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हिंदी फिल्मों के जाने माने गीतकार डॉ. इरशाद कामिल 10वें शैलेन्द्र सम्मान से सम्मानित

हिंदी फिल्मों के जाने माने गीतकार डॉ. इरशाद कामिल को दसवें शैलेन्द्र सम्मान से सम्मानित किया गया। महासर्वेक्षक जनरल लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार ने इरशाद कामिल को स्मृति चिन्ह, शॉल, पुष्प गुच्छ देकर...

लाइव हिन्दुस्तान टीम,देहरादून Fri, 31 Aug 2018 05:07 PM
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हिंदी फिल्मों के जाने माने गीतकार डॉ. इरशाद कामिल को दसवें शैलेन्द्र सम्मान से सम्मानित किया गया। महासर्वेक्षक जनरल लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार ने इरशाद कामिल को स्मृति चिन्ह, शॉल, पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया। गीतकार स्वर्गीय शैलेन्द्र की पुत्री अमला मजूमदार ने कामिल को नगद राशि प्रदान की। हाथीबड़कला स्थित सर्वे ऑडिटोरियम में शैलेन्द्र मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में गीतकार इरशाद कामिल ने कहा कि गीतकार शैलेन्द्र के एक-एक गीत पर शोध किया जा सकता है। उनकी स्मृति में सम्मान मिलना फख्र की बात है। महासर्वेक्षक जनरल गिरीश कुमार ने कहा कि शैलेन्द्र का युग शानदार गीतों का युग था। पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी और कवि मंगलेश डबराल ने हिंदी गीतों के साहित्यिक पक्ष की चर्चा की। शैलेन्द्र के योगदान की चर्चा करते हुए संचालक इंद्रजीत सिंह ने बताया कि शैलेन्द्र को धुन पर गीत लिखने में महारत हासिल थी। कैसे भी मूड के गीत हों वह इसे आसानी से लिख लेते थे। हालांकि धुन के आधार पर गीत लिखना काफी चुनौतिपूर्ण माना जाता है। आवारा, बरसात, गाइड, तीसरी कसम, मेरा नाम जोकर जैसी फिल्मों में कुल आठ सौ गीत फिल्म इंडस्ट्री को दिए, जो आज धरोहर बन चुके हैं। कई गीतों को फिल्म फेयर अवार्ड भी मिले। 
शैलेन्द्र की बेटी अमला मजूमदार ने कहा कि वे अच्छे गीतकार के साथ ही सुलझे इंसान थे। इससे पहले गायक एलेक्जेंडर ने शैलेन्द्र के लिखे गीत तू प्यार का सागर है... किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार..., पीयूष निगम ने इरशाद कामिल का जब भी मेट फिल्म का गीत न है ये पाना, न है खोना..., शैलेन्द्र का लिखा गीत मैं गाऊं तुम सो जाओ..., हिमांशु दरमोड़ा, सौम्या श्रीवास्तव, अतुल विश्नोई ने इरशाद के लिखे गीत गाए। मधुरिमा सक्सेना ने सम्मान पत्र पढ़ा। मौके पर रोमा खंडूजा, ऋतुराज, ईश मधु तलवार, फारुख आफरीदी, रणवीर सिंह, जगदीश मोहन रावत, कथाकार सुभाष पंत, मुकेश नौटियाल, रमाकांत बेंजवाल, बुद्धिनाथ मिश्र, मनमोहन चड्ढा, डॉ. एसके कौशिक, विजय गुलाटी, प्रो. सत्येन्द्र मित्तल, गुरदीप खुराना, कृष्णा खुराना, नरेश राजवंशी, आदि मौजूद रहे। 
उत्तराखंड की खूबसूरती मेरे जेहन में बसी : इरशाद
गीतकार इरशाद का कहना है कि फिल्म का विषय अच्छा हो तो अच्छे गीत लिखने में आसानी होती है। जब वी मेट, लव आजकल, रांझना, सोचा न था, रॉकस्टार इसी तरह की फिल्में थीं। इस समय अलग-अलग विषयों पर काफी अच्छी फिल्में बन रही हैं। इसलिए अच्छे गीत भी सामने आ रहे हैं। 
‘हिन्दुस्तान’ से विशेष बातचीत में इरशाद ने बताया कि गीत लिखने के लिए वह फिल्म की कहानी पर ध्यान देते हैं। अपने गीतों में उन्होंने शब्दों के रूप में काफी प्रयोग किए हैं। इसमें वैचारिकता देखने को मिलती है। जहां तक फिल्मों में रैप व हल्के शब्दों के प्रयोग की बात है तो श्रोता अंतत: गहरे अर्थ वाले गीतों को ही सुनना चाहते हैं। यही वजह है कि हिंदी फिल्मों में सूफियाना शैली के गीत खूब लिखे जा रहे हैं। युवा गीतकारों को टिप्स देते हुए उन्होंने कहा कि गीत चिप्स के उस पैकेट की तरह नहीं होने चाहिए, जिसमें हवा ज्यादा भरी होती है। उत्तराखंड से जुड़ी अपनी यादों को ताजा करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी के एक टूर के साथ वह कई साल पहले उत्तराखंड आए थे। तब ऋषिकेश, मसूरी, देहरादून आने का मौका मिला था। उत्तराखंड की खूबसूरती उनके जेहन में बसी हुई है।
केवी हाथीबड़कला में बच्चों से मिले इरशाद
दोपहर में इरशाद कामिल ने केवी हाथीबड़कला के छात्रों से मुलाकात की। इस दौरान बच्चों ने इरशाद से फिल्मी गीतों के बारे में सवालात किए। कामिल ने बच्चों संग फोटो खिंचवाई और 101 बच्चों को ऑटोग्राफ दिए। 

 

 


 

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