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लक्ष्मण सिद्ध कॉलोनी को दुल्हनी नदी के खतरे से कौन बचाएगा?

हर्रावाला की लक्ष्मण सिद्ध कॉलोनी के निवासी दुल्हनी नदी के लगातार बढ़ते जल स्तर से चिंतित हैं। हर वर्ष बारिश के दौरान उन्हें अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है। लोग सुरक्षा दीवार की मांग कर रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनSat, 15 Feb 2025 03:39 PM
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लक्ष्मण सिद्ध कॉलोनी को दुल्हनी नदी के खतरे से कौन बचाएगा?

हर्रावाला की लक्ष्मण सिद्ध कॉलोनी पर हर वक्त दुल्हनी नदी का खतरा मंडराता रहता है। हर बरसात में नदी का जल स्तर बढ़ने के साथ खौफजदा लोगों को कई बार अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ता है। घरों में नदी का पानी घुस जाता है। दहशत में जी रहे लोग यहां सालों से सुरक्षा दीवार की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह मांग आज तक पूरी नहीं हुई है। ऐसे में उन्हें डर है कि अभी सुरक्षा दीवार नहीं बनी तो फिर बरसात में दुल्हनी नदी उन पर कहर बरपा सकती है। प्रस्तुति है दीपिका गौड़ की रिपोर्ट...

आपके अपने ‘हिन्दुस्तान अखबार के ‘बोले देहरादून अभियान के तहत हर्रावाला में स्थित लक्ष्मण सिद्ध कॉलोनी के लोगों से बातचीत की गई। इस दौरान लोगों ने बताया कि यहां रहते हुए उन्हें कई साल हो गए हैं। जब से यहां घर बने हैं तब से समस्या झेल रहे हैं। पूरी कॉलोनी दुल्हनी नदी के किनारे बसी है। बाकी सीजन तो सब ठीक रहता है, लेकिन बरसात में नदी उफान पर आ जाती है। इस कारण बरसात में नदी लगातार भू-कटाव करती है। बरसात में नदी के पानी के साथ कूड़ा-करकट और गंदा पानी पूरे घर में भर जाता है। उनका कहना है कि अभी सब कुछ सामान्य दिख रहा है, लेकिन बरसात में बिल्कुल इसके विपरीत रहता है। यहां लोग आवाजाही तक नहीं कर पाते हैं। बच्चों को भी स्कूल कॉलेज नहीं भेज पाते हैं। कॉलोनी के लोग बताते हैं कि कॉलोनी में ड्रेनेज की भी समस्या है। जिस कारण कई दिनों तक जलभराव रहता है। इस कारण जलजनित बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। उनका कहना है कि हम दो साल से शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कैसे भी यहां सुरक्षा दीवार बननी चाहिए। अभी तीन माह हैं और फिर बरसात शुरू हो जाएगी। सुरक्षा दीवार नहीं बनी तो फिर दिक्कत रहेगी। कहते हैं कि पिछले दो साल से विधायक से लेकर अफसरों तक शिकायत कर रहे हैं, लेकिन जवाब मिलता है कि प्रस्ताव शासन में अटका है, जैसे मंजूरी मिलेगी, काम शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन अभी तक न तो प्रस्ताव को मंजूरी मिली और न काम शुरू हो पाया है।

समस्या

1. मजबूत सड़क के साथ नालियों का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए।

2. बरसात से पहले ही पुश्ते का निर्माण होना चाहिए। ताकि यहां रहने वाले लोगों के घर सुरक्षित रह सकें।

3. कॉलोनी में जगह जगहों पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था होनी चाहिए।

4. संबंधित शिकायतों का अधिकारी संज्ञान अवश्य ले।

5. सीवर लाइन को चेक करके ही जोड़ा जाए। ताकि सड़कों को बार बार खोदा ना जाए।

शिकायतें

1. दो सालों से शिकायतें करने के बाद भी फाइल लटकी हुई है। कितनी शिकायत करें।

2. कुछ जगहों पर स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है। कॉलोनी के अंदर आने में परेशानी होती है।

