यूपीसीएल, पिटकुल में नहीं हुआ कोई भ्रष्टाचार, न ही हुई कोई गड़बड़ी
यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने 400 करोड़ की गड़बड़ी और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने बताया कि उनके बेटे के खाते में तीन महीने की इंटर्नशिप का पैसा आया था, जो रिश्वत नहीं था।...
एमडी यूपीसीएल ने सभी आरोपों को किया सिरे से खारिज बोले, बेटे के खाते में आया तीन महीने की इंटर्नशिप का पैसा
देहरादून, मुख्य संवाददाता।
400 करोड़ की गड़बड़ी, आय से अधिक संपत्ति और बेटे के खाते में आए पैसे के आरोपों को एमडी यूपीसीएल अनिल कुमार ने सिरे से खारिज किया। ऊर्जा भवन में सोमवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि यूपीसीएल के तीन साल के कार्यकाल और पिटकुल में भी एमडी रहते हुए कहीं भी कुछ गड़बड़ी नहीं हुई। बल्कि दोनों निगमों को आगे बढ़ाने का काम किया।
एमडी अनिल कुमार ने कहा कि 2014 में उनके बेटे ने बीटेक करने के बाद देहरादून में तीन महीने की इंटर्नशिप की। उस समय वे मुख्य अभियंता के पद पर तैनात थे। उन्होंने बेटे का इंटर्नशिप कराने को तत्कालीन एमडी से लिखित मंजूरी ली। तीन महीने में उनके बेटे के खाते में 40 हजार रुपए आए। जो किसी रिश्वत के नहीं, बल्कि इंटर्नशिप के थे। इन 40 हजार रुपए को बढ़ा चढ़ा कर 400 करोड़ की गड़बड़ी और 400 करोड़ की संपत्ति का हल्ला मचाया जा रहा है।
कहा कि ईशान कंपनी से जुड़े मामले में कंपनी आर्बिटेशन में जब गई और जिस समय हाईकोर्ट का फैसला आया, उस दौरान वे नहीं थे। कहा कि एक ही कंपनी के खाते से तीन तीन कंपनी के टेंडर डॉक्यूमेंट खरीदे जाने के मामले में भी हाईकोर्ट ने पूछा है कि ई टेंडर में एक ही खाते से तीन टेंडर खरीदने से क्या दिक्कत हो सकती है। जब पूरी प्रक्रिया ही ऑनलाइन है। कहा कि कई बार टेंडरों में सिंगल बिड पर भी काम दिया जाता है। ऐसे में जो भी सवाल उठाए जा रहे हैं, वे बेबुनियाद हैं। इन टेंडरों के लिए भी एक पूरी कमेटी थी। सिंगल आदमी कुछ भी नहीं कर सकता। वित्त, प्रोजेक्ट समेत अन्य अनुभागों के अफसरों की ज्वाइंट कमेटी रहती है। सिर्फ आधी अधूरी बातों के जरिए भ्रम फैलाया जा रहा है। विभाग, अफसरों की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। जबकि हकीकत ये है कि न उनके कार्यकाल में यूपीसीएल और न ही पिटकुल में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी हुई। बल्कि इस समय में यूपीसीएल ने विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। इस अवसर पर निदेशक प्रोजेक्ट अजय अग्रवाल, निदेशक वित्त कमल शर्मा, मुख्य अभियंता जसवंत सिंह, सुधीर कुमार सिंह, शिशिर श्रीवास्तव, मोहन मित्तल आदि मौजूद रहे।
पांच साल चयन का है प्रावधान
एमडी अनिल कुमार ने बताया कि अपने सेवा विस्तार के सम्बन्ध में वे कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि ये शासन का विषय है। उनका सिर्फ ये कहना है कि 2019 की नियमावली और शासन की मौजूदा नियमावली में प्रबंध निदेशक और निदेशक पद पर चयन पांच वर्ष के लिए होता है। तीन वर्ष के कार्यकाल के बाद सरकार दो वर्ष का विस्तार देती है। उत्तराखंड में एमडी पद पर 62 वर्ष तक का प्रावधान है। जबकि यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में 65 वर्ष तक का प्रावधान है।
बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं सभी ट्रांसफार्मर
एमडी यूपीसीएल ने कहा कि पिटकुल के आईएमपी ट्रांसफार्मरों को लेकर भी गलत सवाल उठाए जा रहे हैं। 2014 से 2016 के बीच आईएमपी कंपनी के खरीदे गए 18 ट्रांसफार्मरों पर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, वे आज भी सही काम कर रहे हैं। इन ट्रांसफार्मर की जांच पॉवर ग्रिड से लेकर आईआईटी और सीपीआरआई बंगलुरु तक जांच में क्लीन चिट दे चुके हैं। जबिक एल्सट्रोम, एबीबी, कॉप्टन ग्रीव के ट्रांसफार्मर तक खराब हुए हैं। उनके समय में ही ट्रांसफार्मर की पांच साल की गारंटी का प्रावधान किया। इन्हीं ट्रांसफार्मरों के बेहतर काम करने के कारण आज पिटकुल का ट्रांसमिशन सिस्टम 99.06 प्रतिशत के रिकॉर्ड पर पहुंचा है। उत्तराखंड में ट्रांसफार्मरों का डैमेज कंट्रोल रेट न्यूनतम 0.07 प्रतिशत है।
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