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रायपुर दो सौ बीघा के लोग चाहते हैं हाथियों से अपनी सुरक्षा

जंगली-जानवरों के आबादी वाले क्षेत्रों के आना आम बात है। ऐसे तमाम वीडियो सोशल मीडिया में भी खूब वायरल भी होते हैं। लेकिन कोई रायपुर के 200 बीघा इलाके में लोगों से जाकर पूछे कि जंगली-जानवरों का डर आखिर क्या होता है।

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनThu, 13 Feb 2025 10:19 PM
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रायपुर दो सौ बीघा के लोग चाहते हैं हाथियों से अपनी सुरक्षा

जंगली-जानवरों के आबादी वाले क्षेत्रों के आना आम बात है। ऐसे तमाम वीडियो सोशल मीडिया में भी खूब वायरल भी होते हैं। लेकिन कोई रायपुर के 200 बीघा इलाके में लोगों से जाकर पूछे कि जंगली-जानवरों का डर आखिर क्या होता है। जो न तो अपने बच्चों को घर से बाहर खेलने के छोड़ पाते हैं और न ही खुद अकेले में निकलने की हिम्मत जुटा पाते हैं। शाम होते ही डर और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यहां हाथियों की आवाजाही कभी भी हो सकती है। प्रस्तुति है कुमुद नौटियाल की रिपोर्ट...

रायपुर स्थित 200 बीघा एक नई आबादी का क्षेत्र है। यह बिल्कुल जंगल से लगा इलाके होने की वजह से यहां जंगली-जानवरों की आवाजाही लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। खासतौर पर हाथियों का खौफ तो इस कदर है कि अकेले सौंग इनक्लेव में ढाई सौ परिवारों के सामने तो कई बाद अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात हो जाते हैं। अगर हाथी कॉलोनी में घुस आए हैं या फिर आसपास भी हैं तो लोगों का घरों से निकलना बंद हो जाता है। बोले देहरादून में हिन्दुस्तान ने हाथियों के खौफ में जी रहे लोगों से उनकी परेशानी जानी, तो लोगों ने उस दहशत का जिक्र किया, जिसमें वह हर दिन जी रहे हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि कब हाथी आ जाएं और हमला न कर दें, कुछ पता नहीं है। आए दिन घर की दीवारें तोड़ना और बाकी नुकसान पहुंचाना तो चलता रहता है। लेकिन कभी कोई आदमी हाथियों के झुंड में न फंस जाए, बस यही डर बना रहता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले कुछ समय से हाथियों की आवाजाही ज्यादा ही बढ़ी है। खाने की खुशूब या पानी की तलाश में हाथी कॉलोनी तक आ जाते हैं। फिर दिन-रात कोई बात नहीं रह जाती, कभी भी हाथियों का झुंड इस तरफ आ जाता है और ऐसी स्थिति में लोग तब तक अपने घरों में कैद होने को मजबूर रहते हैं। जब तक हाथी कॉलोनी से अपने आप न निकल जाएं। स्थानीय लोग कहते हैं कि जब भी ऐसा होता है तो वन विभाग को सूचना दी जाती है, कभी टीम समय पर पहुंच जाती है तो कभी हाथियों के निकलने के बाद आती है। ऐसे में किसी तरह की मदद नहीं मिलती है। हां, इतना जरूर है कि कॉलोनी में किसी ने आसपास हाथियों का झुंड देख लिया तो वह जरूर एक-दूसरे को इत्तला कर सतर्क कर देते हैं।

तीन तरफ जंगल से घिरी है कॉलोनी

यहां के लो कहते हैं कि हाथी ही क्या दूसरे जंगली-जानवरों को भी यहां खतरा रहता है। कॉलोनी के जो कोने के घर हैं उनके आसपास स्ट्रीट लाइट तक नहीं है। जो सबसे बड़ी परेशानी है। अगर रोशनी ठीक रहे तो थोड़ा खतरा कम हो जाता है। यहां के लोग हाथियों से निजात पाने के लिए कॉलोनी के तीनों ओर से फेंसिंग लगाने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में उन लोगों ने वन विभाग को कई बार लिखित में भी दे दिया है। लेकिन तारबाड़ लगाने को मंजूरी नहीं मिल पाई है।

