छात्रों के व्यक्तित्व में नजर आएं शिक्षक के प्रयास: विशेषज्ञ
छात्रों के व्यक्तित्व में नजर आएं शिक्षक के प्रयास: विशेषज्ञ तीन दिवसीय राष्ट्रीय नेतृत्व विकास
देहरादून। शिक्षा को सरल, सहज, रोचक और प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों को अपने स्कूल स्तर पर लगातार नए प्रयोग करने होंगे। स्कूल के भीतर जो बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं, वो समाज में छात्रों के व्यक्तित्व में नजर भी आएं। शिक्षक नियमित रूप अपने विचारों, नए प्रयोगों को परस्पर साझा भी करें। नेतृत्व विकास एवं प्रबंधन विषय पर ननूरखेड़ा स्थिति एससीईआरटी के ऑडिटोरियम में तीन दिन तक चले राष्ट्रीय सेमिनार में यह राय उभर कर आई। शुक्रवार को समापन कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि सरकारी स्कूलों की देश भर में एक समान स्थितियां है। इन चुनौतियां से घबराना नहीं बल्कि जूझते हुए बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करना है। रही बात प्राइवेट स्कूलों की तो उनके मुकाबले जहां सरकारी स्कूलों के शिक्षक कहीं ज्यादा योग्य और बेहतर हैं।
सेमिनार के अंतिम दिन मुख्य अतिथि के रूप में डीजी-शिक्षा झरना कमठान ने कहा कि शिक्षक समाज के आदर्श होते हैं। एक बच्चे के व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास का दायित्व शिक्षकों पर होता है। शिक्षकों को चाहिए कि नवाचार पर सदैव फोकस रहे और अपने प्रयोगों के शेयर भी करते रहें। निदेशक-एआरटी वंदना गर्ब्याल ने सेमिनार में आए विषयों की जानकारी देते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन शैक्षिक सुधार की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए कि जो व्यक्ति, बच्चा कमजोर हो, उसे आगे बढ़ने में सदा सहायक की भूमिका निभानी होगी। डीएलएड छात्रों से उन्होंने कहा कि भविष्य में उनके सामने कई चुनौतियां आएंगी। इन चुनौतियां से डरना नहीं बल्कि स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना है।
बेसिक शिक्षा निदेशक रामकृष्ण उनियाल ने कहा कि शैक्षिक सुधार में शिक्षक, प्रधानाचार्य की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने गरीब, संसाधनहीन बच्चों की हर स्तर पर सहायता करने की अपील भी की। कहा कि यदि किसी शिक्षक को कोई छात्र तरक्की करता है वहीं उस शिक्षक की उपलब्धि है।
हरियाणा के प्रतिनिधि के रूप में आए शिक्षक अनिल यादव ने जोशीले अंदाज में शिक्षकों को प्रोत्साहित किया। कहा कि वर्तमान में शिक्षक की भूमिका बेहद चुनौतीपूर्ण हो चुकी है। समाज बदल गया है। ऐसे कानून आ रहे हैं, कि छात्रों को कुछ कहा भी नहीं जा सकता। सरकारी स्कूलों में अनगढ़ बच्चे आते हैं, जिन्हें शून्य से गढ़ना होता है। जम्मू कश्मीर के प्रतिनिधि पुरूषोत्तम, उत्तराखंड के संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज ने भी विचार रखे। एडी-सीमेट अजय नौडियाल ने अतिथियों का स्वागत किया।
सेमिनार में एडी-एससीईआरटी आशारानी पैन्यूली, जेडी प्रदीप रावत, सीमेट विभागाध्यक्ष दिनेश चंद्र गौड़, केएन बिजल्वाण, डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, डॉ.अवनीश उनियाल आदि शामिल रहे।
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