निकाय चुनाव में मुद्दा बने भू कानून : जुयाल
राजनैतिक दल चुनाव से पहले भू कानून जैसे मुद्दों पर वादे करते हैं, लेकिन चुनाव बाद चुप्पी साध लेते हैं। प्रदेश सरकार ने सख्त भू कानून लाने की बात की थी, लेकिन अब जनता इसके लिए संघर्ष कर रही है।...
राजनैतिक दल चुनाव से पहले कई वादे जनता से करते है, लेकिन जब चुनाव हो जाता है तो उनके वादे जनता दूरी बना लेते हैं। पिछले दिनों भू कानून का मामला काफी गरम रहा, लेकिन उसके बाद ठंडा पड़ गया। हालांकि, प्रदेश सरकार ने सख्त भू कानून लाने की बात की है, लेकिन अब इस पर सरकार की चुप्पी जनता को खल रही है। यहीं कारण है कि भू कानून का मामला अब नगर निकाय चुनावों में भी उछाला जा रहा है। ताकि राजनैतिक दल इस पर संज्ञान लें। राज्य आंदोलनकारी व इंद्रमणि बडोनी स्मृति विचार मंच के अध्यक्ष पूरण जुयाल ने चुनाव में वोट मांगने आने वालों से भू कानून लागू करने के लिए प्रयास करने की बात की है। उन्होंने कहा कि जब जागो तभी सवेरा होता है, भू कानून के लिए कमेटी गठित की गई, जिसने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है, लेकिन उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, आखिर इससे क्या हासिल हुआ। कारण साफ है ना ही कमेटी और ना सरकार भू कानून को गंभीरता से ले रही है। जिनके प्रयास से कमेटी गठित की गई, चाहे उनकी धयेय या मनसा भू रक्षा के लिए है, ठीक है, अच्छी बात है, लेकिन कमेटी के कर्ता धर्ताओं को ज्ञात होना चाहिये कि ये उतराखण्ड के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अच्छा होगा कि नगर निकाय के चुनाव में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी अपने अपने घोषणा पत्र में भू कानून का उल्लेख करें।
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