फर्जी रजिस्ट्री देने पर कर्मचारियों पर केस
कोर्ट में प्रार्थना पत्र में गजानंद ने बताया कि उसने लोन के लिए आवेदन किया था। लोन मिलने के बाद उसे एक फर्जी रजिस्ट्री दी गई। रजिस्ट्री चेक करने पर यह फर्जी निकली। पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मामले की...
कोर्ट को दिए गए प्रार्थना पत्र में टिबड़ी निवासी गजानंद बताया कि पिछले साल लोन लेने के लिए आवास विकास कॉलोनी ज्वालापुर स्थित एक फाइनेंस कंपनी के कार्यालय में आवेदन किया। यहां से सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद कंपनी ने अपनी बीएसएम चौक रुड़की स्थित शाखा से लोन पास कराया। इसके बाद पांच मई 2023 को लोन की रकम उसे मिल गई। लोन के लिए उसने गारंटी के तौर पर अपनी रजिस्ट्री दी थी। लोन चुकाने के 20 जुलाई को उसे नो ड्यूज सर्टिफिकेट फाइनेंस कंपनी ने दिया। देहरादून कार्यालय से उसे स्मिता गौड़ ने लिफाफे में रजिस्ट्री दी। आरोप है कि घर पहुंचने पर रजिस्ट्री चेक करने पर वह फर्जी निकली। मूल हस्ताक्षर, स्टॉम्प पेपर और लिखित पत्र अलग-अलग थे। मूल रजिस्ट्री अपने पास रखकर एक फर्जी रजिस्ट्री तैयार कर उसे दे दी गई। लोन लेने के समय रजिस्ट्री रुड़की में कार्यरत रवि चौधरी को दी थी। लोन चुकाने तक कंपनी के दिल्ली कार्यालय में गौरव वाधवा के पास रजिस्ट्री रही। आरोप है कि धोखाधड़ी कर फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने के बाद उसे दी गई। कोतवाली प्रभारी कमल मोहन भंडारी ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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