3. बरसात में पानी घरों में घुसता है और उसी के साथ सांप, मेंढक का खतरा बढ़ता है।

4. नदी और सड़क किनारे लोग कचरा फेंकते हैं। जिससे गंदी बदबू आती है।

5. पुश्ते का निर्माण होता तो कॉलोनी में कोई भी बाहरी आदमी प्रवेश नहीं कर पाता।

समस्याओं का अंबार, सुनने वाला कोई नहीं

कॉलोनी की समस्याओं से शासन प्रशासन को बीते दो सालों से अवगत कराते आ रहे है। इतने समय से समस्याओं के बारे में बताने के बाद भी कोई ठोस हल नहीं निकल रहा है। जवाब में सुनने को मिलता हैं कि कार्य चल रहा है और पूरा हो जाएगा। लेकिन वह क्या और कैसा कार्य चल रहा है। जिसकी भनक स्थानीयों को नहीं लग रही है। ना ही कॉलोनी में पुस्ते का कार्य शुरू हो रहा है। जो कॉलोनी वासियों की समस्याओं को सुलझाता। कॉलोनी में रहने वाले लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द दुल्हनी नदी में पुस्ते का निर्माण कार्य शुरू होना चाहिए। जिससे कॉलोनी में होने वाला खतरा टल सके।

पुश्ता बने तो बाहरी लोगों का आवागमन रुके

पुश्ता नहीं होने की वजह से बाहरी लोगों का आना-जाना बहुत बढ़ गया है। जिससे घर को छोड़ के कहीं आस-पास जा भी नहीं पाते हैं। कोई कबाड़ बिनने के नाम पर कॉलोनी में घुस जाता है तो कोई जानवरसें को चराने के बहाने। इन लोगों के कॉलोनी में घुसने के कारण लोग खुद को असुरक्षित महसुस करते हैं और लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाते हैं। इतने सालों से पुश्ता लगाने की मांग की जा रही है। मगर कोई सुनता ही नहीं है। पुश्ता लग जाता तो यहां रहने वालों को इतनी परेशानी नहीं होती। कॉलोनी में जल्द से जल्द पुश्ता बनाया जाए ताकि लोग खुद को सुरक्षित महससू कर सके और वे बेफ्रिक होकर इधर-उधर जा सके।

नदी में कूड़ा फेंकने वालों पर हो कार्रवाई

कॉलोनी के नीचे बहने वाली दुल्हनी नदी में बाहरी लोग कूड़ा फेंक के चले जाते है। कूड़ा फेंकने वाले डरते भी नहीं है। वे कहीं भी आसपास में कूड़ा फेंक कर चले जाते हैं। जब तक इन लोगों पर कार्रवाई नहीं होगी तो यह लोग डरेंगे नहीं। यदि कॉलोनी में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था होती तो कूड़ा फेंकने वालों का पता चलता और ठोस कार्रवाई भी होती। इससे यहां रहने वाले लोगों को बहुत परेशानी होती है और इन लोगों के फैलाए हुए कूड़े की सफाई कॉलोनी वालों को खुद ही करनी पड़ती है। समय पर पुश्ता लग जाता तो यह समस्याएं नहीं होती।

आवारा पशुओं के आतंक से मिले निजात

क्षेत्र में आवारा जानवरों का आतंक भी बढ़ने लगा है। यहां रहते हुए आवारा कुत्ते, सांड और बंदरो का आतंक सताता है। बंदर घरों के अंदर तक घुस कर सामान को तहस नहस कर देते हैं। आवारा कुत्ते राह चलते किसी को भी काट देते हैं। कुत्ते के काटने पर नियमित टीके लगाने के लिए अस्पतालों में आना-जाना लगा रहता है। डर इसलिए भी लगता है कि क्योंकि इनमें में से कुछ कुत्ते तो पागल हैं। यदि पागल कुत्ते काटते हैं तो और भी ज्यादा डर रहता है। नगर निगम के कर्मचारी भी इन आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान नहीं चलाते हैं।

लक्ष्मण सिद्ध कॉलोनी की समस्याओं का जल्द किया जाएगा समाधान

डोईवाला विधायक बृजभूषण गैरोला का कहना है कि लक्ष्मण सिद्ध कॉलोनी के लोगों की जितनी भी समस्याएं हैं, सबका धीरे-धीरे समाधान किया जाएगा। उनका प्रयास रहेगा कि समस्याओं के चलते कॉलोनी के लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं उठानी पड़े। दुल्हनी नदी से आबादी वाले इलाके में कटाव हो रहा है। इस समस्या से मैं भली-भांति परिचित हूं। इस मामले को मैंने विधानसभा में भी रखा था। यहां सुरक्षा दीवार का निर्माण आपदा मद से होना है। इसका प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है। जल्द ही मंजूरी के प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि इस बरसात से पहले नदी से हो रहे कटाव वाले हिस्से में सुरक्षा दीवार का निर्माण कर लिया जाएगा।

