Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़Experts will adopt this measure to save 30 lakh water sources struggling with climate change

जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे 30 लाख जल स्त्रोतों की बचाएंगे, एक्सपर्ट अपनाएंगे यह उपाय

  • स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट योजना के तहत अल्मोड़ा स्थित जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान की ओर से नेपाल के काठमांडू स्थित अंतराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी) के सहयोग से इन जल स्त्रत्तेतों को बचाने का कार्य शुरू हो गया है।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, अल्मोड़ा, कमल पंतSun, 17 Nov 2024 04:25 PM
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जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे भारतीय हिमालयी क्षेत्र के तीस लाख जल स्त्रत्तेतों को बचाने में वैज्ञानिक जुट गए हैं। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान और नेपाल के आईसीआईएमओडी के वैज्ञानिक इस पर साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। परियोजना के तहत इन जल स्त्रत्तेतों के रिचार्ज जोनों को चिह्नित जल स्त्रत्तेतों का संरक्षण किया जाएगा।

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल पचास लाख जल स्त्रत्तेत मौजूद हैं। इनमें से 30 लाख भारतीय हिमालयी क्षेत्र में हैं, लेकिन हिमालयी क्षेत्र के कई जल स्त्रत्तेत जलवायु परिवर्तन, तापमान बढ़ने, जल प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था ना होने आदि कारणों से या तो सूख रहे हैं या फिर मौसमी बन रहे हैं, लेकिन अब वैज्ञानिक इन जल स्त्रत्तेतों को बचाने में जुट गए हैं।

स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट योजना के तहत अल्मोड़ा स्थित जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान की ओर से नेपाल के काठमांडू स्थित अंतराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी) के सहयोग से इन जल स्त्रत्तेतों को बचाने का कार्य शुरू हो गया है।

पांच साल तक चलने वाली इस योजना में वैज्ञानिक जल स्त्रत्तेतों के रिचार्ज जोनों का अध्ययन करेंगे उन रिचार्ज जोनों में पानी को संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए अल्मोड़ा जिले के बिसरा कनेली गांव को मॉडल बनाया गया है।

यहां के सैकड़ो वर्ष पुराने नौले के इतिहास, पुरानी और वर्तमान स्थिति का अध्ययन किया जा रहा है। ताकि उसे बचाया जा सके। जल स्त्रत्तेतों को बचाने का यह कार्य संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल और वैज्ञानिक डॉ. आईडी भट्ट के नेतृत्व में किया जा रहा है।

आदर्श के रूप में विकसित होंगे स्त्रत्तेत: यह योजना उत्तराखंड के साथ ही अन्य हिमालयी राज्यों अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम व पश्चिम बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में भी चलाई जा रही है। शुरुआती चरण में इन सभी राज्यों में एक-एक जल स्त्रत्तेत को पायलट साइट के रूप में चयन किया गया है।

हिमालय के जल स्त्रत्तेतों को बचाने को अहम उपाय

-हिमालय के जल स्त्रत्तेतों को बचाने में जुटे जीबी पंत और नेपाल के वैज्ञानिक

- शुरुआती चरण में खतरे में पड़े स्त्रत्तेतों के रिचार्ज जोन का हो रहा चिह्नीकरण

- अल्मोड़ा जिले के कनेली गांव को मॉडल बनाकर वैज्ञानिकों ने कार्य किया शुरू

- अरुणांचल, सिक्किम, पश्चिम बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में भी चलाई जा रही योजना

-नीति आयोग के मुताबिक भारतीय हिमालयी क्षेत्र में हैं कुल तीस लाख जल स्त्रत्तेत

हिमालय के जल स्त्रत्तेतों के सरंक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जल स्त्रत्तेतों के रिचार्ज जोनों को चिह्नित कर उनका अध्ययन किया जाएगा। उन रिचार्ज जोनों के आस-पास पेड़-पौधों व झाड़ियों का रोपण किया जाएगा।

डॉ. आईडी भट्ट, वैज्ञानिक जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान।

तकनीक करेंगे उपयोग

चयनित जल स्त्रत्तेतों को आदर्श के रूप में विकसित कर अन्य हिमालयी क्षेत्रों में उदाहरण के तौर में प्रस्तुत किया जाएगा और यहां की उपयोग की गई तकनीक अन्य सभी हिमालयी क्षेत्रों के लुप्त हो रहे प्राकृतिक जल स्त्रत्तेतों में अपनाई जाएगी।

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