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बोले हरिद्वार : खड़खड़ी में ट्यूबवेल बनाया, एक साल बाद भी पानी नहीं आया

हरिद्वार के खड़खड़ी में एक साल पहले 67 लाख रुपये खर्च कर बनाए गए ट्यूबवेल से अब तक पानी नहीं आया है। जल संस्थान की लापरवाही के चलते लोगों को पानी की कनेक्शन नहीं मिल पाई है। स्थानीय लोगों ने अधिकारियों...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरिद्वारFri, 14 Feb 2025 11:28 AM
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बोले हरिद्वार : खड़खड़ी में ट्यूबवेल बनाया, एक साल बाद भी पानी नहीं आया

हरिद्वार के खड़खड़ी में लाखों रुपये खर्च कर बनाया गया ट्यूबवेल किसी काम नहीं आ रहा है। मार्च 2024 में जल संस्थान ने करीब 67 लाख के बजट से ट्यूबवेल का निर्माण खड़खड़ी के गंगाधर महादेव नगर में कराया था। एक साल बाद भी ट्यूबवेल से पानी नहीं आ रहा है। लोगों के घरों में कनेक्शन जोड़ने के लिए पाइप लाइन तक नहीं डाली गई है। आरोप है कि अधिकारियों ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। प्रवीण कुमार पेगवाल की रिपोर्ट... हरिद्वार में खड़खड़ी क्षेत्र शिवालिक पर्वत माला पहाड़ी से सटा हुआ क्षेत्र है। पहाड़ की ऊंचाई पर बने घरों में पीने के पानी की समस्या रहती है। घरों में लो प्रेशर की समस्या बन जाती है। पानी की समस्या के समाधान करने के लिए क्षेत्र के लोगों ने आवाज उठाई तो उत्तराखंड जल संस्थान ने वर्ष 2017 में यहां पर ट्यूबवेल लगाने के लिए सर्वे कराया। खड़खड़ी क्षेत्र में ट्यूबवेल लगाने के लिए जमीन की परेशानी सामने आई तो विधायक मदन कौशिक ने गंगाधर महादेव नगर मंदिर समिति ने आगे ट्यूबवेल लगाने के लिए जमीन जल संस्थान को दी।

मंदिर समिति से जमीन मिलने के बाद उत्तराखंड जल संस्थान ने साल 2024 में करीब 67 लाख रुपये का बजट ट्यूबवेल निर्माण के लिए बनाया। निर्माण काम पूरा होने के बाद ट्यूबवेल का उद्घाटन किया गया। लेकिन जिस उद्देश्य से निर्माण कार्य हुआ था। वह उद्देश्य आज तक पूरा नहीं हुआ। ट्यूबवेल से क्षेत्र के करीब तीन हजार घरों को जोड़ने की योजना थी लेकिन अब तक घरों को नहीं जोड़ा गया है। आरोप है कि जल संस्थान सुबह 11 बजे पानी की सप्लाई शुरू करता है। सुबह के समय पानी नहीं मिलने से लोगों के जरूरी काम प्रभावित होते हैं। शाम को चार बजे के बाद लोगों के घरों में पानी की सप्लाई नहीं होती है। लोगों ने बताया कि निर्माण होने के बाद कई बार विभाग स्तर पर टेस्टिंग की गई। निर्माण से पहले कर्मचारियों ने मौके का सर्वे भी किया लेकिन पानी नहीं मिला। घरों तक कनेक्शन देने के लिए पाइप लाइन तक नहीं डाली गई। यहां के लोग संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से समाधान करने की मांग कर चुके हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। स्थानीय लोगों ने क्षेत्र में पाइप लाइन बिछा कर घरों को पानी की पाइप लाइन से जोड़ने की मांग है।

सुझाव

1. मंदिर समिति की जमीन पर बने ट्यूबवेल को बंद करके, लोनिवि के क्वाटर में ट्यूबवेल का निर्माण करना चाहिए।

2. ट्यूबवेल की दोबारा टेस्टिंग की जाए।

3. पाइप लाइन का कार्य भी शुरू किया जाना चाहिए।

4. ट्यूबवेल सही तरीके से संचालित नहीं हो रही है। तो मंदिर समिति को जमीन वापस देनी चाहिए।

