गोल्डन कार्ड में अंशदान की कटौती के बाद भी नहीं मिल रहा लाभ
उत्तराखंड पेयजल निगम कर्मचारी महासंघ ने गोल्डन कार्ड योजना के लाभ न मिलने पर विरोध जताया। उन्होंने जल निगम मुख्यालय में हेल्प डेस्क की स्थापना की मांग की। महासंघ के अध्यक्ष ने कहा कि कर्मचारियों के...
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जल निगम कर्मचारियों ने जताया विरोध, लाभ सुनिश्चित कराने की मांग जल निगम मुख्यालय स्तर पर हेड ऑफिस में गठित की जाए हेल्प डेस्क
देहरादून, मुख्य संवाददाता।
उत्तराखंड पेयजल निगम कर्मचारी महासंघ ने गोल्डन कार्ड योजना में अंशदान की कटौती के बाद भी योजना का लाभ न मिलने पर नाराजगी जताई। महांसघ की बैठक में जल निगम मुख्यालय स्तर पर हेल्प डेस्क गठित किए जाने पर जोर दिया गया।
महासंघ अध्यक्ष गौरव बर्त्वाल ने कहा कि जल निगम कर्मचारियों के वेतन से गोल्डन कार्ड अंशदान की कटौती की जा रही है। अंशदान की कटौती होने के दिन से ही कर्मचारियों को गोल्डन कार्ड योजना के तहत कैशलेस इलाज का लाभ मिलना चाहिए था। जो अभी तक नहीं मिल पा रहा है। इसे लेकर कर्मचारियों में जबरदस्त रोष है। गोल्डन कार्ड जारी किए जाने में पेश आ रही समस्याओं के समाधान को ठोस प्रयास किए जाएं। कर्मचारियों की सहायता को हेल्प डेस्क गठित की जाए।
महामंत्री नवीन थापा ने कहा कि जल निगम में लिपिकीय कर्मचारियों की बेहद कमी है। ऐसे में अन्य कैडर की तरह कनिष्ठ सहायक के पदों पर नई भर्ती की जाए। कहा कि लेखा संवर्ग का भी गठन किया जाए। अभी तक इस दिशा में जल निगम प्रशासन की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया। कहा कि निगम कर्मचारियों को अभी तक सातवें वेतनमान के अनुरूप मकान किराया भत्ता का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नई दरों पर वाहन भत्ता स्वीकृत किया जाए।
बैठक में पंकज मार्तोलिया, कुशाल राणा, दीपक सिंह गुसाईं, भगवती प्रसाद, हेमंत कुमार, शलम्भ मित्तल, शेखरानंद जोशी, अविनाश चंद, दीपा जोशी, नरेंद्र बिष्ट, राहुल बिष्ट, अर्जुन बिष्ट, महेश भट्ट, हरीश भट्ट, राजपाल राणा, ललित प्रसाद, अनुराग, कैलाश राणा, अर्जित पाठक, सुमित पुन, शुभम कोठारी, संदीप रावत, वीरेंद्र रावत, चंदन दानू आदि मौजूद रहे।
एसीआर का प्रमोशन पर न पड़े प्रभाव
निगम महासंघ ने कर्मचारियों के गोपनीय प्रतिवेदन का समय पर निस्तारण नहीं हो रहा है। इसका असर कर्मचारियों के प्रमोशन पर नहीं पड़ना चाहिए। इस पर मैनेजमेंट स्तर से विचार किया जाए। एसीपी के लाभ से वंचित कर्मचारियों को लाभ सुनिश्चित कराया जाए। निजी व्यय पर किए जाने वाले तबादलों को कार्यमुक्त किया जाए।
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