शिकायतें

1 हाथी के साथ ही अन्य जंगली जानवर बहुत आते है।

2 सड़को पर स्ट्रीट लाइटों की सुविधा नहीं है।

3 हाथी के आने से लोगों में डर का माहौल रहता है।

4 हाथी घरों के दीवार तोड़ कर चले जाते है।

5 कॉलोनी के चारों ओर बाड़ नहीं लगा रखी है।

सुझाव

1 हाथी और अन्य जानवरों से सुरक्षा के लिए काम होना चाहिए।

2 सड़कों पर रात के समय अंधेरा हो जाता है इसलिए स्ट्रीट लाइटें लगाई जाए।

3 कॉलोनी के चारों ओर जंगली जानवर से बचाव के लिए बाड़ लागाई जानी चाहिए।

4 कॉलोनी वासियों की सुरक्षा के लिए इंतेजाम पुकता होने चाहिए।

5 लोगों की शिकायत पर ध्यान दे और समय-समय पर पुलिस की गश्त होनी चाहिए।

लोगों में रहता है डर का माहौल

स्थानीय निवासियों ने बताया कि यहां पर हाथियों के साथ-साथ नीलगाय, गद्दड़, सियार और बंदरों का आतंक भी है। इससे स्थानीय निवास बहुत परेशान है। दिन भर बंदर घरों में घुसने का प्रयास करते है। और खाने की चीजे देखते ही उसपर झपट जाते है। रात के समय सियार के रोने की आवाजे आती है। इससे यहां के लोग रातभर सो भी नहीं पाते है। हाथियों के आने से तो यहां पर डर का माहौल और बढ़ जाता है। लोगों का घरों से निकला मुश्किल हो जाता है।

रात में रहता है अंधेरा

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां पर सड़कों पर स्ट्रीट लाईट कहीं है कहीं नहीं है। इससे रात के समय अधिकांश जगहों पर अंधेरा हुआ रहता है। अंधेरे का फायदा उठा कर हाथी यहां पर आ जाते है। यहां पर तोड़- फोड़ करके चले जाते है। यहां पर लोग हाथी के डर से शाम होते ही अपने-अपने घरों में बंद हो जाते है। यहां पर और नई स्ट्रीट लगानी चाहिए और जो स्ट्रीट लाइटे खराब है उन्हें जल्द से जल्द ठीक करना चाहिए।

हाथियों पहुंचा रहे नुकसान

स्थानीय निवासियों का कहना है कि बरसात के समय हाथी यहां से पानी पीने के लिए गुजरते है। इससे कई बार वो कॉलोनियों के अंदर आ जाता है। यहां पर घुमते वक्त वो घरो की और पलोटों की बाउंड्री वॉल तोड़ देते है। लोग कई बार तो दिवारों को बना देते है लेकिन कुछ समय बाद हाथी फिर आकर दिवार तोड़ देते है। इससे यहां के लोग बहुत परेशान है।

स्ट्रीट लाइट लगे तो बने बात

स्थानीय निवासी यशपाल सिंह सजवान बताते है कि यहां पर स्ट्रीट लाइटें भी बहुत कम है। उनका घर कॉलोनी के अंत में है। उनके घर में आठ लोगों का परिवार रहता है। उसके घर के पीछे जंगल है। वहां से हाथी आते- जाते है। हाथी का खतरा बहुत है। ऐसे में स्ट्रीट लाइट होगी तो हाथी यहां पर आना कम करेंगे।

बच्चों को नहीं छोड़ सकते अकेले

स्थानीय निवासी अंजू बताती है कि यहां पर जंगली जनवरों का खतरा बहुत है। उनके दो बच्चे हैं। बच्चों को वो बाहर खेलने के लिए अकेले नहीं छोड़ सकती है। हाथी के आने से यहां पर डर का माहौल बन जाता है। लोग शाम के समय से ही अपने घरों में बंद हो जाते है। रात समय कभी हाथी आते है तो कभी सियार रोते रहते है। इससे लोग रात के समय सो भी नहीं पाते है।

कॉलोनी के बीच से गुजरते हैं हाथी

स्थानीय निवासी बसंत पंत बताते है कि यहां पर हाथी बहुत आते है। कभी झुंड में तो कभी अकेले ही घुमते नजर आते है। हाथी पानी पीने के लिए नदी में आते है तो कॉलोनी से होकर गुजरते है। यहीं से वापसी करते वक्त कॉलोनी में आ जाते है। यहां से जाते समय कई बार हाथी घरों की दीवार तोड़ देते है। इससे यहां के लोग बहुत परेशान है। यहां पर वन विभाग की ओर से रोज गश्त की जानी चाहिए।

