Hindi NewsUttarakhand NewsHaldwani NewsAyushman Card Fails to Provide Free Treatment to 70 Patients in Haldwani Hospitals

आयुष्मान भव: सरकारी अस्पतालों में भी 70 फीसदी को नहीं मिला इलाज

मोहन भट्ट हल्द्वानी। सभी को आयुष्मान कार्ड से निशुल्क इलाज के सरकार के दावों

Newswrap हिन्दुस्तान, हल्द्वानीMon, 30 Dec 2024 12:01 PM
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मोहन भट्ट हल्द्वानी। सभी को आयुष्मान कार्ड से निशुल्क इलाज के सरकार के दावों के उलट सरकारी अस्पतालों में 70 प्रतिशत मरीजों को इससे इलाज नहीं मिल रहा है। जिस तरह से आयुष्मान कार्ड का पोर्टल काम करता है और अस्पतालों के पूरे स्टाफ का रवैया है, उससे भविष्य में भी उसकी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

कुमाऊं एवं उसके आसपास किसी मरीज की तकलीफ बढ़ने पर तीमारदार अमूमन कुमाऊं के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) लेकर पहुंचते हैं। उन्हें उम्मीद होती है कि यहां आयुष्मान कार्ड से उन्हें निशुल्क इलाज मिलेगा। लेकिन व्यवस्था ऐसी है कि आखिरकार उन्हें इलाज के लिए पैसा देना पड़ता है। ऐसे में सरकार के आयुष्मान कार्ड से निशुल्क इलाज के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। दिसंबर तक एसटीएच में 38 हजार मरीज इलाज के लिए भर्ती हुए, जिसमें से करीब 27 हजार मरीज ऐसे थे जिन्हें आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं मिला। एसटीएच में आने वाले ज्यादातर मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। निशुल्क इलाज की उम्मीद में पहुंचे मरीजों को अपनी जरूरतों में कटौती कर इलाज के पैसे चुकाने पड़ते हैं।

बेस अस्पताल के हालत भी एसटीएच जैसे

आयुष्मान कार्ड से इलाज में हल्द्वानी के बेस अस्पताल की हालत भी एसटीएच जैसी है। इस अस्पताल में भी इस साल दिसंबर तक 9378 मरीज भर्ती हुए। इन भर्ती मरीजों में से मात्र 5683 मरीजों को आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं मिला। निशुल्क इलाज की उम्मीद में बेस अस्पताल पहुंचे इन मरीजों ने भी अपना पैसा खर्च कर इलाज कराया। इस संबंध में बेस अस्पताल के प्रभारी पीएमएस डॉ. केएस दताल का कहना है कि सभी भर्ती मरीजों का आयुष्मान कार्ड से इलाज हो, इसके लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।

डॉक्टर ने नहीं लगाने दिया आयुष्मान कार्ड

हड्डी टूटने पर ओखलकांडा से इलाज के लिए एसटीएच पहुंचे 16 साल के सुनील के पिता को हड्डी के डॉक्टर ने आयुष्मान कार्ड नहीं लगाने के लिए कहा। आरोप है कि डॉक्टर ने उनसे कहा कि बाहर से इंप्लाट खरीदकर लाएं तो ऑपरेशन जल्दी कर देंगे। चार दिन से अस्पताल में भर्ती बेटे को परेशान देख पिता टीकम सिंह 7 हजार रुपये का इंप्लांट बाजार से खरीदकर लाए, जिसके बाद ऑपरेशन हुआ। ऐसा खेल आएदिन कई मरीजों के साथ हो रहा है जिसके चलते उनका आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं हो रहा है।

अमूमन ठप रहता है आयुष्मान पोर्टल

आयुष्मान कार्ड बनाना हो या फिर इलाज के लिए आए मरीज को अपना आयुष्मान कार्ड (रजिस्टर) लगवाना हो ये दोनों काम कभी समय से नहीं होते हैं। वजह आयुष्मान पोर्टल अक्सर या तो धीमा चल रहा होता है या फिर हैंग हुआ होता है। गंभीर मरीज के परिजन आयुष्मान कार्ड के लिए धक्के खाने से परेशान होकर इलाज के लिए आखिरकार जेब से पैसा भरते हैं।

निजी अस्पताल में नहीं चलता कार्ड

शहर के गिने-चुने अस्पतालों को छोड़ दें तो किसी भी निजी अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होता है। निजी अस्पताल संचालकों का कहना है कि इसमें इलाज की दरें काफी कम हैं। जिन अस्पतालों में यह कार्ड चलता भी है तो वहां मरीज का इतना पैसा खर्च करा दिया जाता है कि आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने का उसे कोई फायदा नहीं होता है।

कोट ...

हमने स्टाफ को निर्देश दे रखे हैं कि भर्ती करने से पहले मरीज से आयुष्मान कार्ड की जानकारी अवश्य लें। कार्ड होने पर उसे रजिस्टर करें और नहीं होने पर उसका कार्ड बनवाएं। इसके लिए सभी वार्ड में पोस्टर भी लगाए हैं। कभी मरीज का राशन कार्ड ऑनलाइन नहीं होता है तो कभी पोर्टल हैंग होता है इसके चलते भी कार्ड लगाने में दिक्कत आती है। यूपी के मरीजों के आयुष्मान कार्ड एसटीएच में लागू नहीं होते हैं। ऐसे ही छिटपुट वजहों से कई बार मरीज का आयुष्मान कार्ड नहीं लग पाता है। सभी भर्ती मरीजों का आयुष्मान कार्ड से इलाज हो, इसके प्रयास किए जा रहे हैं।

-डॉ. गोविंद सिंह तितियाल, चिकित्सा अधीक्षक, एसटीएच, हल्द्वानी

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