बोले हरिद्वार : धर्मनगरी के इस इलाके में जरा संभलकर, कभी भी आ जाते हैं हाथी
हरिद्वार के ब्रह्मपुरी क्षेत्र में लावारिस पशुओं और जंगली जानवरों से स्थानीय लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नगर निगम और वन विभाग से कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ है।...
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हरिद्वार के ब्रह्मपुरी क्षेत्र में लावारिस पशु और जंगली जानवर लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बने हुए हैं। रेलवे ट्रैक और राजाजी टाइगर रिजर्व की पहाड़ी के बीच बसे ब्रह्मपुरी क्षेत्र में रोजाना लोगों को कभी लावारिस पशुओं तो कभी और जंगली जानवरों के कारण मुसीबत उठानी पड़ती है। प्रस्तुति है प्रवीण कुमार पेगवाल की रिपोर्ट...
कई दफा मानव-जीव संघर्ष में लोगों की जान पर भी बन आती है। लोगों ने इनसे निजात पाने के लिए वन विभाग और नगर निगम से कई बार शिकायत की, लेकिन समाधान नहीं हुआ। नगर निगम को अस्तित्व में आने के 10 साल बाद भी लोगों की समस्या पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। इससे ब्रह्मपुरी क्षेत्र में रहने वाली करीब 10 हजार की आबादी परेशान है।
हरिद्वार के ब्रह्मपुरी क्षेत्र में करीब दस हजार लोग निवास करते हैं। यहां बंगाली बस्ती, शिव कुटिया, मिश्रा गली, काशीपुरा मोहल्ला और कोरी समाज गली जैसी तमाम छोटी बड़ी बस्तियां बसी हैं। ब्रह्मपुरी क्षेत्र रेलवे पटरी और राजाजी टाइगर रिजर्व की पहाड़ी के बीच बसा है। पहाड़ी के नीचे के लोगों लावारिस पशुओं से परेशान हैं। वहीं पहाड़ी पर बसे लोगों को जंगली जानवर का खतरा बना रहता है। लोगों का आरोप है कि रोजाना लावारिस पशु ब्रह्मपुरी में घुस आते हैं, जो सड़कों के बीच बैठ जाते हैं और सड़क पर खड़े वाहनों में तोड़फोड़ करते हैं। गंदगी फैलाने के साथ ही कभी-कभी तो हिंसक रूप धारण कर लोगों को घायल तक कर देते हैं। यही हाल ऊंची पहाड़ी पर बसे लोगों का है। जंगल से निकलकर अक्सर जंगली जानवर आबादी में घुस आते हैं। हाथी और गुलदार जैसे खतरनाक जानवर पूर्व में यहां के लोगों पर हमला भी कर चुके हैं। आपके प्रिय समाचार पत्र हिन्दुस्तान से बातचीत में ब्रह्मपुरी के लोगों ने अपनी पीड़ा बयां की। वहीं बंदरों से भी खासी परेशानी उठानी पड़ती है। जंगली बंदर घरों में घुसकर खाने पीने का सामान उठा ले जाते हैं। पानी की टंकियों को तोड़ देते हैं और यहां तक कि कई लोगों को काटने तक की घटनाएं हो चुकी है। जंगली जानवरों से निजात दिलाने के लिए कई बार राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों से शिकायतें की, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है। आज तक यहां न तो कोई सुरक्षा दीवार बनाई गई और न ही किसी प्रकार की फेंसिंग की गई है। आलम ये है कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने में भी डरते हैं। हर समय छोटे बच्चों पर जंगली जानवरों के हमले का खतरा बना रहता है। यहां तक कि मनसा देवी मंदिर जाने वाले पैदल मार्ग पर आने वाले यात्रियों के साथ भी इसी तरह की घटनाएं घट चुकी हैं। बताया कि बड़ी संख्या में यात्री यहां से गुजर कर मनसा देवी मंदिर पहुंचते है। कई बार नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन उनकी समस्या का आज तक समाधान नहीं हो पाया है। लोग समस्या का समाधान करने की मांग अधिकारियों से कर रहे है।