साफ सफाई नहीं होती

स्थानीय निवासी त्रिलोक सिंह चौहान का कहना है कि कॉलोनी में साफ-सफाई नहीं होती है। घरों से कचरा उठाने के लिए नगर निगम की गाड़ी तो आती है। लेकिन सड़कों पर पड़े कचरे को साफ करने के लिए कोई सफाई कर्मचारी यहां पर नहीं आता है। इससे कॉलोनी में गंदगी रहती है। सड़को पर कचरा ऐसे ही पड़ा रहता है।

लोगों से बातचीत-

यहां पर साफ सफ़ाई के लिए कोई सफ़ाई कर्मी नहीं आता हैं। इससे सारा कचरा सड़को पर ही रहता हैं। नगर निगम की गाड़ी भी दो-तीन दिन मै चक्कर लगती हैं। -डीएन उपाध्याय

यहां स्ट्रीट लाईन कहीं हैं कहीं नहीं हैं। शाम से ही यहाँ पर अंधेरा पसर जाता हैं। रात के समय जंगली जानवारों की आवाजे सुनाई देती है। पता ही नहीं चलता की जानवर कहां है। इससे परेशानी होती हैं। -एमएस असवाल

यहां पर दो सौ के करीब परिवार रहते हैं। सबके मन में अपनी जान का खतरा बना रहता हैं। कोई भी यहां पर चैन से नहीं रह सकता हैं। कब हाथी आकर किस पर हमाल कर दे किसी को नहीं पता। -दीपक पटवाल

हाथी आये दिन आकर घरों की और खाली प्लॉटों की दीवार तोड़ कर चाले जाते हैं। हम लोग कब तक दीवारें को बनाते रहेंगे। लगातार शिकायत करने के बाद भी वन विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठा रहा है। -राजीव परमार

हाथी से बचाव के लिए कॉलोनी में इलेक्ट्रिक फेंसिंग होनी चाहिए। इसके लिए विभाग को कई बार बोला गया है, लिखित में भी दिया गया है इसके बाद भी अभी कुछ नहीं हो सका है। हमारी कोई सुनने वाला ही नहीं है। -कुशलानंद गैरोला

कॉलोनी में हर जगह गंदगी बनी रहती है। सड़कों की झाड़ू मारने के लिए यहां पर कोई सफाई कर्मी नहीं आता है। इससे कूड़ा-कचरा सड़कों पर पड़ा रहता है। इससे यहां पर गंदगी बढ़ रही है। -सुरेंद्र प्रसाद सुंदरियाल

नगर निगम की कचरे की गाड़ी भी दो-तीन दिन में आती है। यहां पर कचरा डालने का कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। गाड़ियां कॉलोनी से कचरा उठाकर कॉलोनी के बाहर ही कचरा डाल कर चले जाती है। इससे यहां पर बड़ी बदबू आती है। -हरेंद्र सिंह रावत

हाथी के आने से हमें बड़ी परेशानी होती है। यहां पर डर का माहौल बना रहता है। हमारी रोज की दिनचर्या पर भी असर पड़ता है। हमेशा ध्यान में वही रहता है कि कहीं हाथी न आ जाएं और हमला न कर दें। -तारक चौहान

जंगली जानवारों के आने-जाने से लोग परेशान है। कॉलोनी में छोटे-छोटे बच्चें है और बड़े बुर्जुग लोग भी रहते है। यहां पर उनको अकेले घर से बाहर बिल्कुल नहीं छोड़ा जा सकता। -शिव प्रसाद ममगाईं

आये दिन हाथी द्वारा किसी के मरने की खबर सुनते है। ऐसी खबरों से दिल बैठ जाता है। यदी कभी यहां पर ऐसी कोई र्दुघटना हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। -विजय

यहां पर छोटे-छोटे बच्चे खेलते है। किसी दिन जंगली जानवार उनके नजदीक आ जाए तो उनकी रक्षा कौन करेगा। ऐसे स्थिति न बने इसके लिए वन विभाग को समय-समय पर गश्त करनी चाहिए। -भरत सेमवाल

यहां पर जंगली जानवर और हाथी की आवाजाही कम हो इसके लिए बाड़ लगाने की बहुत जरूरत है। यह लोगों की सुरक्षा का मामला है। लोगों की जान के साथ लापरवाही सही नहीं है। इस बात को वन विभाग को समझना चाहिए। -विजेंद्र सेमवाल

लोगों की सुरक्षा सर्वोपरी है, इसे वन विभाग और प्रशासन को समझना चाहिए। लेकिन कोई ध्यान ही नहीं देता। यहां पर जल्द से जल्द मजबूत बाड़ लगनी चाहिए। जिससे हाथी और अन्य जंगली जानवर कॉलोनी के अंदर न आ सके। -शेखरानंद

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