बारिश में घरों में घुस जाता है दुल्हनी नदी का पानी

शिकायतें करते-करते हम लोग थक गए हैं। न जाने कब पुश्ता बनने की मांग पूरी होगी। इस रास्ते बाहर के लोग कॉलोनी में आते हैं। तो डर भी लगता है। पुश्ता बन जाता तो लोगों को भी काफी राहत मिल जाती। पुश्ता नहीं बनने से लोग सहमे हुए हैं। -शोभा जुयाल

अक्सर बरसात में घरों में पानी भर जाता है। बाल्टियां भर-भर के पानी बाहर फेंकना पड़ता है। कई बार पुश्ता बनाने की मांग कर चुके हैं। शासन प्रशासन को परेशानियों से अवगत करा चुके हैं। कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। -हरि प्रसाद रयाल

बरसात के दिनों में दुल्हनी नदी उफान पर आ जाती है। जिससे नदी के साथ बहने वाला कूड़ा-करकट और गंदा पानी घरों तक घुस जाता है। साथ ही सांप और मेंढक भी कई बार घर में घुस जाते हंै। इससे परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है। -पुरुषोत्तम जखमोला

कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं। मगर इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। कॉलोनी में पक्की सड़क, नालियां, स्ट्रीट लाइट नहीं है। यहां एक समस्या नहीं अनगिनत समस्याएं हैं। अब किसको सुनाए कोई सुनने वाला बचा नहीं। -नागेंद्र दत्त रयाल

कॉलोनी में प्रवेश करते ही कूड़ा देखने को मिलता है। ऊपर से लोग यहां दुल्हनी नदी में कूड़ा फेंक कर चले जाते हैं। जिससे बहुत गंदी बदबू आती है और यहां रहना मुश्किल हो जाता है। सरकार को पुश्ता का निर्माण जल्द करना चाहिए। -सक्षम जुयाल

कॉलोनी में आवारा कुत्ते घूमते हैं। कुत्तों ने इस कदर आतंक मचा रखा है कि राह चलते किसी को भी काट देते हैं। इनमें से कुछ कुत्ते तो पागल भी हैं और पागल कुत्तों के काटने से खतरा और भी बढ़ जाता है। निगम को कुत्तों को पकड़ना चाहिए। -निशांत रावत

मेरे छोटे बच्चे हैं। उन्हें स्कूल भेजने के लिए खुद जाना पड़ता है। कई बार तो दुल्हनी नदी का जलस्तर से काफी बढ़ जाता है। इससे बच्चों को स्कूल भी नहीं भेज पाते हैंै। इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। इससे नुकसान होता है। -शालिनी चौहान

हम लोग तो बरसात समेत आम आम दिनों में भी परेशान रहते हैं। कॉलोनी के बाहर के लोग कूड़ा डालने के लिए नदी में आते हैं और चुपचाप कूड़ा डालकर चले जाते हैं। जिस कारण गंदी दुर्गंध का सामना हम सभी को करना पड़ता है। -रश्मि रावत

यहां कॉलोनी में घर बनाए हुए काफी साल हो गए हैं और हर साल बरसात में दुल्हनी नदी अपने साथ तूफान लेकर आती है। जिसके कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पुश्ता लगता तो यहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा होती। -ज्योति रावत

कॉलोनी में नाली जैसी सुविधाएं नहीं है। लोगों ने अपने घर के आगे थोड़ी सी जगह बचाकर नाली बनाई है। लेकिन उससे भी कितने पानी की निकासी होगी। बरसात के समय यहां बुरी हालत हो जाती है। कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है। -मिंटू रावत

पुश्ते की तो यहां मुख्य समस्या है। मगर हाईटेंशन तारों का खतरा भी घरों के ऊपर मंडरा रहा है। लोगों ने दो से तीन मंजिला घर बना रखे हैं और हाईटेंशन बिजली के तार घरों को छूते हुए जा रहे हैं। जिस कारण यहां रह रहे लोगों को खतरा है। -ज्योति खंडूड़ी

