ट्रांसजेंडर अधिनियम की नियमावली में संशोधन करे सरकार : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट 3 :: - ट्रांसजेंडर के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में नाम और लिंग परिवर्तन से इनकार करने के मामले में हुई सुनवाई - हाईकोर्ट ने उत्तराखंड विद्यालयी
हाईकोर्ट -शैक्षिक प्रमाण पत्रों में नाम और लिंग परिवर्तन से इनकार के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई
-हल्द्वानी के ट्रांसजेंडर की याचिका पर हाईकोर्ट ने उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड का फैसला भी रद किया
नैनीताल, संवाददाता। हाईकोर्ट ने उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के फैसले को रद करते हुए राज्य सरकार को ट्रांसजेंडर अधिनियम, 2019 की नियमावली में संशोधन करने के निर्देश दिए हैं। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में शुक्रवार को ट्रांसजेंडर के शैक्षिक प्रमाण पत्रों में नाम और लिंग परिवर्तन से इनकार करने के मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की मान्यता को अनिवार्य रूप से लागू करने पर जोर दिया जाए।
मामले के अनुसार, हल्द्वानी निवासी ट्रांसजेंडर ने याचिका दायर कर कहा था कि पहले वह लड़की के नाम से जाना जाता था। वर्ष 2020 में दिल्ली के अस्पताल में यौन पुनर्मूल्यांकन सर्जरी कराई और कानूनी तौर पर अपना नाम और लिंग बदल लिया। ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 7 के तहत जिला मजिस्ट्रेट नैनीताल की ओर से जारी पहचान पत्र रखने के बावजूद उनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों में अपना नाम और लिंग अपडेट करने के उनके अनुरोध को उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड ने अस्वीकार कर दिया। शिक्षा बोर्ड ने हवाला दिया कि याचिकाकर्ता का मामला बोर्ड के विनियमों के अध्याय-12 के खंड 27 के अंतर्गत नहीं आता है। क्योंकि यह नियम केवल उन नामों में बदलाव की अनुमति देता है जो अश्लील या अपमानजनक हैं।
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