समस्याओं का कब होगा समाधान
क्षेत्र लोगों को हाथी और गुलदार जैसे जंगली जानवरों से हमेशा खतरा बना रहता है। जंगली जानवर कई दफा लोगों पर हमला कर चुके है। -सुनील कोरी
जंगली बंदरों से भी बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है। जंगली बंदर कभी भी घरों में रखा खाने-पीने का समान उठा ले जाते हैं,पानी की टंकी तोड़ देते हैं। -पुरुषोत्तम लाल
क्षेत्र के लोगों पर तो कई बार रात के अंधेरे में गुलदार-हाथियों ने हमला कर दिया। इसलिए अंधेरा होते ही हमें घर में छिपकर रहना पड़ता है। -बिजेंद्र कुमार
ब्रह्मपुरी और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा मिली हुई है। यहां न तो सुरक्षा दीवार है और न ही किसी प्रकार की फैंसिंग। जिससे खतरा रहता है। -गौतम
नगर निगम प्रशासन इन लावारिस पशुओं के लिए पशुशाला बनाए। इससे न तो जनता को परेशानी होगी और न ही पशुओं की दर्दनाक मौतें होंगी। -मुकेश कोरी।
नगर निगम प्रशासन को लावारिस पशुओं को ब्रह्मपुरी से भगाने के लिए कई बार शिकायत की। शिकायत का संज्ञान नहीं लिया जाता है। -दीपक कोरी
अगर राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन यहां सुरक्षा दीवार या सोलर फेंसिंग लगा दे तो काफी हद तक हमें जंगली जानवरों से छुटकारा मिल जाएगा। -आशीष
लावारिस पशु सड़कों पर बैठे रहते हैं। जिस कारण मनसा देवी मंदिर जाने वाले वाहनों से जाम लग जाता है। लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। -पंकज
कई बार शिकायत करने के बावजूद न तो कभी राजाजी प्रशासन ने संज्ञान लिया और न ही नगर निगम प्रशासन ने। जनता केवल वोट देने के लिए ही बनी है। -श्रीकांत
ब्रह्मपुरी क्षेत्र एकदम रेलवे ट्रैक से सटा हुआ है। कई बार ट्रेन की चपेट में आने से लावारिस पशुओं की मौत हो चुकी है। जिससे परेशानी होती है। -भूषण कोरी
कभी-कभी तो हिंसक लावारिस पशु लोगों पर हमला तक कर देते हैं। जिससे स्थानीय लोग और यात्री तक चोटिल हो जाते हैं। निगम सुनवाई नहीं करता है। -किशन
कई बार पशुओं ने सड़क पर खड़े वाहन तक तोड़ डाले। जिससे लोगों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा। आवारा पशु क्षेत्र में गंदगी भी करते है। -प्यारे लाल
क्षेत्र में बसी बस्तियों के लोगों को सताता है डर
हरिद्वार। नगर निगम में ब्रह्मपुरी क्षेत्र सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यहां पर बंगाली बस्ती, शिव कुटिया, मिश्रा गली, काशीपुरा मोहल्ला और कोरी समाज गली जैसी अनेक बस्तियों में करीब दस हजार की आबादी निवास करती है। इन हजारों लोगों को जंगली जानवरों का तो डर सताता ही रहता है। साथ आवारा पशुओं से भी खासी परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इतनी बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में रह रहे लोगों की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है। लोगों अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा कर थक चुके है। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
मनसा देवी मंदिर जाने वाले मार्ग पर बंदरों का आतंक