5. ट्यूबवेल लगाने के लिए अधिकारियों को नए स्थान का चिह्निकरण करना चाहिए।

शिकायतें

1. पहले ही उपयुक्त स्थान चिह्नित करना चाहिए था तो लोगों को पानी की परेशानी नहीं होती।

2. योजनाबद्ध तरीके से ट्यूबवेल का निर्माण होता। तो सरकारी धन का दुरुपयोग बच जाता।

3. पिछले कई सालों से खड़खड़ी में 3000 की आबादी पानी को तरस रही है।

4. अधिकारियों से कई शिकायत की लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

5. पाइप लाइन डाली नहीं फिर भी कुंज गली में पानी का बिल भेज दिया गया।

बोले जिम्मेदार

बजट के आभाव में ट्यूबवेल पर काम बंद है। ट्यूबलवेल पर मोटर स्थापित होनी है। बजट जारी होने के बाद काम शुरू किया जाएगा। इससे करीब 400 एलपीएम पानी मिल रहा है। क्षेत्र के करीब तीन हजार घरों को ट्यूबवेल से जोड़ा जाएगा। इन घरों को पर्याप्त पानी ट्यूबवेल से मिल रहा है। वर्ष 2027 अर्धकुंभ मेले से पहले ट्यूबवेल को सुचारू करने की योजना है। दूसरे अधिकारी के समय में निर्माण काम किया गया है। - विपिन चौहान, ईई, जल संस्थान

सरकारी धन का दुरुपयोग

मार्च 2024 में खड़खड़ी स्थित मंदिर समिति की जमीन में ट्यूबवेल बनकर तैयार हो गया था। उत्तराखंड जल संस्थान ने ट्यूबवेल निर्माण के लिए करीब 67 लाख रुपये खर्च किए थे। इतना बजट खर्च होने के बावजूद ट्यूबवेल से हाई प्रेशर में पानी नहीं निकला। लोगों का आरोप है कि ट्यूबवेल निर्माण में सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है। यदि पहले ही योजनाबद्ध तरीके से निर्माण काम किया जाता और उपयुक्त वॉटर लेवल वाली जमीन का चिह्निकरण करने के बाद ट्यूबवेल लगता तो रुपया बर्बाद नहीं होता।

ट्यूबवेल से निकल रहा सिर्फ 200 एलपीएम पानी

स्थानीय लोगों ने बताया कि निर्माण होने के बाद विभाग की टेस्टिंग में ट्यूबवेल से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं आया। विभाग ट्यूबवेल से पानी की टेस्टिंग कर चुका है। दावा है कि टेस्टिंग के दौरान ट्यूबवेल से मात्र 200 एलपीएम (लीटर पर मिनट) पानी निकल रहा है। ट्यूबवेल से एक मिनट में सिर्फ 200 लीटर पानी का ड्रम भरने की क्षमता से पानी मिल रहा है। जबकि सामान्य तौर पर एक ट्यूबवेल से 1250 एलपीएम पानी आता है। क्षेत्र में स्थापित आइवेल 2000 एलपीएम तक पानी की सप्लाई करते हैं। करीब एक साल से ट्यूबल बंद पड़ा हुआ है। इस कारण क्षेत्र के लोगों में रोष है।

बिना पानी के कनेक्शन दिए भेज दिया बिल

स्थानीय लोगों ने बताया कि विभाग बिना पानी का कनेक्शन दिए लोगों को पानी के बिल भेज रहा है। बताया कि खड़खड़ी की कुंज गली में लोगों को पानी का कनेक्शन विभाग ने नहीं दिया है। लेकिन बिना पानी के कनेक्शन के भी लोगों को बिल बांट दिए गए हैं। गर्मी के सीजन में अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। वाटर लेवल कम होने के कारण पहले से चल रही ट्यूबवेल से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता। गर्मी में ट्यूबवेल और आइवेल के पानी का लेवल पांच मीटर तक घट जाता है।

