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साफ पानी की पहुंच में उत्तराखंड से आगे हैं यूपी-बिहार के गांव

उत्तराखंड की ग्रामीण आबादी की पानी की पहुँच पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार से कम है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड की 97.1% ग्रामीण आबादी साफ पानी का उपयोग करती है, जबकि यूपी...

Newswrap हिन्दुस्तान, हल्द्वानीThu, 2 Jan 2025 11:29 AM
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हल्द्वानी। उत्तराखंड की ग्रामीण आबादी पीने के बेहतर पानी की पहुंच में आज भी पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार से पीछे है। भारत सरकार की राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है। उत्तराखंड के गांव और शहर की आबादी मिला लें तो लगभग 98 प्रतिशत लोगों की साफ पानी तक पहुंच है। ओवरऑल दो प्रतिशत ऐसी आबादी है जो कि पीने के साफ पानी के स्त्रोतों से दूर है। व्यापक वार्षिक मॉड्यूलर सर्वेक्षण की 2024 की रिपोर्ट में पानी के साफ स्त्रोतों पर निर्भर आबादी का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड की 97.1% ग्रामीण आबादी साफ स्त्रोतों से पानी पीती है। जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार, उत्तराखंड से आगे है। उत्तर प्रदेश की 99.4% और बिहार की 99.6% ग्रामीण आबादी की पीने के बेहतर पानी तक पहुंच है। साफ कहें तो यूपी-बिहार के गांव के लोगों को उत्तराखंड के मुकाबले आसानी से पीने का साफ पानी नसीब हो जाता है। गोवा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और चंडीगढ़ राज्य उत्तराखंड से साफ पानी की पहुंच में आगे हैं। जबकि असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, त्रिपुरा राज्य उत्तराखंड से पीछे हैं।

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बेहतर शौचालय में यूपी-बिहार पीछे

रिपोर्ट के मुताबिक पानी की पहुंच में जरूर उत्तराखंड पीछे है लेकिन बात करें बेहतर शौचालय की तो इसमें उत्तराखंड सौ प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर चुका है। वहीं यूपी में 98.5 प्रतिशत और बिहार में 96.7 प्रतिशत ग्रामीण और शहरी इलाके बेहतर शौचालय से कनेक्ट हैं। मेघालय और असम के राज्य इस मामले में काफी पीछे हैं। इन दोनों राज्यों का प्रतिशत 92 है।

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पहाड़ और पिछड़े इलाकों में आज भी पानी की किल्लत

पानी जैसी मूलभूत सुविधा आज भी पहाड़ों के लिए मुसीबत बनी हुई है। उत्तराखंड के अधिकतर गांव ऐसे हैं जहां आज भी पीने के पानी के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। आजादी के सात दशक गुजरने के बाद भी पानी जैसी मुख्य धारा से लोगों को नहीं जोड़ा गया है। जानकारों का कहना है कि नदियों के उद्गम स्थल पहाड़ों पर ही पानी का संकट भविष्य के लिए बड़ा खतरा है।

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