यमियों में खासा रोष है। सुविधाओं के नाम पर टूटी सड़कें ही नसीब हुई हैं। क्षेत्र में जल्द सड़क बननी चाहिए। -रविंद्र कुमार
बेगमपुर औद्योगिक क्षेत्र में पानी की निकासी न होने के कारण स्थानीय लोगों-श्रमिकों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। -गौरव श्रीवास्तव
औद्योगिक क्षेत्र में एकत्रित होकर पानी क्षेत्र से सटे मकानों में घुस रहा है। ग्रामीण डीएम और एसडीएम तक मामले की शिकायत कर चुके हैं। बावजूद कार्यवाही नहीं हुई। -संजय कुमार
औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हुए दो दशक गुजर गए, लेकिन सड़कों को बनाने के लिए जिला-प्रशासन या सरकार ने कोई पहल नहीं कि है। क्षेत्र की सड़के जल्द बनें। -अमित चौधरी
डेवलपर को औद्योगिक एस्टेट विकसित करना और बुनियादी ढांचे का रख-रखाव करना था, लेकिन डेवलपर ने ऐसा नहीं किया। सड़कों का तो बुरा हाल है।-विकास त्यागी
सड़क टूटने से औद्योगिक क्षेत्र में कच्चा-पक्का माल लेकर बाहरी राज्यों से आने-जाने वाले भारी वाहनों में खराबी आ जाती है। जिससे दिक्कत होती है। -दिलीप कुमार
बड़े-बड़े गड्ढों में गिरकर कर्मचारी चोटिल हो रहे है। इससे उद्योगों को भी नुकसान है। सड़कों में गड्ढें है या गड्ढों में सड़क है, इसका पता नहीं चलता। -सात्विक
बिना बरसात के ही सड़क का हाल खराब है, तो बारिश होने के बाद यहां का आलम बेहद खराब हो जाता है। सरकार इनकी दशा सुधारे। -रविंद्र सिंह बिष्ट
बेगमपुर गांव के घरों से निकला गंदा पानी औद्योगिक क्षेत्र की टूटी फूटी सड़कों में आकर भर रहा है। मुख्य सड़क पर तालाब जैसा नजारा बना हुआ है। जिससे राहगीर परेशान हैं। -विकास चौहान
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