हरिद्वार। ब्रह्मपुरी क्षेत्र से ही मनसा देवी मंदिर जाने लिए पैदल रास्ता जाता है। रोजाना इस रास्ते से हजारों की संख्या में बाहर से आने वाले श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर जाते हैं। कई श्रद्धालु पैदल ही मनसा देवी मंदिर जाते है। तो कई श्रद्धालु अपने निजी वाहनों से भी मंदिर के सबसे नीचे वाले गेट तक पहुंचते है। लेकिन रास्ते में गाय, बैल और सांड जैसे आवारा पशुओं के साथ बंदर और जंगली जानवर से यात्री परेशान हो जाते हैं। आवारा पशुओं द्वारा द्वारा कई बार तो श्रद्धालुओं के वाहनों को टक्कर मारकर तोड़ दिया जाता है। साथ ही बंदरो का आतंक भी रोज देखने को मिलता है। बंदर श्रद्धालुओं के साथ छीना झपटी कर कभी-कभी काट तक देते हैं।
डर के साए में रहते हैं लोग
हरिद्वार। ब्रह्मपुरी क्षेत्र की कई बस्तियां पहाड़ी पर बसी है। पहाड़ी क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है। हाथी और गुलदार जैसे जंगली जानवर जंगल से निकलकर आबादी में घुस आते हैं। कई बार तो यहां शाम ढलते ही खूंखार जानवर आबादी में पहुंचते हैं। खूंखार जानवरों के कारण लोग डर के साए में रहने को मजबूर है। शाम ढलने के बाद पहाड़ी पर रहने वाले लोग अपने घरों से भी बाहर नहीं निकल पाते हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति
हरिद्वार। राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा पर तारबाड़ और कोई सुरक्षा दीवार न होने के कारण कारण यहां कई बार मानव वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है। जंगली जानवरों को भगाने के लिए बस्ती के लोग जानवरों पर भी हमला कर देते हैं। मानव वन्यजीव संघर्ष से न सिर्फ इंसानों को नुकसान पहुंचता है बल्कि जंगली जानवरों की जान पर भी बन जाती है। कभी कभी संरक्षित प्रजाति के पशु भी इसका शिकार हो जाते हैं।
बोले जिम्मेदार
ब्रह्मपुरी क्षेत्र में लावारिस पशुओं के लिए पशु वाहन संचालित होते है। समय-समय पर इन पशुओं के खिलाफ नगर निगम की ओर से अभियान चलाया जाता है। जिसके तहत पशु वाहनों में लावारिस पशुओं को पकड़ कर विभिन्न गोशालाओं और नंदी शालाओं में छोड़ा जाता है। आवारा पशुओं के खिलाफ विभाग लगातार कारवाई करता है। -रविंद्र दयाल, सहायक नगर आयुक्त
ऊपरी क्षेत्र में कई लोगों ने राजाजी पार्क की भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है। अतिक्रमण के कारण क्षेत्र में सोलर फेंसिंग करने और सुरक्षा दीवार बनाने में बड़ी दिक्कत होती है। आबादी में जंगली जानवरों को आने से रोकने के लिए पार्क प्रशासन लगातार कार्रवाई करता है। क्षेत्र में सुरक्षा दीवार और सोलर फेंसिंग के लिए योजना बनाई जाएगी। -बीडी तिवारी, वन क्षेत्राधिकारी राजाजी
सुझाव
1. आवारा पशुओं को रोकने के लिए नगर निगम ठोस कदम उठाए।
2. पशुशाला बनाकर वहां लावारिस पशुओं को रखा जाए।
3. राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन बंदरों को पकड़कर कहीं दूसरे जंगल में छोड़े।
4. गुलदार और हाथियों को रोकने के लिए सुरक्षा दीवार बनाई जाए।
5. लोगों की समस्याओं को जानने और देखने के लिए संबंधित अधिकारियों को निरीक्षण करना चाहिए।
शिकायतें
1. पहाड़ी से लगते क्षेत्र में राजाजी टाइगर रिजर्व द्वारा सुरक्षा दीवार नहीं बनाई गई है।
2. जंगली जानवरों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लोगों की जान को खतरा बना रहता है।
3. लावारिशा पशुओं के लिए आसपास कोई भी पशुशाला नहीं है।
4. लावारिस पशु गंदगी फैलाते हैं। यह कई दफा लोगों को चोटिल कर देते हैं।
5. पशुओं की वजह से जाम लगता है और आवाजाही में परेशानी होती है।
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