इस सड़क को मैंने तीन बार बनते हुए देखा है। कामों को लेकर सड़क में खुदाई का काम चलता रहता है। यहां सीवर का काम शुरू तो हुआ मगर लाइन नहीं जुड़ी। हम चाहते हैं कि जब काम पूरा हो गया है तो जल्द लाइन को जोड़ा जाए। -हिमांशु अवस्थी

कई बार कर चुके शिकायत आज तक नहीं निकला हल

लक्ष्मण सिद्ध कॉलोनी के दयाल सिंह रावत बताते हैं कि वह शासन से लेकर प्रशासन स्तर तक क्षेत्र की समस्याओं के लिए कई बार शिकायती पत्र लिख चुके हैं और अधिकारियों से मिलकर समस्याओं के बारे में बता चुके हैं। लंबे समय से क्षेत्र की समस्याओं से रूबरू कराने के बाद भी हल नहीं निकल रहा है। जवाब में कभी कहते हैं की फाइल अटकी पड़ी है तो कभी कहते हैं कि कार्य चल रहा है। लेकिन आज तक समस्याओं का हल नहीं हो पाया। वे बताते हैं कि कॉलोनी के लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द नदी में पुश्ते का निर्माण होना चाहिए। जिससे उनकी सुरक्षा पर कोई आंच ना आए और खतरा टल जाए।

कॉलोनी में घरों को जल्द सीवर लाइन से जोड़ा जाए

क्षेत्रवासी कैलाश डंडरियाल बताते हैं कि कॉलोनी में कच्ची सड़क का निर्माण कराया गया है। शायद बाद में इसे पक्का किया जाएगा और सीवर लाइन का काम भी पूरा हो चुका है। लेकिन काम होने के बाद सीवर लाइन को जोड़ा नहीं गया है। यदि कॉलोनी की सीवर लाइन जुड़ जाती तो समस्या नहीं होती। कॉलोनी की प्लॉटिंग तो हुई। लेकिन नालियों के लिए कोई विशेष जगह नहीं मिली। कॉलोनी के कुछ परिवारों ने अपने अपने घरों के आगे थोड़ी सी जगह बचाकर नालियां बनाई है। बरसात के समय कॉलोनी में रहना दुर्लभ हो जाता है। घरों के आगे कीचड़ ही कीचड़ पसरा रहता है। नालियों के लिए ठोस इंतजाम होने चाहिए।

स्ट्रीट लाइट नहीं होने से उठानी पड़ती है सबको बहुत परेशानी

77 वर्षीय आशाराम डोबरियाल बताते हैं कि पुश्ता ना होने की मार तो वह झेल ही रहे हंै। साथ ही कॉलोनी में स्ट्रीट लाइट की मुख्य समस्या है। जिस कारण रात के अंधेरे में आने जाने में बहुत परेशानी होती है और यहां बिजली पोलो की कमी है। जिन पर अधिकारियों को काम करना चाहिए। आगे वह बताते है कि कुछ जगहों पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था भी अस्थायी रूप से की गई है। स्ट्रीट लाइट अनइवन तरीके से लगी है। सड़कों पर स्ट्रीट लाइट को दाएं तरफ एक, तो बाएं तरफ दूसरी इस तरह से लगना चाहिए था। जिससे उजाला भी अच्छी तरह से होता। बुजुर्ग और बच्चों को आवाजाही में आसानी होती।

कॉलोनी में हर रोज नहीं आते हैं कूड़ा-करकट उठाने वाले

योगेंद्र सिंह नेगी कहते हैं कि कॉलोनी में तो थोड़ी बहुत सफाई देखने को मिलती है। लेकिन कॉलोनी के गेट के पास सफाई नहीं है। कूड़ा उठाने वाले भी हर रोज नहीं आते हैं। ना हीं यहां कोई सफाई कर्मी झाड़ू लगाने या घास काटने आता है। दुल्हनी नदी में कूड़ा फेंकने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि ये बाहर के लोग अपने घरों का कूड़ा करकट लाकर यहां नदी में डाल देते हैं। आवारा पशु कूड़े को खाते हैं इससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। नदी में कूड़ा फेंकने से लोगों को परेशानी होती है। अगर नदी पर पुश्ता लगा हुआ होता तो काफी हद तक कूड़े की सयमस्या से निजात मिल जाती।

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