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भू कानून उल्लंघन पर 699 मामलों में हुआ प्रहार: धामी

उत्तराखंड सरकार ने भू कानून को सख्ती से लागू किया है। 2003 से अब तक 1883 मंजूरियों में से 572 मामलों में कार्रवाई की गई है। 150 बीघा जमीन जब्त की गई है और 3461 एकड़ वन भूमि से कब्जे हटाए गए हैं। नए भू...

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनFri, 21 Feb 2025 09:41 PM
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भू कानून उल्लंघन पर 699 मामलों में हुआ प्रहार: धामी

सीएम धामी बोले, 572 मामलों में अभी तक दर्ज हो चुके हैं केस 150 बीघा जमीन जब्त, 3461 एकड़ वन भूमि से हटाए कब्जे

देहरादून, मुख्य संवाददाता।

भू कानून प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि जनभावनाओं के अनुरूप निर्णय लेते हुए भू कानून लाया गया है। राज्य की जमीनों को भू माफिया से बचाने को सख्त भू कानून का कदम उठाया गया है। 2003 से अभी तक दी गई 1883 मंजूरी में से भू कानून उल्लंघन के 572 मामलों में कार्रवाई की गई है। 150 बीघा के करीब जमीन सरकार में निहित कर सख्त संदेश दिया गया है।

सीएम धामी ने कहा कि सरकार ने सख्त भू कानून बनाने के साथ ही मौजूदा भू कानून को भी सख्ती से लागू कर सख्त कार्रवाई को सुनिश्चित कराया है। 2003 से अभी तक उद्योग निवेश के नाम पर 1718 हेक्टेयर भूमि खरीद को मंजूरी दी गई है। भूमि खरीद को मंजूरी दिए गए 1883 मामलों में से अभी तक 572 मामलों में कार्रवाई करते हुए विभिन्न न्यायालयों में केस दर्ज हो चुके हैं। अल्मोड़ा में 111 मामलों में से 40 में उल्लंघन पर केस दर्ज हुआ है। बागेश्वर में 22 में से 16, पौड़ी में 78 में से 67, यूएसनगर में 321 में से 41, देहरादून मे 266 में से 186, हरिद्वार में 931 में से 39, नैनीताल में 151 में 95, टिहरी में 51 में से 18 केस दर्ज हो चुके हैं। भू कानून आने के बाद अब कार्रवाई और तेज होगी। इससे पहले सरकार ने वन भूमि अतिक्रमण के मामलों में 3461 एकड़ जमीन से कब्जे हटाए हैं।

कहा कि इस संशोधित भू कानून के बाद बिना मंजूरी उत्तराखंड में जमीन खरीदने वालों और तय उपयोग से हटकर जमीन का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। देवभूमि का मूल स्वरूप खराब नहीं होने दिया जाएगा। डेमोग्राफी चेंज के खतरे को खत्म करने को भू कानून लाया गया है। सरकार के सामने भू कानून को लेकर दोहरी चुनौती थी। एक और पहाड़ की जमीनों को बचाना था, तो दूसरी ओर निवेश को भी बढ़ावा देना था। कहा कि इन्हीं तमाम चुनौतियों के बावजूद एक सख्त तार्किक भू कानून, भू सुधार की नींव रखी गई है। ये सिलसिला यही रुकने वाला नहीं है। बल्कि भू प्रबंधन, भू सुधार के इस क्रम केा लगातार आगे बढ़ाया जाएगा। सभी की भावना का ख्याल रखा जाएगा। नई व्यवस्था के बाद निवेशक और भूमाफिया के बीच के अंतर को पूरी तरह स्पष्ट कर दिया गया है। इकोलॉजी, इकोनॉमी में बैलेंस बनाने का काम किया गया है।

जमीन के 143 होने के बाद भी कार्रवाई तय

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने साफ किया कि यदि कोई बाहरी व्यक्ति किसी जमीन को खरीद कर उसका 143 करवा लेता है, तो भी वो कार्रवाई से नहीं बच पाएगा। ये पूरी तरह स्पष्ट कर दिया गया है कि दूसरे राज्य से आए हुए व्यक्ति ने यदि जमीन खरीद की मंजूरी लेने के बाद बताए गए तय प्रयोजन से हट कर जमीन का इस्तेमाल किया, तो उसकी जमीन को सरकार में निहित कर दिया जाएगा। ये सीधे तौर पर भू कानून का उल्लंघन माना जाएगा। कहा कि 143 प्रक्रिया पूरी कर जमीन को कृषि से अकृषि आबादी करवाने का ये मतलब नहीं है कि ऐसा करवाने वाला भू कानून के तय सख्त प्रावधानों से बच जाएगा।

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