श्रीराम कथा में समझाया शबरी की जूठे बेरों का महत्व
लालकुआं में राधे-राधे सेवा समिति द्वारा चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के आठवें दिन व्यास डॉ. पंकज मिश्रा ने श्रद्धा और भक्ति के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने श्रद्धापूर्वक दिए गए जूठे...
लालकुआं,संवाददाता। राधे-राधे सेवा समिति की ओर से चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के आठवें दिन व्यास डॉ. पंकज मिश्रा ने कहा कि जैसे भगवान श्रीराम ने शबरी द्वारा श्रद्धा भाव से दिए गए जूठे बेर प्रसन्न होकर खाये, ठीक वैसे ही जो मनुष्य अपने जीवन में भगवान को श्रद्धापूर्वक नमन करता है और उनकी आराधना पूरी होती है। रावण ने भी अपने उद्धार के लिए ऐसा कार्य किया और भगवान श्रीराम ने उसके पूरे कुल का उद्धार किया। उन्होंने श्रोताओं से निवेदन किया कि जैसे अयोध्या धाम में सरयू घाट किनारे भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया गया था, ठीक वैसे ही सभी लोग अपने पवित्र त्योहारों पर घर में दीप जलाएं। इस अवसर पर पंडाल में पहुंचे महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वर यति महाराज ने भी कथा के महत्व के बारे में बताया। इस दौरान आयोजक मंडल में मुख्य यजमान जीवन रश्मि कबड्वाल, कमेटी के अध्यक्ष संजीव शर्मा, संरक्षक रामबाबू मिश्रा, उमेश चंद्र तिवारी, हरीश नैनवाल, भोला राम, शैलेन्द्र राठौड़, पंकज सिंह, कुलदीप मिश्रा, अशोक पाठक, मस्तराज सिंह, महेश कश्यप, पंचमलाल कश्यप, बीएन शर्मा, अरुण जोशी, रतनेश सिंह, संजय झा, धर्मवीर मौर्य, राजेश अग्निहोत्री, जटाशंकर मिश्रा, मंतोष सरकार आदि मौजूद रहे।
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