विभाग की बड़ी लापरवाही, दिक्कत से अनजान

खड़खड़ी में जल संस्थान की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। लाखों के बजट से ट्यूबवेल बनाई लेकिन ट्यूबवेल से पानी नहीं आया। लोगों ने पाइप लाइन डालने की मांग की तो बजट की कमी का रोना रोया जा रहा है। सबसे बड़ी लापरवाही तो तब सामने आई जब बिना पाइप लाइन डाले ही कुंज गली स्थित घरों में पानी का बिल भेज दिया गया। जब पाइप लाइन ही नहीं डाली गई तो बिल कैसे भेजे जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जल संस्थान के अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। उन्हें जनता की परेशानी नहीं पता है।

पहाड़ी पर बने घरों में रहने वाले लोगों को पीने का पानी पहुंचाने के लिए ट्यूबवेल लगाया गया था। लेकिन एक साल बीत जाने पर भी ट्यूबवेल से पानी नहीं आया। बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है। -संजीव वर्मा

काफी संघर्ष करने के बाद ट्यूबवेल लगाया। फिर भी लो प्रेशर से पानी आने से साफ जाहिर होता है कि सरकारी धन का केवल दुरुपयोग हुआ है। लोगों की पानी की परेशानी का समाधान नहीं हो सका है। -लखन लाल चौहान

विभाग ने सही सर्वे नहीं कराए। उचित भूमि का चिह्निकरण भी नहीं किया गया। गलत स्थान पर ट्यूबवेल लगाया गया है। इसलिए ही पानी का प्रेशर लो है। लोगों के रुपये बर्बाद हुए है। -राहुल कुमार

हमें तेज प्रेशर के साथ पानी उपलब्ध कराया जाए। हम तय समय पर बिल देने को तैयार हैं। इसलिए ट्यूबवेल को कहीं और शिफ्ट करके जल्द से जल्द पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। -अनुज माहेश्वरी

जिस स्थान पर ट्यूबवेल का बोरिंग किया गया है। वहां पानी बहुत गहराई पर है। विभाग द्वारा सही स्थान पर सर्वे कराकर ट्यूबवेल लगाया जाता। तो आज हमें परेशानी नहीं उठानी पड़ती। एक साल से ट्यूबवेल से पानी आने का इंतजार कर रहे हैं। शिकायत पर कोई जवाब नहीं मिलता।-विनीत कौशिक

जनता को पानी देने के लिए विभाग के पास जमीन नहीं थी तो हमने मंदिर समिति की जमीन दे दी। मगर एक साल से जमीन पर बने ट्यूबवेल से पानी नहीं आया। ट्यूबवेल बंद पड़ी है। ट्यूबवेल को कहीं और शिफ्ट करके मंदिर समिति को जमीन वापस देनी चाहिए। -प्रमोद कुमार।

ट्यूबवेल बनने के बाद पाइप नहीं डाली और किसी भी घर में कनेक्शन नहीं दिया। फिर भी कुंज गली में पानी का बिल भेज दिया गया। लोग विभाग के चक्कर काट रहे है। ये लापरवाही है। -विनोद कुमार

अगर पहले ही सही सर्वे कराया जाता और उपयुक्त स्थान पर ट्यूबवेल लगाई जाती। तो सरकारी धन भी बचता और हमें तेज प्रेशर के साथ पानी भी मिल जाता। ट्यूबवेल सफेद हाथी बन गया है। -प्रमोद गिरी

जल संस्थान के अधिकारियों ने कई बार टेस्टिंग की मगर तेज प्रेशर से पानी नहीं आया। लगातार मोटर चलने के कारण मोटर तक फूंक गई थी। आज तक हमें पानी आने का इंतजार है। -आशीष

लाखों का बजट खर्च होने से ट्यूबवेल बनाई गई। ट्यूबवेल बनने के बाद भी पानी को तरस रहे हैं। लेकिन पानी आता नहीं और अधिकारी शिकायतों को अनसुना कर देते हैं। -राहुल गुजराल

टेस्टिंग के दौरान पानी का तेज प्रेशर तो आया नहीं। लेकिन मोटर जरूर फूंक गई थी। इसमें जल संस्थान की लापरवाही है। पानी आता तो मोटर नहीं फूंकती। मोटर भी आज तक बदली नहीं गई है। -संजय उपाध्याय

ट्यूबवेल लगाने के बाद यहां से कहीं भी पाइप लाइन नहीं डाली गई है। पाइप लाइन डालने की मांग करते हैं। तो अधिकारी बजट नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। ट्यूबवेल में पानी नहीं है। -दीपक

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